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Indo-Tibetan Border Police: जहां सांस लेना आसान नहीं, वहां हुंकार भरते हैं बर्फीस्तान के ये कमांडो... जानिए -20 से -40 डिग्री में कैसे काम करते हैं ITBP के हिमवीर

ITBP के जवान भारत-चीन सीमा की निगेहबानी करते हैं. ये कमांडो लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक बॉर्डर पर -20 से -40 डिग्री के तापमान में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए हमेशा मुस्तैद रहते हैं. आइए जानते हैं ये जवान बर्फीले इलाकों में कैसे काम करते हैं?

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हाइलाइट्स
  • भारत-चीन सीमा की निगेहबानी करते हैं ITBP के जवान 

  • दुश्मनों के खतरनाक मिशन को कामयाब न होने देने के लिए रहते हैं तैयार

माइनस 20 से -40 डिग्री तापमान हो, जहां सांस लेना भी आसान नहीं, ऐसी स्थिति में बर्फीस्तान के कमांडो हुंकार भरते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) की.

आईटीबीपी के कमांडो भारत-चीन सीमा की निगेहबानी करते हैं. ये कमांडो देश की सुरक्षा के लिए बर्फीले इलाकों में भी डटे रहते हैं. इन जवानों को औली की बर्फीले रेगिस्तान में कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. 

दी जाती है ट्रेनिंग
आईटीबीपी जवानों को औली में एडवेंचर स्पोर्ट्स की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. हाई एल्टीट्यूड में सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती है. इस बल के जवान माउंटेनियरिंग के अलावा स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइम्बिंग में दक्ष होते हैं. जंगल में युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है.

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रॉक क्राफ्ट, आइस क्राफ्ट और ग्लेशियर ट्रेनिंग आईटीबीपी में माउंटेन ट्रेनिंग का अहम हिस्सा हैं. इसके जवानों को हाई एल्टीट्यूड में रेस्क्यू ऑपरेशन की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है. आईटीबीपी पर्वतारोहण में दक्ष बल है. माउंटेन वारफेयर के लिए इस बल को ट्रेंड किया गया है. बेसिक ट्रेनिंग से ही आईटीबीपी के रंगरूटों को पर्वतारोहण सिखाया जाता है. 

सिखाया जाता है टीम में काम करना
आईटीबीपी जवानों को कड़ी ट्रेनिंग के तहत ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाया जाता है. आईटीबीपी जवानों को ट्रेनिंग के दौरान टीम में काम करना सिखाया जाता है. स्नो कॉम्बैट स्किल में आईटीबीपी के जवानों को दक्ष किया जाता है. गुरिल्ला वारफेयर की ट्रेनिंग दी जाती है.

विपरीत परिस्थितियों में सर्वाइव करने की ट्रेनिंग आईटीबीपी जवानों को दी जाती है. उन्नत हथियारों की ट्रेनिंग भी आईटीबीपी के जवानों को मिलती है. जवान लगातार अभ्यास करते हैं और जो टास्क दिया जाता है उसको कई बार दोहराते हैं.

दुश्मन टिक नहीं पाते
भारत-चीन सीमा की निगहबानी करना कठिन है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक कई ऐसी जगहें हैं, जहां पूरे वर्ष बर्फ रहती है. इस बर्फीले इलाकों में जिन इंसानी कदमों की आहट गूंजती है, वे हैं ITBP के हिमवीर. ITBP के ये हिमवीर जब तैयार होकर इस हिमालय की सफेद चादर से निकलते हैं, तो इनका मुकाबला करने वाले दुश्मन इनके सामने टिक नहीं पाते.

ट्रेनिंग के दौरान आईटीबीपी जवानों को बर्फीले मौसम में दुश्मन के मिशन को नाकाम करना सिखाया जाता है. साथ ही पलटवार करना सिखाया जाता है. आईटीबीपी के जवानों की तैनाती लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों की सरहद पर होती है. पहाड़ी इलाकों में ये दुश्मन पर बखूबी नजर रखते हैं. उनको मुंहतोड़ जवाब देते हैं. 

...तो तुरंत रेस्क्यू में जुट जाती है आईटीबीपी 
विपरीत हालात में खुद को बचाने के साथ दुश्मन पर कैसे वार किया जाए, ये ट्रेनिंग का खास हिस्सा होता है. स्कीइंग इन जवानों की अपने रणकौशल का हिस्सा है. औली जैसे इलाकों में जहां बड़ी तादाद में सैलानी आते हैं, रेस्क्यू ऑपरेशन को भी अंजाम देते हैं.

यानी यदि किसी की जान मुश्किल में हो तो जवान तुरंत एक्टिव हो जाते हैं. ये जवान न सिर्फ अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हैं बल्कि दूसरों को भी मुश्किल से निकालने का हुनर जानते हैं. औली में इस वक्त जमकर बर्फबारी हो रही है. सैलानी इस मौसम का लुत्फ तो ले रहे हैं.लेकिन इस मौसम की अपनी चुनौतियां भी हैं. खतरे भी हैं. जाने अंजाने कोई सैलानी मुसीबत में फंस जाए तो आईटीबीपी की टीम तुरंत रेस्क्यू में जुट जाती है. इसके लिए सभी जरूरी उपकरण उनके पास हैं. यानी ITBP सरहद के साथ ऐसे मौसम में अपने लोगों की हिफाजत भी कर रही है.