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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का क्या है भारत कनेक्शन? क्या हुआ जो 6 साल के लिए लेनी पड़ी भारत में शरण, जानिए

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. इस दौरान हसीन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली और वार्ता के बाद सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इनमें एक कुशियारा नदी के जल बंटवारे से संबंधित भी है जो दक्षिणी असम के क्षेत्रों और बांग्लादेश के सिलहट इलाके को लाभान्वित कर सकता है.

Sheikh Haseena Sheikh Haseena
हाइलाइट्स
  • भारत दूसरे घर जैसा- शेख हसीना

  • 6 साल दिल्ली में रही हसीना

भारत और बांग्लादेश के बीच बड़े भाई और छोटे भाई वाली केमिस्ट्री है. इस रिश्ते में विरासत है, एक दूसरे का सम्मान है और ये रिश्ता एक पड़ोसी के रिश्ते से थोड़ा ज्यादा गहरा है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए भारत एक दूसरे घर जैसा है. शेख हसीना तार दिन के दौरे पर आजकल भारत आई हुई हैं और दिल्ली वो जगह है जहां अपने जीवन की सबसे बड़ी मुसीबत के दौरान उन्होंने शरण ली थी. भारत के लिए इस समय बांग्लादेश को संभालकर रखना बहुत ही जरूरी है क्योंकि चीन की नजर हमारे तमाम पड़ोसी देशों पर है.

इस बार जब शेख हसीन जिस विमान से भारत आईं उस पर उनके पिता मुजीब उर रहमान की एक तस्वीर बनी हुई थी जोकि दर्शाती है कि वो इस बार भारत अकेले नहीं आई बल्कि अपने पिता की विरासत साथ लाईं. मुजीब उर रहमान भारत को अपना बड़ा भाई मानते थे. जिस तरह भारत में लोग  महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानते हैं. ठीक उसी तरह शेख मुजीब उर रहमान को बांग्लादेश में जातिर पिता यानी राष्ट्रपिता के तौर पर देखा जाता है. भारत उन्हें हमेशा बंग-बंधु के तौर पर देखता आया है. अब शेख हसीना का भारत से क्या कनेक्शन है और दोनों देशों के बीच रिश्ते मधुर होने की क्या वजह है आइए विस्तार से जानते हैं. 

कौन है शेख हसीना?
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को तुंगीपारा के पूर्वी पाकिस्तान में हुआ था जो अब बांग्लादेश है. शेख हसीना बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं. 

क्या है भारत से कनेक्शन?
बता दें कि 1975 में शेख हसीना अपने पति के साथ जर्मनी में रहती थीं. उस दौरान बांग्लादेश में एक ऐसी घटना हुई जो इतिहास के पन्नों में काले अध्याय के तौर पर दर्ज है. उस समय शेख मुजीब उर रहमान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे. सेना में उनके खिलाफ काफी असंतोष था. इसका नतीजा ये हुआ कि 15 अगस्त 1975 को सेनी की टुकड़ियों ने ढाका में उनके खिलाफ ऑपरेशन चलाया और ये तय हुआ कि उन्हें पकड़ के मार दिया जाए. शेख मुजीब उर रहमान के ढाका में उस समय तीन घर हुआ करते थे और तीनों पर सेना ने हमला किया था.

सेना की टुकड़ी ने एक-एक करके शेख मुजीब के बड़े बेटे, छोटे बेटे, उनकी पत्नी और बाद में मुजीब उर रहमान को गोली मार दी. इसी दिन बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हसीना के पिता शेख मुजीब उर रहमान और रिश्तेदारों समेत 18 लोगों की हत्या कर दी गई. शेख हसीना जर्मनी में थीं इसलिए उनकी जान बच गई. 

उस दौरान भारत की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें दिल्ली में शरण दी और शेख हसीन 6 साल तक यहां रहीं. उस समय शेख हसीना भारत में राजनीतिक शरण के दौरान पहले दिल्‍ली के लाजपत नगर पार्ट-3 और बाद में पंडारा रोड में शिफ्ट हो गईं. दिल्‍ली में रहते हुए शेख हसीना के प्रणब मुखर्जी के परिवार से बेहद करीबी संबंध बन गए थे. शुभ्रा मुखर्जी से उनकी जोड़ी खूब जमती थी. वह प्रणब मुखर्जी के तालकटोरा रोड वाले घर में लगातार जाती थीं. तब दोनों परिवारों के बच्चे भी करीब आए. 1981 में बांग्‍लादेश लौटने के बाद शेख हसीना जब कभी भारत आईं, तो प्रणब मुखर्जी के घर मिलने जरूर जाया करती थीं.साल 1981 में जब हालात थोड़े सुधरे तो हसीना बांग्लादेश वापस पहुंची, पिता की मौत के बाद हसीना को उनकी पार्टी की बागडोर संभालनी पड़ी. 

शेख हसीना जिस समय दिल्ली में रह रही थी उस दौरान उन्‍होंने आल इंडिया रेडियो की बांग्‍ला सर्विस में भी काम किया था. आर्ट, म्यूजिक और लिटरेचर से गहरा रिश्ता होने के कारण उनकी इसमें दिलचस्पी रही. शेख हसीना के पिता शेख मुजीब से इंदिरा गांधी की अच्छी दोस्ती थी. शेख हसीना के पति एम ए वाजिद मियां भारत में एटॉमिक एनर्जी कमीशन में रिसर्च भी किया था.