
Delhi Politics: दिल्ली (Delhi) में फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने प्रस्तावित हैं. इससे पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. हिंदू और हिंदुत्व वाली राजनीति बढ़ती जा रही है.
अब तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) मंदिर और धर्म की बात करती आई है. अब इसी पिच पर आम आदमी पार्टी (AAP) उतर गई है. नए साल की शुरुआत के साथ ही दिल्ली की सियासत में जिस तरीके की तल्खी बढ़ी है, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव तक दिल्ली में जुबानी घमासान अभी और जोर पकड़ेगा.
केजरीवाल ने पूछे ये सवाल
दिल्ली में चिट्ठी पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal) ने नए साल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) को चिट्ठी लिखी है. केजरीवाल ने बीजेपी नेताओं पर हमला बोलते हुए मोहन भागवत से कई सवाल पूछे हैं. केजरीवाल ने पहला सवाल पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या RSS उसका समर्थन करती है.
दूसरा सवाल पूछा कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या RSS वोट खरीदने का समर्थन करती है. तीसरा सवाल पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या RSS को लगता है ये लोकतंत्र के लिए सही है. इसके साथ ही केजरीवाल ने सवाल किया है कि क्या RSS को नहीं लगता बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है?
व्यक्त की कड़ी प्रतिक्रिया
केजरीवाल की भागवत को लिखी गई चिट्ठी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल का आरएसएस प्रमुख को लिखा गया पत्र मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने केजरीवाल से कहा, आरएसएस को मत लिखिए, उससे सीखिए. राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने केजरीवाल से कहा, सेवा की भावना (आरएसएस और उसके सहयोगियों से) सीखें. अपनी राजनीतिक चालें छोड़ दें.
इससे पहले भी लिख चुके हैं चिट्ठी
आपको मालूम हो कि दिल्ली की राजनीति में लगातार चिट्ठी पॉलिटिक्स चल रही है. केजरीवाल ने पहली बार नहीं आरएसएस प्रमुख को लेटर लिखा है. इससे पहले भी वह कई बार मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर बीजेपी और पीएम मोदी पर हमला बोल चुके हैं. दिल्ली की सीएम आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक चिट्ठी लिखी थी.
इस चिट्ठी में उन्होंने मंदिर और बौद्ध धार्मिक स्थल तोड़े जाने का मुद्दा उठाया था. अपनी चिट्ठी में उन्होंने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल के आदेश पर दिल्ली के मंदिरों और बौद्ध धार्मिक स्थलों को तोड़ने के निर्देश दिए गए. उन्होंने अपनी चिट्ठी में कहा कि बौद्ध धार्मिक स्थलों से दलित समुदाय की आस्था जुड़ी हुई है. हालांकि एलजी ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि ध्यान भटकाने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ये सब कर रही है.