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Indian Air Force के पहले फाइव स्टार अधिकारी Arjan Singh को आजादी से पहले मिल चुका है विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस, जानें 1965 के युद्ध के हीरो की कहानी

Arjan Singh Birthday Special: इंडियन एयर फोर्स के पहले फाइव स्टार अधिकारी अर्जन सिंह को 1965 के युद्ध के दौरान उनके कुशल नेतृत्व के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. उनके सम्मान में वायु सेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर वायु सेना स्टेशन अर्जन सिंह किया गया.

अर्जन सिंह (फाइल फोटो) अर्जन सिंह (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को हुआ था

  • 2002 में वायु सेना के मार्शल के पद से किए गए सम्मानित

1965 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने पर लाने वाले मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर (अब पाकिस्तान में फैसलाबाद) में हुआ था. पायलट के प्रशिक्षण के लिए 1938 में उन्हें 19 साल की उम्र में रॉयल एयर फोर्स कॉलेज, क्रेनवेल के लिए चुना गया था. भारतीय कैडेट्स के अपने बैच में उन्होंने कोर्स में टॉप किया था. कॉलेज के दिनों में वह तैराकी, एथलेटिक्स और हॉकी टीमों के उप कप्तान रहे.

भारतीय वायुसेनाध्यक्ष का पद संभाला
अर्जन सिंह ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा के अभियान में विशेष योगदान दिया था. इसके लिए 1944 में उनको प्रतिष्ठित ब्रिटिश पुरस्कार डिस्टिंगाइश्ड फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया. 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब अर्जन सिंह को भारतीय वायुसेना के सौ से अधिक विमानों के फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व करने का अनूठा सम्मान दिया गया. 44 वर्ष की आयु में अर्जन सिंह ने 01 अगस्त 1964 को एयर मार्शल की रैंक पर भारतीय वायुसेनाध्यक्ष का पद संभाला।

पद्म विभूषण से किया गया सम्मानित 
अर्जन सिंह ने वायुसेना अध्यक्ष के तौर पर 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अहम भूमिका निभाई. पाकिस्तान को घुटने पर आने के लिए मजबूर कर दिया. अर्जन सिंह को 1965 युद्ध में असाधारण नेतृत्व कौशल के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उसके बाद युद्ध में वायुसेना के योगदान को देखते हुए वायुसेना अध्यक्ष की रैंक को अपग्रेड करके एयर चीफ मार्शल करके दिया गया. इस तरह वह भारतीय वायुसेना के पहले एयर चीफ मार्शल बन गए. अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के पहले 'फाइव स्टार' रैंक के अधिकारी बने. भारतीय वायुसेना में उनके योगदान को याद करने के लिए वायु सेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर 2016 में वायु सेना स्टेशन अर्जन सिंह कर दिया गया.

कई तरह के विमानों में भरी उड़ान
अर्जन सिंह ने अपने करियर में 60 अलग-अलग तरह के विमानों की उड़ान भरी. उन्होंने बाईप्लेन से लेकर सुपरसोनिक मिग-21 तक की उड़ान भरी. उन्होंने पहली बार वायुसेना अध्यक्ष के तौर पर अकेले मिग-21 की उड़ान भरी. करियर के अंतिम दिनों में उन्होंने उड़ान भरना नहीं छोड़ा.

सेवानिवृत्त होने के बाद निभाई ये भूमिका
अर्जन सिंह 16 जुलाई, 1969 को वायुसेना से सेवानिवृत्त हुए थे. इसके बाद 1971 में उन्हें स्विटरजलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया. इसके बाद वह केन्या में भारत के उच्चायुक्त रहे. 1978 में उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के तौर पर सेवाएं दी. वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, नई दिल्ली के चेयरमैन बने और 1983 तक पद पर रहे. 1989 में उनको दिल्ली का उपराज्यपाल बनाया गया. भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वह भूतपूर्व वायुसैनिकों के कल्याण के लिए समर्पित रहे. इसके लिए 2004 में उन्होंने एक ट्रस्ट की स्थापना की थी. 

जहाज उड़ाने के अलावा गोल्फ के प्रति थी दीवानगी
अर्जन सिंह को जहाज उड़ाने के अलावा गोल्फ के प्रति दीवानगी थी. वह अपने जीवन के आखिरी दिनों तक गोल्फ खेलते रहे. जब शरीर एकदम कमजोर हो गया और वो चलने में असमर्थ होने लगे, तब भी वह दिल्ली गोल्फ क्लब में अपनी व्हील चेयर पर बैठ कर लोगों को गोल्फ खेलते हुए देखा करते थे. अर्जन सिंह का 98 साल की उम्र में 16 सितंबर 2017 को निधन हो गया था.