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Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति की तरह जगन्नाथ पुरी मंदिर का प्रसाद भी है दुनियाभर में फेमस... किसी आरोप से पहले ही प्रशासन ने शुरू कर दिया क्वालिटी टेस्ट ताकि बरकरार रहे शुद्धता

तिरूपति मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की खबर से भक्तों के मन को गहरी चोट पहुंची है. इस विवाद को देखते हुए ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में पहले से पहले घी की टेस्टिंग शुरू हो गई है.

Jagannath Puri Mahaprasad (Photo: X.Com) Jagannath Puri Mahaprasad (Photo: X.Com)
हाइलाइट्स
  • चार धाम में से एक है जगन्नाथ मंदिर 

  • हर दिन लाखों लोगों के लिए बनता है प्रसाद

तिरूपति मंदिर में लड्डुओं में मिलावट को लेकर बढ़ते विवाद के बीच, देश के सभी प्रतिष्ठित मंदिरों और उनके प्रसादों के बारे में लोगों के मन में सवाल आने लगे हैं. इस स्थिति को भांपकर ओडिशा प्रशासन ने बिना देर गंवाए पुरी के जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद को तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले घी की शुद्धता की जांच करने का फैसला किया है. हालांकि, यहां प्रसाद के बारे में कोई शिकायत नहीं की गई है, लेकिन मंदिर प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. घी की गुणवत्ता की राज्य सरकार के नेतृत्व में जांच शुरू कर दी गई है. 

चार धाम में से एक है जगन्नाथ मंदिर 
पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार धामों- पुरी, द्वारिका, बद्रीनाथ और रामेश्वर, में से एक है. बड़ी संख्या में भक्त भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. खासकर रथयात्रा के दौरान पुरी में दुनियाभर से लोगों का जमावड़ा लग जाता है. पुरी में, भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा, उनके बड़े भाई बालभद्र को साथ पूजा जाता है. 12वीं शताब्दी में, गंगा राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा, अनंत वर्मन चोडगंगा देव ने, पुरी के समुद्र तट पर श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर बनवाया था. यह भारतीय राज्य ओडिशा के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है.

जगन्नाथ का मुख्य मंदिर कलिंग वास्तुकला में बनी एक प्रभावशाली और अद्भुत इमारत है और यह 65 मीटर की ऊंचाई पर एक ऊंचे मंच पर खड़ी है. सालभर, पुरी में कई श्रीजगन्नाथ उत्सव आयोजित होते हैं. इन उत्सवों में स्नान यात्रा, नेत्रोत्सव, रथ यात्रा (वाहन उत्सव), सायन एकादसी, चितलागी अम्बास्या, श्रीकृष्ण जन्म, दशहरा और कई अन्य शामिल हैं. रथ यात्रा (रथ महोत्सव) और बाहुदा यात्रा सबसे प्रमुख त्यौहार हैं.

जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद 
जगन्नाथ मंदिर में सुबह से शाम तक कई तरह के भोग भगवान जगन्नाथ को लगाए जाते हैं. इनमें कोठा भोग काफी मशहूर है. जगन्नाथ मंदिर में देवताओं को चढ़ाए जाने वाले पहले पके हुए भोजन को 'कोठा भोग' कहा जाता है. इसे सकल धूप या राजा भोग के नाम से भी जाना जाता है और सुबह 10 बजे के आसपास इसका भोग लगाया जाता है. इसमें खेचुड़ कनिका (मीठा घी चावल), तली हुई हरी पत्तियां, अदरक की चटनी, सब्जी फ्राई, और बहुत कुछ शामिल होता है. 

इसके अलावा, भगवान को चढ़ाया जाने वाला भोग ही भक्तजनों को बांटा जाता है. भक्तों को बांटने के लिए बड़े पैमाने पर भोग तैयार होता है. इसे महाप्रसाद भी कहते हैं. यह महाप्रसाद मंदिर की रसोई में तैयार किया जाता है. यहां पर मिट्टी के बर्तनों में चूल्हे पर भोग पकाया जाता है. आपको बता दों कि जगन्नाथ पुरी की रसोई इतनी बड़ी है कि लाखों लोगों के लिए यहां भोग बनता है.   

सामग्री: महाप्रसाद में पके हुए चावल, दाल, सब्जी करी, मीठे व्यंजन, केक और सूखी मिठाइयां शामिल हैं. यह महाप्रसाद सभी जातियों और पंथों के लोगों के लिए निःशुल्क उपलब्ध है. आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया में सबसे बड़ी मानी जाती है.

प्रशासन ने उठाए हैं ये कदम 
पुरी के जिला कलेक्टर, सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने मीडिया को बताया कि यहां प्रसाद में मिलावट का कोई आरोप नहीं लगाया गया है, फिर भी प्रशासन कोठा भोग (देवताओं के लिए प्रसाद) और बारादी भोग (ऑर्डर पर प्रसाद) तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले घी की गुणवत्ता की टेस्टिंग करा रहा है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. मंदिर की रसोई में प्रतिदिन एक लाख भक्तों के लिए खाना पकाने की क्षमता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लकड़ी का उपयोग करके मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाने वाला महाप्रसाद मुख्य सामग्री के रूप में घी पर बहुत अधिक निर्भर करता है.

एक बार पकने के बाद, इसे पहले भगवान जगन्नाथ और फिर देवी बिमला को चढ़ाया जाता है, जिसके बाद यह महाप्रसाद बन जाता है.
घी की टेस्टिंग का निर्णय आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डुओं में कथित मिलावट पर व्यापक विवाद के बीच आया है. यहां पर तिरुपति के लड्डू में एनिमल फैट का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. 

इससे पहले, मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर को भी इसी तरह के विवाद का सामना करना पड़ा था जब एक वायरल वीडियो में चूहों को फटे प्रसाद के पैकेटों पर रेंगते हुए दिखाया गया था। हालांकि, मंदिर अधिकारियों ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि वीडियो मंदिर परिसर के बाहर शूट किया गया था. बहरहाल, मामले की आगे की जांच के लिए सिद्धिविनायक मंदिर में जांच शुरू कर दी गई है.

सरकारी डेयरी से आता है घी 
स्वैन ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी यूनिट ओडिशा मिल्क फेडरेशन (Omfed) कई वर्षों से मंदिर को घी की आपूर्ति कर रही है. उन्होंने पीटीआई को बताया कि मिलावट के किसी भी डर को दूर करने के लिए ओमफेड से आपूर्ति किए जा रहे घी के मानक की जांच करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि ओमफेड के प्रतिनिधियों और प्रसाद तैयार करने के लिए जिम्मेदार मंदिर के सेवकों दोनों के साथ चर्चा की जाएगी. 

कलेक्टर ने कहा कि जिला प्रशासन ने वर्तमान में स्टोर्ड मैटेरियल्स के मानकों की जांच करने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के साथ पहले ही बातचीत कर ली है. प्रशासन ने मंदिर में दीयों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता की जांच करने का भी फैसला किया है, क्योंकि मंदिर के एक सेवादार ने आरोप लगाया था कि पहले मंदिर परिसर पर मिलावटी घी का इस्तेमाल 'दीये' या दीपक जलाने के लिए किया जाता था. इस मामले में भी जांच का आश्वासन दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि भक्तों का विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है इसे बनाए रखना बड़ी जिम्मेदारी है.