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Internet Shutdown: हरियाणा के Nuh में हिंसक झड़प के बाद इंटरनेट सेवाओं पर रोक, कोई सरकार कैसे इसे करती है बंद, जानिए क्या है नियम

Internet Ban: सरकार को जब कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका होती है तो इंटरनेट सेवाओं को वह बंद करा देती है. एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक बार इंटरनेट को बंद किया गया है.

Internet Ban Internet Ban
हाइलाइट्स
  • 2017 से पहले जिले के डीएम इंटरनेट बंद करने का देते थे आदेश 

  • नूंह में 2 अगस्त 2023 तक इंटरनेट सेवाएं बंद

हरियाणा के नूंह जिले में सोमवार को दो गुटों में हिंसक झड़प हो गई. यह धार्मिक उन्माद और क्षेत्रों में न फैले इसके लिए प्रशासन ने कई जिलों से पुलिस फोर्स मंगाई है. अफवाहों से बचने के लिए प्रशासन ने 2 अगस्त 2023 तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है. आइए आज जानते हैं कोई सरकार इंटरनेट सेवाओं पर कैसे रोक लगाती है और क्या है इसके लिए नियम.

इंटरनेट बंद क्यों किया जाता है
सामान्य परिस्थितियों में इंटरनेट भी सामान्य तरीके से चलता रहता है. लेकिन जब सरकार को कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका होती है तो इंटरनेट को वह बंद करा देती है. हाल के समय में देखा गया है कि किसी सांप्रदायिक या राजनीतिक तनाव की घटना में इंटरनेट पर मौजूद मैसेजिंग ऐप्स या सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज तेजी से फैलाई जाती है. इसमें हिंसा करने के लिए लोगों को इकट्ठा करने और दूसरी तरह की हिंसक गतिविधियां शामिल होती हैं. ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो इसके लिए सरकार इंरनेट सेवाओं को बंद कर देती है.

किस कानून के तहत सरकार इंटरनेट सेवाएं करती है बंद 
1. कोई भी राज्य सरकार THE TEMPORARY SUSPENSION OF TELECOM SERVICES (PUBLIC EMERGENCY OR PUBLIC SAFETY) RULES 2017 के तहत कभी भी इंटरनेट शटडाउन कर सकती है.
2. केंद्र सरकार भी द टेम्परेरी सस्पेन्शन ऑफ लेलेकोम सर्विसेज के तहत कभी भी इंटरनेट शटडाउन कर सकती है.
3. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC), 1973 सेक्शन की 144 के तहत DISTRICT MAGISTRATE/SUB DIVISIONAL MAGISTRATE भी इंटरनेट सेवाएं बंद करवा सकते हैं.
4. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC), 1973 SECTION 144 के तहत राज्य सरकारें भी EXECUTIVE MAGISTRATE कभी भी इंटरनेट शटडाउन कर सकती है.
5. द इंडियन टेलग्रैफ ऐक्ट 1885 सेक्शन 5(2) के तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार पब्लिक इमरजेंसी, पब्लिक के भलाई के लिए या फिर भारत की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भी कभी-कभी इंटरनेट को शटडाउन कर सकती है.

देश में इंटरनेट पर कैसे लगता है बैन?
1. केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं.
2. यह ऑर्डर एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के माध्यम से भेजा जाता है. उक्त अधिकारी सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट सर्विस ब्लॉक करने के लिए कहता है.
3. ऑर्डर को अगले कामकाजी दिन (वर्किंग डे) के भीतर केंद्र या राज्य सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजना होता है. इस रिव्यू पैनल को 5 वर्किंग डेज में इसकी समीक्षा करनी होती है. केंद्र सरकार के रिव्यू पैनल में कैबिन सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी होते हैं. वहीं, राज्य सरकार से दिए गए आदेश के रिव्यू पैनल में चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और एक कोई अन्य सेक्रेटरी शामिल रहते हैं. 

इमर्जेंसी में क्या होता है
इमरर्जेंसी की स्थिति में केंद्र या राज्य के गृह सचिव की ओर से अधिकृत किए गए ज्वाइंट सेक्रेटरी इंटरनेट बैन करने के लिए आदेश दे सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें 24 घंटे के भीतर केंद्र या राज्य के गृह सचिव से इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी.

2017 से पहले अलग था नियम
साल 2017 से पहले जिले के डीएम इंटरनेट बंद करने का आदेश देते थे. 2017 में सरकार ने इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलिकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स तैयार किए. इसके बाद अब सिर्फ केंद्र या राज्य के गृह सचिव या उनकी ओर से अधिकृत अथॉरिटी इंटरनेट बंद करने का आदेश दे सकते हैं.

जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक बार इंटरनेट हुआ बंद
इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन्स समेत दो थिंक टैंक संस्थाओं की रिसर्च के मुताबिक इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत दुनिया भर में सबसे आगे है. भारत में इंटरनेट शटडाउन का सिलसिला 2016 से ही चल रहा है. प्रशासन की ओर से देश में 2022 में 84 बार इंटरनेट बंद किया गया है. साल 2022 में केवल जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट बंद किया गया है जिसमें 16 बार लगातार इंटरनेट बंद किया गया है जो जनवरी से लेकर फरवरी 2022 के बीच हुआ है. जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर है जहां एक साल में 12 बार इंटरनेट बंद किया गया.  तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां सात बार इंटरनेट शटडाउन हुआ है. 2016 के बाद से ही ग्लोबली इंटरनेट शटडाउन में भारत की हिस्सेदारी 58 फीसदी है.

इंटरनेट बंद होने से कितना हुआ है नुकसान
एक रिपोर्ट के अनुसार बार-बार कई जगहों पर नेट बंद करने के कारण 2023 में भारत को काफी नुकसान हुआ है. देश को सालभर में इतना नुकसान नहीं हुआ है जितना पिछले 6 महीने में हुआ. 2023 में इंटरनेट शटडाउन के कारण 25.52 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ. वही, पिछले साल 2022 में 18.43 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था. साल 2021 में भारत में इंटरनेट करीब 1,157 घंटे के लिए बंद किया गया. इसमें कुल मिलाकर 4300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. दरअसल, जब नेट बंद रहता है तो सभी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन आदि रुक जाते हैं, जिससे बड़े स्तर पर करोड़ों का नुकसान हो जाता है. 

इंटरनेट बंद होने पर टेलीकॉम कंपनियां क्या करती हैं भरपाई 
आपके फोन में दो दिनों तक इंटरनेट बंद रहा, क्या उसकी भरपाई वह टेलीकॉम कंपनी करेगी, जिसकी आपने सर्विस ली हुई है. इसका जवाब हां और नहीं, दोनों होगा. दरअसल, किसी उपद्रव की स्थिति में धारा 144 के तहत किसी क्षेत्र विशेष में सरकारी आदेश के बाद इंटरनेट की सेवाएं बंद करने पर टेलीकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को हर्जाना नहीं देती हैं. लेकिन किसी स्थान पर प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इंटरनेट संचार की प्रक्रिया में अड़चन आए, तो डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DOT) सेवा प्रदाता कंपनी को ऐसे निर्देश देती है कि वह अपने यूजर्स को हुए नुकसान की भरपाई करे. अहम बात यह है कि कोई भी कंपनी डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम की अनुमति के बिना अपने स्तर से अपने यूजर्स को किसी तरह की भरपाई या लाभ नहीं दे सकती.