फूलन देवी की आज बर्थ एनिवर्सरी है. 10 अगस्त 1963 को गांव घूरा का पूरवा में फूलन का जन्म हुआ. वह मूला और देवी दीन मल्लाह की चौथी और सबसे छोटी संतान थीं. परिवार बहुत गरीब था. रहने के लिए घास-फूस का घर था. महज 10 साल की उम्र में ही फूलन देवी अपने चाचा की नाइंसाफी के खिलाफ खड़ी हो गई थीं. इसी दौरान उनके घरवालों ने उनकी जबरन शादी करा दी. उनका पति उनसे उम्र में 35 साल बड़ा था.
15 साल की उम्र में किया रेप
फूलन देवी इस शादी से खुश नहीं थीं लेकिन समाज और परिवार के लिए चुप रहीं. देखते ही देखते कुछ साल गुजर गए. फूलन के पति ने दूसरी शादी कर ली. फूलन देवी अपने घर लौट आईं. इसी बीच, वो डकैतों के गैंग के संपर्क में आई. उनके साथ घूमने लगी. ये साथ उसे अच्छा लगने लगा. बंदूक चलाना भी सीखने लगी. उस समय फूलन महज 15 साल की थीं जब कुछ गुंडों ने घर में ही उनके मां-बाप के सामने उनके साथ सामूहिक रेप किया. ठाकुरों ने 3 हफ्ते तक फूलन को बंधक बनाए रखा था. उनपर अत्याचार किए.
ऐसी डकैत जिसे देख लोग कांपते थे
बैंडिट क्वीन के नाम से प्रसिद्ध फूलन देवी चंबल की ऐसी डकैत थीं जिसका नाम सुन लोग कांपते थे. उनका ताल्लुक उत्तरप्रदेश से था. उनमें गलत से लड़ने का साहस था. बावजूद इसके खिलाफ कई हत्या, अपहरण और लॉटरी के आरोप थे. उन पर हत्या, अपहरण समेत 48 आपराधिक मामले दर्ज थे. फूलन देवी चंबल के बीहड़ों में सबसे खतरनाक डाकू मानी जाती थीं. रेप करने वालों को वो खुद सजा देती थीं.
इस घटना ने फूलन को बैंडिट क्वीन बनाया
1981 में बेहमई हत्याकांड के बाद फूलन देवी चर्चा में आईं. दरअसल 14 फरवरी 1981 को फूलन ने अपने 35 साथियों के साथ बेहमई के 26 लोगों पर 5 मिनट में सैकड़ों गोलियां बरसाईं थीं. इनमें से 20 की मौत हो गई थी. इसी गांव के कुछ लोगों ने फूलन के साथ बलात्कार किया था, जिसका बदला लेने के लिए फूलन देवी ने ये हत्याकांड किया था. इसी घटना ने फूलन को बैंडिट क्वीन बनाया. दो साल तक यूपी और एमपी की पुलिस उनका सुराग तक न लगा सकी. आखिरकार खुद फूलन देवी सामने आईं और 1983 में आत्मसमर्पण कर दिया. सरेंडर के लिए उसके सामने स्वयं मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह आए और सरेंडर के बाद वह एमपी की ही जेल में रही. 1994 में जेल से रिहा होने के बाद समाजवादी पार्टी की टिकट पर वे 1996 में सांसद चुनी गईं. 25 जुलाई 2001 को दिल्ली बंगले के बाहर तीन नकाबपोश हमलावरों ने सांसद फूलन देवी की हत्या कर दी.