रंग बिरंगी दीवारें और उन रंगों से कल्पनाओं की असंख्य कृतियां. यह कोई सपनों का बादल नहीं बल्कि हकीकत में नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने समझाने और सिखाने के लिए बाल वाटिका हैं जिन की शुरुआत चंडीगढ़ के सभी सरकारी स्कूलों में कर दी गई है. नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शहर के सभी 112 सरकारी स्कूलों में बाल वाटिका क्लास को शुरू करने वाले चंडीगढ़ देश का पहला राज्य बना गया है.
तीन वर्ष की आयु में होना चाहिए बच्चों का एडमिशन
नई शिक्षा नीति के अनुसार विद्यार्थी का सरकारी स्कूल में दाखिला पांच के बजाए तीन वर्ष की आयु में होगा तीन वर्ष के बच्चों को रचनात्मक तरीके से पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने इंफोसिस कंपनी की अर्पण स्वयंसेवी संस्था और कच्ची सड़क फाउंडेशन के सहयोग से स्कूलों में विशेष कार्नर तैयार किया है जिसमें प्रवेश द्वार से लेकर क्लासरूम तक बच्चा खेलता हुआ स्कूल का समय पूरा करेगा.
बच्चों के लिए किया गया है विशेष इंतजाम
सभी सरकारी स्कूलों में बाल वाटिका क्लास कार्नर के लिए विशेष आकर्षक गेट तैयार किए गए हैं. क्लास रूम कॉर्नर की शुरुआत से लेकर अलग-अलग स्थानों पर आकर्षक फर्नीचर और खिलौनों को स्थापित किया गया है ताकि बच्चे क्लासरूम में बैठने पर भी खेलते हुए समय पूरा करें. बाल वाटिका के लिए तैयार किए गए कार्नर में गणित से लेकर सामान्य ज्ञान की जानकारी देते हुए रचनात्मक कलाकृतियों को उकेरा गया है.
6 साल की उम्र में पहली क्लास में होगा बच्चा
आसान भाषा में समझे तो बाल वाटिका नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकारी स्कूल में दाखिला तीन वर्ष की आयु वाले बच्चे का होगा. पहली कक्षा तक पहुंचने से पहले बच्चे को बाल वाटिका क्लास एक, दो और तीन में पढ़ाई करनी होगी और छह वर्ष की उम्र में बच्चा पहली क्लास में प्रवेश पाएगा.
बच्चों के लिए तैयार की जाएगी तरह-तरह की पेंटिंग
शहर के सरकारी स्कूलों में बाल वाटिका क्लास के लिए विशेष कमरे और कार्नर तैयार करने के अलावा स्किल से जुड़ी शिक्षा देने के लिए भी विभिन्न संस्थाओं से तालमेल बनाया है. विभिन्न स्कूलों में क्रिएटिव को प्रोत्साहित करने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने वाले, पेंटिंग सहित कला के विभिन्न काम करने वाले कलाकारों और कारीगरों को जोड़ा गया है.