17 अप्रैल को पर्वतारोही अनुराग मालू, अर्जुन वाजपेई, बलजीत कौर और आयरलैंड की पर्वतारोही नोएल हन्ना दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची पर्वत चोटी अन्नपूर्णा पर चढ़ाई के दौरान हादसे के शिकार हो गए थे. इस हादसे में अर्जुन वाजपेयी और बलजीत कौर को रेस्क्यू कर लिया गया था. जबकि आयरलैंड के पर्वतारोही नोएल की मौत हो गई थी. लेकिन अनुराग का कुछ पता नहीं चल पाया था. अनुराग के लापता होने के 3 दिन बाद दो पोलिश पर्वतारोही एडम बेलेकी और मारियस हताला ने बर्फीली खाई से बाहर निकाला. इसके बाद उनको नेपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके बाद अनुराग मालू को दिल्ली लाया गया. 200 दिनों तक उनका एम्स में इलाज चला. इस दौरान सर्जरी भी की गई. 31 अक्टूबर को अनुराग मालू को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
200 दिनों तक अस्पताल में रहे अनुराग-
अनुराग मालू का 200 दिनों तक अस्पातल में इलाज चला. इलाज बाद वो घर पहुंचे. 34 साल के अनुराग मालू राजस्थान के किशनगढ़ के रहने वाले हैं. जब वो अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे तो दोस्तों और परिवार के लोगों ने उनका स्वागत किया. इंडिया एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मालू ने कहा कि जिंदगी खूबसूरत है. इतने लंब समय तक अस्पताल में रहने के बाद आपको एहसास होता है कि बेहतर होगा कि आप हर पल को जीना शुरू कर दें. 7 महीने के बाद घर में हूं, बहुत अच्छा महूसस हो रहा है. मालू ने कहा कि खाई में गिरने से बाद मैं मां के गर्भ में एक बच्चे की तरह था. अन्नपूर्णा देवी माता ने मुझे बचाया और मैं घर वापस आया हूं.
पोखरा में 4 घंटे तक CPR दिया गया था-
अनुराग मालू को अपने रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में कुछ ज्यादा याद नहीं है. वो बताते हैं कि मुझे क्रेवास से पोखरा अस्पताल तक के बारे में कुछ भी याद नहीं है. जहां से डॉक्टरों ने मुझे काठमांडू शिफ्ट करने से पहले 4 घंटे तक सीपीआर दिया था. वो कहते हैं कि मुझे काठमांडू में बिताए 10-12 दिनों के बारे में कुछ भी याद नहीं है. मालू कहते हैं कि जब मैं होश में आया तो अपने शरीर और दाहिने हाथ पर घाव की ड्रेसिंग करते हुए देखा था.
माउंट अन्नपूर्णा पर चढ़ाई करना चाहते हैं मालू-
अनुराग मालू का इलाज एम्स ट्रामा सेंटर और बर्न्स एंड प्लास्टिक सर्जरी आईसीयू में किया गया था. मालू फिर से पर्वतारोहण के लिए उत्साहित हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वो बताते हैं कि मेरा हमेशा से मानना रहा है कि माउंट अन्नपूर्णा चढ़ाई के लिए सबसे कठिन पर्वत है और अगर मैं 8000 मीटर की चढ़ाई करने जा रहा हूं तो यह माउंट अन्नपूर्णा ही होगा. मैं मातृ पर्वत मानता हूं. अगर मैं माउंट अन्नपूर्णा पर चढ़ सकता हूं तो दुनिया के किसी भी पर्वत पर चढ़ सकता हूं.
हादसे के बारे में मालू ने बताया-
कैंप 3 से कैंप 2 की तरफ उतरते वक्त 17 अप्रैल को हादसा हुआ था और अनुराग मालू एक गहरे दरार में गिर गए थे. मालू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैंने गलत रस्सी ले ली थी. शेरपा मेरे पीछे थे और मुझे नहीं पता था कि कौन सी रस्सी लेनी है. वो बताते हैं कि अगर मेरा शेरपा मेरे आगे होते तो उसे पता होता कि कौन सी रस्सी लेनी है. मैंने सबक सीख लिया है.
मालू खुद को बचाने के लिए दो पोलिश पर्वतारोहियों का जिक्र करते हैं. वो बताते हैं कि जब मैं एडम का बचाव वीडियो देखता हूं तो सचमुच मेरे रोंगटे खड़े हो जाते रहैं. वे मेरे शव को बाहर लाने की योजना बना रहे थे. तभी एडम ने मुझे देखा और मेरे चेहरे के पास टॉर्च लाया. उसने मेरी आंखें झपकती और हल्की सांसें चलती देखी. उसने देखा कि मैं जिंदा हूं. उसने गहरी दरार से मुझे पुली सिस्टम की मदद से बाहर निकाला. उस समय सिर्फ वो ही इसे कर सकता था.
अनुराग मालू ने ठीक होने के बाद एडम के साथ बातचीत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मेरी जान बचाने के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया. उसके लिए मैंने उन्हें धन्यवाद दिया. मैं उस आदमी को और क्या कह सकता हूं, जिसने मेरी जान बचाई?
अनुराग मालू के जल्द ठीक होने की उम्मीद है. वो कहते हैं कि उम्मीद है कि मैं ठीक हो जाऊंगा और फिर से पर्वतारोहण शुरू करूंगा.
कैसे हुआ था हादसा-
17 अप्रैल को अनुराग मालू अपनी टीम के साथ दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी अन्नपूर्णा के तीसरे कैंप से नीचे उतर रहे थे, उसी वक्त हादसा हुआ. अनुराग मालू के गलत रस्सी पकड़ने की वजह से हादसा हुआ. इस टीम में हिमाचल प्रदेश के अर्जुन वाजपेई, बलजीत कौर और आयरलैंड के पर्वतारोही नोएल हन्ना शामिल थे. हादसे में अर्जुन वापजेई और बलजीत कौर को रेस्क्यू कर लिया गया था. जबकि नोएल हन्ना की हादसे में मौत हो गई थी. हादसे के तीन दिन बाद अनुराग को रेस्क्यू किया गया था.
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