पिछले हफ्ते संसद में एमएचए (MHA) द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डेटा से पता चलता है कि, औसतन, 5 अगस्त, 2019 से यूटी (UT)ने एक महीने में औसतन 3.2 हताहतों की संख्या देखी है, जबकि लगभग 2.8 हताहतों की संख्या एक महीने में हुई है. इससे पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में उस अवधि में मारे गए सेना के जवानों के तुलनात्मक आंकड़े 1.7 प्रति माह और 2.8 प्रति माह हैं.
मई 2014 और 5 अगस्त, 2019 के बीच, जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया. 63 महीने की अवधि में तत्कालीन राज्य में हमलों में 177 नागरिक मारे गए. उसके बाद के 27 महीनों में नवंबर तक 87 नागरिक मारे गए. उनमें से 40 से ज्यादा अकेले इसी साल मारे गए. 1 दिसंबर को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हताहतों की संख्या कम होने पर जोर देते हुए डेटा प्रस्तुत किया था.
हत्याओं को रोकने में सफल - MHA
पिछले कुछ महीनों में घाटी में नागरिकों पर अल्पसंख्यकों और प्रवासी कामगारों सहित कई हमले हुए हैं, जिससे सुरक्षा नेटवर्क और कड़ा हो गया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि हमले शुरू होने के बाद से 20 से अधिक संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया गया है. एमएचए के एक अधिकारी ने कहा: "खुफिया ब्यूरो और जम्मू-कश्मीर पुलिस दोनों ने कुछ अच्छी खुफिया जानकारी तैयार की, जिससे सफल मुठभेड़ हुई. हम हमलों और हत्याओं को रोकने में भी सफल रहे हैं.
ये भी पढ़ें: