scorecardresearch

Alluri Sitarama Raju Birth Anniversary: जंगल का वो नायक, जिसने 18 साल में छोड़ दिया था घर, 27 साल में हुए शहीद... अल्लूरी सीताराम राजू की कहानी जानिए

Alluri Sitarama Raju Story: क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को विशाखापत्तनम के एक गांव में हुआ था. 18 साल की उम्र में अल्लूरी ने घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया. इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रम्पा विद्रोह की अगुवाई की.

4 जुलाई को क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती है (Photo/Wikipedia) 4 जुलाई को क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती है (Photo/Wikipedia)

साल 1897 में आज के दिन यानी 4 जुलाई को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वाले क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती है. उनका जन्म विशाखापत्तनम के पांड्रिक गांव में हुआ था. अल्लूरी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और देशभर में भ्रमण किया. इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जनजातियों को एकजुट किया था. सीताराम राजू की अगुवाई में रम्पा विद्रोह हुआ था.

18 साल की उम्र में छोड़ा घर-
अल्लूरी सीताराम राजू जब 18 साल के थे तो उन्होंने घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया. उन्होंने तपस्या की. उनको ज्योतिष और चिकित्सा का ज्ञान था. राजू में जंगली जानवरों को वश में करने की क्षमता थी. इसकी वजह से वो आदिवासी लोगों के बीच लोकप्रिय थे. 

अंग्रेजों की पॉलिसी का किया विरोध-
अंग्रेजों ने मद्रास वन अधिनियम लागू किया था. इस अधिनियम की वजह से आदिवासियों के जंगल में घूमने और उनकी पारंपरिक खेती को बैन कर दिया था. आदिवासी समाज सालों से इसका विरोध कर रहा था. अंग्रेजों के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है था. अल्लूरी सीताराम राजू भी इस आंदोलन के हिस्सा बने.

साल 1922 में रम्पा विद्रोह-
अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा था. साल 1922 में अल्लूरी सीताराम की अगुवाई में आदिवासियों ने विद्रोह कर दिया. इसको रम्पा विद्रोह नाम दिया गया. अल्लूरी की अगुवाई में गुरिल्ला युद्ध 700 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैल गया. आदिवासियों ने पुलिस थाने को भी निशाना बनाया. थानों पर गुरिल्ला हमले होते थे. शास्त्रागार लूट लिए जाते थे. 
अंग्रेजों ने अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया. अंग्रेजों ने 2 साल के भीतर पकड़ने केलिए 40 लाख रुपए खर्च कर दिए.

पकड़े गए अल्लूरी सीताराम राजू-
साल 1924 में अल्लूरी सीताराम राजू को अंग्रेज पुलिस ने पकड़ लिया. जब राजू को पकड़ा गया तो पुलिस उनको पहचान नहीं पाई थी. राजू ने खुद अपना परिचय दिया और कहा कि मैं ही अल्लूरी सीताराम राजू हूं. 7 मई को उनको एक पेड़ से बांध दिया गया. इसके बाद उनको गोली मार दी गई. अल्लूरी को मन्यम वीरुडु नाम दिया गया था. इसका मतलब जंगल का नायक होता है.

ये भी पढ़ें: