तमिलनाडु के अरक्कोणम नौसेना के हवाई अड्डे पर सब लेफ्टिनेंट अनामिका बी राजीव को भारतीय नौसेना की पहली महिला हेलिकॉप्टर पायलट का दर्जा प्राप्त हुआ. अरक्कोणम नेवल हवाई अड्डे पर आयोजित की गई पासिंग-आउट परेड में उन्हें 'गोल्डन विंग्स' से सम्मानित किया गया. जिसके बाद वह पहली महिला नौसेना हेलिकॉप्टर पायलट बनीं.
21 अफसर हुए 'गोल्डन विंग्स' से सम्मानित
लद्दाख के फर्स्ट कमीशन ऑफिसर, लेफ्टिनेंट जमयांग त्सावांग भी हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में ग्रेजुएट हुए. यह सूचना भारतीय नौसेना ने दी. सब लेफ्टिनेंट राजीव और लेफ्टिनेंट त्सावांग उन 21 अफसरों में शामिल हैं, जिन्हें 'गोल्डन विंग्स' से सम्मानित किया गया. यह सम्मान आईएनएस राजाली में पासिंग आउट परेड के दौरान दिया गया. दोनों लेफ्टिनेंट को पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर, कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने सम्मानित किया. यह बयान शनिवार को नौसेना की तरफ से आया.
कब हुआ परेड का आयोजन?
22 हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग के बाद शुक्रवार को परेड का आयोजन किया गया. इन 22 हफ्तों में मुश्किल उड़ान और जमीनी प्रशिक्षण करवाया गया. शुरुआती प्रशिक्षण भारतीय वायु सेना ने कराया.
क्या कहना है अनामिका और लेफ्टिनेंट जामयांग को लेकर?
नौसेना ने सब लेफ्टिनेंट अनामिका के लिए कहा कि उन्होंने पहली भारतीय नौसेना हेलिकॉप्टर पायलट बना इतिहास रचा. यह इस बात का प्रतीक है कि किस तरह नौसेना जेंडर को लेकर पहले से कोई धारणा नहीं रखती है. साथ ही महिलाओं के लिए करियर के अवसर प्रदान करती है. वहीं लेफ्टिनेंट जामयांग के लिए कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले हेलिकॉप्टर पायलट हैं.
खानदान की चौधी पीढ़ी भी आर्मी में शामिल
बेंगलुरु के ध्रुव दहिया अपने खानदान में चौथी पीढ़ी के अधिकारी हैं। 21 वर्षीय ध्रुव दहिया उन 394 कैडेट्स में से एक हैं, जो शनिवार को इंडियन मिलिट्री अकेडमी के पास हुए. इस समारोह में उनके साथ उनके पिता, शिवनात और दादा सज्जन कुमार मौजूद रहे. ध्रुव दहिया का परिवार मूल रुप से हरियाणा के रोहतक का रहने वाला है.
क्या रहा है उनके परिवार का इतिहास?
ध्रुव दहिया के परदादा बर्मा और अफ्रीका के बीच हुए द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे. जबकि उनके दादा ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था. वह शौर्य चक्र के विजेता हैं. वहीं उनके पिता, शिवनाथ दहिया तेजस के टेस्ट पायलट थे. वह आईएनएस विक्रांस पर प्लेन को लैंड कराने वाले पहले व्यक्ति थे.
क्या कहना है ध्रुव दहिया का?
ध्रुव दहिया का कहना है कि सेना में भर्ती होने के लिए उनपर कोई दबाव नहीं था. बल्कि उनकी परिवार ने जिस तरह देख की सेवा की है वह उनके लिए एक प्रेरणा थी. ध्रुव ने कहा कि वह अपनी तरफ से सेना में निष्ठा के साथ काम करेंगे. साथ ही परिवार और देश को खुद पर गर्व करने का मौका देंगे.