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Assam Muslim Marriage Bill 2024​: असम में निकाह को लेकर नया बिल, जानें शादी मान्य बनाने के लिए मुस्लिमों को क्या करना होगा?

असम सरकार मुस्लिम निकाह और तलाक को लेकर नया कानून लाने जा रही है. Registration of Muslim Marriage and Divorce Bill 2024 को राज्य कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है. इस नए बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इस्लामिक मैरिज सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ये बदलाव सिर्फ रजिस्ट्रेशन पार्ट में किया गया है.

CM Himanta Biswa Sarma (Photo/@himantabiswa) CM Himanta Biswa Sarma (Photo/@himantabiswa)

असम में मुस्लिम निकाह को लेकर अब 90 साल पुराना कानून बदल जाएगा. हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार निकाह को लेकर नया कानून लाने जा रही है. राज्य कैबिनेट से मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 को मंजूरी मिल गई है. इस बिल में निकाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा. अब निकाह का रजिस्ट्रेशन काजी नहीं, बल्कि सरकार करेगी.

बिल में 2 विशेष प्रावधान-
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया और बताया कि असम कैबिनेट ने मुस्लिम निकाह रजिस्ट्रेशन बिल 2024 को मंजूरी दे दी है.

इसमें दो विशेष प्रावधान हैं. पहला- अब मुस्लिम निकाह का रजिस्ट्रेशन काजी नहीं, बल्कि सरकार करेगी. जबकि दूसरा प्रावधान है कि बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन को अवैध माना जाएगा. 

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इस्लामिक मैरिज सिस्टम में कोई बदलाव नहीं-
मुख्यमंत्री ने कहा कि काजी नाबालिगों की शादी को भी रजिस्टर करते थे. अब किसी भी कीमत पर नाबालिग की शादी रजिस्टर्ड नहीं होगी. हम चाहते हैं कि चाइल्ड मैरिज का कोई भी खतरा ना रहे.

सीएम ने कहा कि इस्लामिक मैरिज सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हो रहा है. सिर्फ रजिस्ट्रेशन पार्ट में बदलाव होगा. उन्होंने कहा कि शादी और तलाक का सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकरण होगा.

साल 1935 से रजिस्ट्रेशन नहीं था अनिवार्य-
डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और रजिस्ट्रार को 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड को लेने को कहा गया है, जिनको साल 1935 में अंग्रेजों के समय वैध बनाया गया था. यह कानून निकाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तय करता था.

उस कानून में निकाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था. लेकिन साल 2010 में कानून में संशोधन किया गया और स्वैच्छिक की जगह अनिवार्य शब्द जोड़ा गया. इसके साथ ही सूबे में निकाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया.

इतना ही नहीं, साल 1935 के कानून में लड़कों की 21 साल से कम और लड़कियों की 18 साल से कम उम्र में शादी की गुंजाइश थी. इस कानून में स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह की इजाजत दी जाती थी.

चाइल्ड मैरिज में 81 फीसदी की कमी-
इसी साल जुलाई में इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट जारी हुई थी. इसमें असम सरकार की बाल विवाह से निपटने की कोशिशों की तारीफ की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि असम सरकार ने लीगल एक्शन से बाल विवाह को कम किया है. इसमें बताया गया था कि साल 2021-22 और साल 2023-24 के बीच सूबे की 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 फीसदी की कमी आई है.

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