26 जनवरी 2022 को आजादी का 75वां साल पूरा हुआ और पूरे देश में इस जश्न को अमृत महोत्सव के तहत मनाया गया. हम सब को पता है कि गणतंत्र दिवस यनी 26 जनवरी एक दिन का जश्न नहीं होता, ये जश्न पूरे 4 दिनों का होता है. जिसकी शुरूआत 23 जनवरी यानी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के दिन से होती है. गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के दिन परेड करके देश की ताकत को दिखाया जाता है, और 29 जनवरी को इस दिवस का समापन होता है. जिसे बीटिंग द रीट्रीट सेरेमनी कहा जाता है. लेकिन इस बार का बींटिग द रीट्रीट हर बार से थोड़ा अलग होगा.
क्या होती है बीटिंग रीट्रीट
हिंदुस्तान ने सैकड़ों लडाइयां लड़ी हैं, और हर लड़ाई में संगीत तकरीबन हर सैनिक लड़ाई का हिस्सा रहा है. बीटिंग द रीट्रीट की बात करें तो ये भारतीय मिलिट्री बैंड की सालों पुरानी शानदार परंपरा है.यह शंख, तुरही, सिंगी, नगाड़ा और रण भेरियों वाला पहला भारतीय मिलिट्री बैंड था. आज हम जिस भारतीय मिलिट्री बैंड को जानते हैं, उसकी कहानी 300 साल के ब्रिटिश मिलिट्री बैंड के इतिहास से जुड़ी है.
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का असली नाम 'वॉच सेटिंग' है और बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी का समारोह हमेशा सूरज डूबने के समय होता है. 18 जून 1690 में इंग्लैंड के राजा जेम्स टू ने अपनी सेनाओं को उनके ट्रूप्स के वापस आने पर ड्रम बजाने का आदेश दिया था. सन 1694 में विलियम थर्ड ने रेजीमेंट के कैप्टन को ट्रूप्स के वापस आने पर गलियों में ड्रम बजाकर उनका इस्तकबाल करने का नया आदेश जारी किया था. हमारे देश में हर साल गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद यानी की 29 जनवरी को राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर इस सेरेमनी को इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स के बैंड्स की ओर से परफॉर्म किया जाता है.
गणतंत्र दिवस के 3 दिन बाद होती है बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी
बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद राष्ट्रपति भवन के नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में होती है. सेरेमनी में ब्लॉक पर भारतीय मिलिट्री बैंड परफॉर्म करती है. और यहीं से गणतंत्र दिवस का समापन होता है. इसमें तीनों सेनाएं शामिल होती है. तीनों सेनाएं एक साथ मिल कर मार्च धुन बजाते हैं. आपको बता दें कि इस समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं जो प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स के सुरक्षा घेरे में यहां पर आते हैं.
राष्ट्रपति से ली जाती है इजाजत
तीनों सेनाओं के अध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं. और सेनाएं ही ये सेरेमनी करती हैं. इसलिए सेरेमनी का समापन करने के लिए तीनों सेनाएं राष्ट्रपति से लेते हैं.
कैसे हुई पंरपरा की शुरूआत
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी ब्रिटेन की परंपरा है. इसका असली नाम वॉच सेटिंग है. जब सेनाएं जंग के मैदान से लौटने लगती हैं और सूरज डूबने लगता है तब सेनाओं की वापसी की सूचना बीटिंग रिट्रीट के जरिए दी जाती थी.
दो बार रद्द भी हुआ है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को दो बार रद्द भी किया जा चुका है. पहला 2001 में , जब गुजरात में भूंकप आया था , दूसरा साल 2009 में जब देश के आंठवे राष्ट्रपति वेंकटरमन का निधन हो गया था.
इस बार का बीटिंग द रीट्रीट कैसे अलग होगा
इस बार बीटिंग रिट्रीट थोड़ा अलग होगा. क्योंकि इस बार बीटिंग रिट्रीट में ‘अबाइड विद मी’ नहीं बजाई जाएगी. ऐसा कहा जाता है कि ये इंगलिश भजन महात्मा गांधी को बहुत पसंद था. इस भजन को इंग्लिश कवि फ्रांसिस लाइट ने लिखा था. साल 1950 से गणतंत्र दिवस के मौके पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से इसी भजन की धुन बजाई जाती रही है. लेकिन इस बार ये धुन नहीं बजाई जाएगी. बता दें कि साल 2020 में भी बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में ‘अबाइड विद मी’ की धुन नहीं बजाई गई थी.
इस बार बजेंगी ये धुनें
इस बार की बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत बिगुल पर फैनफेयर गीत के साथ होगी. इसके बाद समारोह में पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड और मास बैंड वीर सैनिक 6 धुन बजाएंगे. सेरेमनी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के बैंड तीन धुन बजाएंगे. इसके बाद एयरफोर्स का बैंड 4 धुन बजाएगा. वहीं इस बार फ्लाइट लेफ्टिनेंट एल एस रूपाचंद्रन की तरफ से खास लड़ाकू धुन की भी पेशकश शामिल होगी.
एयरफोर्स के बाद नेवी का बैंड 4 धुनें बजाएगा. फिर आर्मी मिलिट्री बैंड- ‘केरल’, ‘सिकी ए मोल’ और ‘हिंद की सेना’ नाम की 3 धुनें बजाएगा. मास बैंड 3 और ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ड्रमर्स कॉल और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुनों की पेशकश करेगा, समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ धुन के साथ होगा. पूरे समारोह में 44 ब्यूगलर्स (बिगुल बजाने वाले), 16 ट्रंपेट प्लेयर्स और 75 ड्रमर्स शामिल होंगे बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में बजाई जाने वाली धुनों की लिस्ट में 26 धुन शामिल हैं.
इस बार नहीं बजेगी महात्मा गांधी की फेवरेट धुन
कुल मिला कर कहें तो भारत में ‘बीटिंग रिट्रीट’ (Beating Retreat) समारोह का इतिहास अंग्रेजों से जुड़ा हुआ है.1950 से ही बीटिंग रिट्रीट (Beating Retreat) को गणतंत्र दिवस के समारोह में शामिल कर लिया गया था. शुरूआत में अंग्रेजी धुनें ही बजाई जाती थीं. फिर धीरे-धीरे भारतीय धुनों ने अपनी जगह बनाई. लेकिन पश्चिम के एक गीत ‘अबाइड विद मी’ की धुन बनी रही क्योंकि महात्मा गांधी को यह बहुत पसंद थी. लेकिन मोदी सरकार ने इस साल से इसे भी हटाकर ‘बीटिंग रिट्रीट’ (Beating Retreat) का पूरा भारतीयकरण कर दिया. इस बार 29 जनवरी को इसमें सिर्फ भारतीय धुनें ही बजाई जाएंगी.