बाला साहेब ठाकरे को एक पहचान में कैद नहीं रखा जा सकता. उन्होंने सबसे पहले कार्टूनिस्ट के तौर पर पहचान बनाई. लेकिन जल्द ही उनकी ये पहचान फीकी पड़ गई और वो मराठी मानुष के हितैषी के तौर पर फेमस हो गए. लेकिन बाला साहेब ठाकरे इस पहचान में भी कैद नहीं रह सके और कट्टर हिंदू का लिबास पहना और हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर पहचाने जाने लगे. बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना नाम से सियासी पार्टी बनाई और महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हुए. बाला साहेब ठाकरे की एक आवाज पर मुंबई की रफ्तार थम जाती थी. चलिए आपको बाल ठाकरे के सफर की कहानी बताते हैं.
बाला साहेब की शुरुआत-
बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में रहने वाले एक मराठी परिवार में हुआ था. उनके पिता केशव सीताराम एक समाजसेवी और लेखक थे. बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर की. उन्होंने फ्री प्रेस जर्नल से करियर की शुरुआत की. लेकिन जल्द ही उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने अपने भाई श्रीकांत के साथ मिलकर 13 अगस्त 1960 को साप्ताहिक मराठी अखबार 'मार्मिक' निकालना शुरू किया. लोगों की समस्यायों को उठाने लगे. लोगों में उनकी पहचान बनने लगी. लोगों के बढ़ते समर्थन को देखकर बाल ठाकरे ने सियासी दल बनाने का फैसला किया.
18 लोगों ने बनाई शिवसेना-
बाल ठाकरे ने बड़ा फैसला लिया और मराठी अधिकारों की लड़ाई के लिए सियासी दल शिवसेना का गठन किया. 19 जून 1966 में मुंबई में 18 लोगों ने मिलकर शिवसेना नाम का संगठन बनाया. ठाकरे ने शिवसेना की पहली रैली मुंबई के शिवाजी पार्क में की. साल 1967 में ठाणे नगर परिषद चुनाव में पार्टी को पहली जीत मिली. दो साल बाद 1968 में शिवसेना को राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकृत कराया.
ठाकरे का कांग्रेस को समर्थन-
साल 1980 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में शिवसेना ने एक सीट पर भी चुनाव नहीं लड़ा था. शिवसेना ने कांग्रेस को समर्थन दिया था. जिसके बाद जनता पार्टी की हार हुई और सत्ता से बाहर होना पड़ा. इस चुनाव के बाद ही महाराष्ट्र को पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री मिला था. बाल ठाकरे के दोस्त अब्दुल रहमान अंतुले मुख्यमंत्री बनाए गए. इसके बाद बदले में कांग्रेस ने विधान परिषद में 3 सीटें शिवसेना को दी थी.
ठाकरे की शिवसेना ने बनाई पहली सरकार-
साल 1989 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने पहली बार बीजेपी ने गठबंधन किया. इस चुनाव में शिवसेना के 4 सांसद चुने गए. साल 1990 में विधानसभा चुनाव में गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने पर शिवसेना को 52 सीटों पर जीत मिली. जबकि बीजेपी को 42 सीटों पर जीत मिली थी. साल 1995 विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की और बीजेपी को 65 सीटें मिली. महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना की सरकार बनी और बाल ठाकरे ने मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया.
बाल ठाकरे पर लगा बैन-
साल 1999 में बाल ठाकरे पर धर्म के नाम पर वोट मांगने का और लगा. 28 जुलाई 1999 को चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे पर लगे आरोपों को सही पाया और 6 साल के लिए चुनाव लड़ने और वोट डालने पर बैन लगा दिया.
बाल ठाकरे और बॉलीवुड-
बाल ठाकरे का बॉलीवुड से काफी लगाव था. उनकी राज कपूर से लेकर अमिताभ बच्चन तक से दोस्ती थी. अमिताभ बच्चन के साथ बाल ठाकरे का एक किस्सा फेमस है. जब बिग बी कुली की शूटिंग के दौरान जख्मी हो गए थे तो बाल ठाकरे ने एयरपोर्ट से अस्पताल ले जाने के लिए एक एंबुलेंस भिजवाया था. बाला साहेब का दिलीप कुमार के साथ भी गहरी दोस्ती थी. दोनों मातोश्री में साथ बैठते थे. लेकिन जब दिलीप कुमार ने निशान-ए-पाकिस्तान खिताब स्वीकार किया तो दोनों के रिश्तों में दरार आ गई.
बाल ठाकरे का परिवार-
बाल ठाकरे के तीन बेटे बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे हुए. बड़े बेटे 20 अप्रैल 1996 को बिंदुमाधव की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. बाल ठाकरे के दूसरे बेटे जयदेव ठाकरे की शादी साल 1987 में स्मिता ठाकरे से हुई. लेकिन ये शादी साल 2004 में टूट गई. उनके बेटे ऐश्वर्य ठाकरे और राहुल ठाकरे हैं. बाल ठाकरे के तीसरे बेटे उद्धव ठाकरे हैं, जो फिलहाल शिवसेना की कमान संभाल रहे हैं और एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उद्धव ठाकरे की शादी रश्मि ठाकरे से हुई है. इनके दो बेटे आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे हैं. राज ठाकरे बाल ठाकरे के भाई श्रीकांत ठाकरे के बेटे हैं.
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