सड़क हादसों में जान बचाने के लिए बांस के बने क्रैश बैरियर-बाहुबल्ली का प्रयोग यूपी में भी शुरू हो गया है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI)की ओर से समिट बिल्डिंग के सामने शहीद पथ पर पांच सौ मीटर के दायरे में इसे लगाया गया है. अभी इसे और आगे लगाया जा रहा है. यह स्टील के बैरियर का एक मजबूत विकल्प है. दुर्घटना होने पर यह शॉक एब्जॉर्ब कर लेगा, जिससे वाहन की गति कम हो जाएगी. वहीं वाहन सड़क के नीचे खाई और गड्ढे में नहीं जा सकेंगे.
इको फ्रेंडली है
यूपी में पहली बार इस बंबू क्रैश बैरियर का इस्तेमाल किया गया है. शहीद पथ पर जहां इसे लगाया गया है वहां आए दिन हादसे होते रहते हैं. एनएचएआई के डिप्टी मैनेजर टेक्निकल श्रीराम कुशवाहा ने इसकी सबसे खास बात बताई. उन्होंने कहा कि यह बैरियर ईको फ्रेंडली है. इसमें छत्तीसगढ़ के एक खास प्रजाति के बांस का इस्तेमाल किया गया है. इससे न केवल लोगों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है. अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाया गया है. इसके बाद शहीद पथ के अन्य मार्गों व हाईवे पर इसे लगाया जाएगा.
कब लगा था पहला बंबू क्रैश बैरियर
विश्व का पहला बंबू क्रैश बैरियर महाराष्ट्र में इसी साल मार्च में लगाया गया था. तब केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसको नाम बाहुबल्ली दिया था.
परीक्षण में भी उतरा खरा
नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स इंदौर में बांस क्रैश बैरियर का परीक्षण किया था. यही नहीं, रुड़की में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान में फायर रेटिंग टेस्ट के दौरान भी इसे बेहतर बताया गया था. कठोर परीक्षणों के बाद इसको इंडियन रोड कांग्रेस भी मान्यता प्रदान कर चुका है. उन्होंने बताया इस बैरियर को बनाने में बंबूसा बालकोआ प्रजाति के बांस का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कीड़ों से सुरक्षित रखने वाले तेल-क्रेओसोट का लेप लगाया जाता है. इसके बाद हाई डेंसिटी पॉली एथिलीन की कोटिंग की गई है. इस कोटिंग से उच्च तापमान में भी बैरियर को नुकसान नहीं पहुंचेगा.