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न कोई बात कर सकता है... न कोई मिल सकता है... इस वजह से Lawrence Bishnoi को अहमदाबाद जेल से मुंबई नहीं ला सकती पुलिस

Baba Siddique and Lawrence Bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई के क्रिमिनल रिकॉर्ड और संभावित खतरे को देखते हुए, अगले दो साल के लिए उसे जेल परिसर में ही रखा जाएगा. यह कदम आमजन की सुरक्षा के लिए उठाया गया है. 

Lawrence Bishnoi Lawrence Bishnoi
हाइलाइट्स
  • पूछताछ के लिए भी नहीं ले जाया जा सकता बाहर 

  • 2025 तक जेल में ही रहेगा लॉरेंस 

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई एक बार फिर से चर्चा में है. इसबार लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद सुर्खियों में आया है. उसका नाम इस हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है. कई रिपोर्टों में संकेत दिया गया है कि उसकी गैंग के सदस्य ने ही इस हमले को अंजाम दिया है. अब अधिकारी इसकी जांच करने में लगे हैं और एजेंसियां यह पता लगाने का प्रयास कर रही हैं कि क्या बिश्नोई ने जेल के अंदर से इस अपराध की योजना बनाई थी? 

वर्तमान में लॉरेंस गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है. अगस्त 2023 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की गतिविधियों पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया था. यह निर्णय लॉरेंस बिश्नोई के क्रिमिनल बैकग्राउंड को ध्यान में रखते हुए लिया गया था. अब यह प्रतिबंध अगस्त 2025 तक लागू रहेगा. 2023 की भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 303 (CrPC की धारा 268) के प्रावधानों के अनुसार इसे लगाया गया है.

क्या कहती है BNSS की धारा 303?
हाल ही में BNSS को भारत में मौजूदा आपराधिक कानून ढांचे को आधुनिक बनाने और अपडेट करने के लिए पेश किया गया है. नए कानूनी प्रावधानों का उद्देश्य लॉ एंड ऑर्डर को और भी मजबूत करना है. BNSS की धारा 303 के तहत, सरकार को यह अधिकार है कि वह सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए किसी कैदी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सके. यह धारा CrPC की पुरानी धारा 268 से मिलती-जुलती है. इसके तहत कैदी को जेल से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. 

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पूछताछ के लिए भी नहीं ले जाया जा सकता बाहर 
इस आदेश के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को ऐसे प्रतिबंधों के तहत जेल में रखा गया है, तो उसे किसी भी कारण से, जैसे कि अदालत में पेशी, मेडिकल ट्रीटमेंट, या दूसरे आधिकारिक कामों के लिए बाहर नहीं ले जाया जा सकता. अगर लॉ एनफोर्समेंट या कोई जांच एजेंसी उस व्यक्ति से पूछताछ करना चाहती है, तो यह जेल परिसर के भीतर ही होना चाहिए. इसका उद्देश्य फरार होने के खतरे को खत्म करना, बाहरी आपराधिक नेटवर्क के साथ उस व्यक्ति की बातचीत को सीमित करना और खतरनाक कैदियों पर सख्त नियंत्रण बनाए रखना है.

क्यों लगाया गया है लॉरेंस पर ये प्रतिबंध 
लॉरेंस बिश्नोई एक हाई-प्रोफाइल गैंगस्टर के रूप में जाना जाता है. इसपर वसूली, हत्या और दूसरे कई आपराधिक मामले हैं. वर्तमान में कई मामलों में गुजरात एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) और नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) सहित कई एजेंसियों उसकी जांच कर रही है. उत्तर भारत के क्षेत्रों में उसके गैंग के प्रभाव को देखते हुए, उसे आमजन के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा जाता है. 

गृह मंत्रालय ने शुरू में CrPC की धारा 268 के तहत एक आदेश जारी कर बिश्नोई की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया था. BNSS की शुरुआत के साथ, सरकार ने इसी धारा 303 का उपयोग करके प्रतिबंधों को दो और साल तक बढ़ा दिया, जिससे वह अगस्त 2025 तक साबरमती सेंट्रल जेल में ही बंद रहेगा. 

2025 तक जेल में ही रहेगा लॉरेंस 
इसका मतलब है कि लॉरेंस बिश्नोई अगस्त 2025 तक जेल में ही रहेगा और किसी भी कारण से, यहां तक कि कानूनी या मेडिकल पॉइंटमेंट के लिए भी बाहर नहीं ले जाया जा सकेगा. उसके आपराधिक मामलों से जुड़ी किसी भी जांच या पूछताछ को केवल जेल के भीतर ही किया जा सकता है, साथ ही इसके लिए भी उचित न्यायिक आदेश की जरूरत होगी. अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के कड़े उपाय जरूरी हैं ताकि किसी भी फरार होने की कोशिश, सबूतों के साथ छेड़छाड़, या बाहरी सहयोगियों के साथ बातचीत र को रोका जा सके. ये सब उसपर चल रही जांच में समस्या पैदा कर सकते हैं.