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Banke Bihari Corridor: वृन्दावन में यूपी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना, बांकेबिहारी कॉरिडोर को बनाने की क्यों पड़ी जरूरत? भक्तों को दर्शन के साथ मिलेंगी ये सुविधाएं

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का गलियारा भव्य और दिव्य होगा. गलियारा का स्वरूप ऐसा है कि उसके अंदर प्रवेश करते ही ठाकुर बांकेबिहारी की छवि बाहर से दिखाई देगी. यमुना के किनारे बन रहे यमुना रिवर फ्रंट से गलियारा के लिए रास्ता जाएगा.

बांके बिहारी कॉरिडोर बांके बिहारी कॉरिडोर

बांके बिहारी कॉरिडोर जनहित याचिका (PIL)के हालिया घटनाक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इस गलियारा के जरिए एक बार में 50 हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन के लिए वर्तमान में सामान्य दिनों में 50 से 70 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. रविवार और शनिवार को यह संख्या दो से ढाई लाख और विशेष पर्व पर पांच से सात लाख हो जाती है. 

बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण यूपी सरकार द्वारा वित्त पोषित कुल 262 करोड़ रुपये की लागत वाली एक ऐतिहासिक परियोजना होगी. वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, यहां देश के हर हिस्से से श्रद्धालु आते हैं और गलियारे के निर्माण के पीछे यही कारण है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल मंदिर में जन्माष्टमी के जश्न के दौरान दो लोगों की कुचलकर मौत हो गई थी.

क्या होगा फायदा?
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में वर्तमान में एक समय में बमुश्किल एक हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर पाते हैं. इसके लिए भी बहुत धक्का-मुक्की होती है जबकि मंदिर परिसर के बाहर हजारों श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है. गलियारा बनने से दर्शन आसान होंगे और लोगों को धक्का-मुक्की नहीं करनी पड़ेगी. गलियारे के निर्माण के लिए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना नदी के पास पांच एकड़ भूमि आवंटित की है जिसमें 325 संपत्तियां, दुकानें और घर शामिल हैं. राज्य के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा है, ''बांके बिहारी मंदिर के आसपास के क्षेत्र को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. कॉरिडोर एक समय में 50,000 से अधिक भक्तों को समायोजित करने में सक्षम होगा. भक्त, यमुना में डुबकी लगाने के बाद, गलियारे के माध्यम से सीधे मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

क्या होगा खास
बांके बिहारी कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे, एक निचला और एक ऊपरी क्षेत्र. कॉरिडोर में निचला हिस्सा ऊपर के हिस्से से बड़ा होगा. प्रस्ताव के मुताबिक, कॉरिडोर का निचला हिस्सा 11 हजार 300 वर्गमीटर का होगा, वहीं ऊपरी क्षेत्र 10 हजार 600 वर्गमीटर का होगा जिस पर मंदिर होगा. कृष्ण से जुड़े छायाचित्रों का गलियारा भी 800 से वर्ग मीटर में दो होंगे.

कितनी होती है कमाई
पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन भारत के सभी पर्यटन का 60% से अधिक हिस्सा है. धार्मिक पर्यटन स्थलों से 2022 में 1,34,543 करोड़ की कमाई हुई, जो 2021 में 65,070 करोड़ से अधिक है. इसके परिणामस्वरूप, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर न केवल दर्शन की प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि अधिक तीर्थयात्रियों को भी लाएगा, जिससे इस सुस्त शहर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जिनकी कमाई का एकमात्र जरिया 'मंदिर' है.

हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रस्तावित पहला गलियारा नहीं है. राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और एमपी जैसे राज्यों में भाजपा सरकार ने देश भर में मंदिर गलियारों के निर्माण को प्राथमिकता दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने मई 2019 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के मंदिर में आते हैं, जबकि महत्वपूर्ण अवसरों पर लाखों लोग आते हैं.