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India Today Conclave 2025: बिजनेस किसी जेंडर का मोहताज नहीं, ग्रामीण इलाकों में कामकाजी महिलाओं की बढ़ रही संख्या.. महिला टोली ने खोले बिजनेस के राज

सारेगामा की अवर्णा जैन का यह मानना है कि बिजनेस की सफलता तो रिजल्ट ही दिखाते हैं. वह कहती है कि आपको बोलने की जरूरत नहीं, आपका काम ही काफी है.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 के दूसरे दिन एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स की एक्जक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर, सारेगामा की वाइस चेयरपर्सन अवर्णा जैन और द इंडिया टेलीविजन अकादमी की प्रेजिडेंट अनु रंजन ने शिकरत की. 

इस मौके पर नमिता थापर ने कहा कि किसी भी बिजनेस की सफतला उसकी परफॉर्मेंस पर आधारित होनी चाहिए, न कि चलाने वाले पर. थापर ने कहा कि बिजनेस को चाहे पुरुष चलाए या कोई महिला, सेंटर यही रहता है कि वो बिजनेस सफलता के साथ चल पा रहा है या नहीं.

क्या कहता है नमिता थापर का अनुभव
नमिता थापर, उस महिला का नाम है जिसने कॉरपोरेट जगत में 25 वर्ष बिताएं हैं. और बिजनेस की दुनिया को बदलने की चाह रखती है. वह इस बात पर मानती है कि हर बिजनेस में मुश्किल हालात जरूरत आते हैं, लेकिन किसी भी बिजनेस की सफलता को केवल उसके अंको से गिनता चाहिए.

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वह कहती है कि मैं चीज़ों को उम्मीदभरी नज़रों से देखती हूं, साथ ही 25 सालों में मैंने बिजनेस की दुनिया में काफी बदलाव भी देखें है. लेकिन एक चीज़ कभी नहीं बदली और ना ही बदलनी चाहिए, किसी भी बिजनेस की सफलता को उसके चलाने वाले से नहीं बल्कि नंबरों से आंका जाना चाहिए.

अपने इंवेस्टर अनुवभ के बारे में बात करते हुए वह बताती हैं कि निवेशक आपके बिजनेस में केवल आपके नंबर देखकर निवेश करते हैं. बेशक मुश्किले आती हैं. लेकिन आप हर किसी को अपने नंबरों से तो चुप नहीं करा सकते हैं. ऐसे में आपको खामोशी साध लेनी चाहिए. 

नंबर गए तो क्रिएटिविटी गई
थापर की तरह ही सारेगामा की अवर्णा जैन का भी यही मानना है कि बिजनेस की सफलता तो रिजल्ट ही दिखाते हैं. वह कहती है कि आपको बोलने की जरूरत नहीं, आपका काम ही काफी है. अगर आपका काम शानदार है, तो कोई आपसे सवाल नहीं पूछेगा.

अवर्णा जैन का कहना है कि उनके फील्ड में क्रिएटिविटी और बिजनेस के रिजल्ट साथ-साथ चलते है. वह कहती है कि अगर बिजनेस के नंबर ना आए तो उन्हें अपनी क्रिएटिविटी कहीं खोई हुई महसूस होने लगती है. इसलिए उनके लिए तो दोनों के बीच बैलेंस बनाना जरूरी है.

ग्रामीण इलाकों में ज्यादा महिलाएं कर रही काम

अनु रंजन कहती है कि महिलाएं हर काम को बेहतरी से करती हैं. लेकिन एक चीज़ उन्हें काफी हैरान कर रही है. वह कहती हैं कि शहरी इलाकों में कामकाजी महिलाओं की संख्या कम हो रही है और ग्रामीण इलाकों में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. वो अलग बात है कि वह घर से ही काम कर रही हैं.

अनु रंजन ने उन महिलाओं के बारे में भी बात की जो अपना करियर छोड़ देती हैं, जब उनका पार्टनर ठीक-ठाक कमाता है. वह कहती हैं कि यह सही नहीं है. महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपना नाम बनाया है. हमें महिलाओं को अपने करियर की तरफ वापस लौटने की सलाह देनी चाहिए.