जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आज भारत आ रहे हैं. 8 से 10 सितंबर को भारत में जी 20 समिट होना है. उससे पहले 8 सितंबर यानी आज दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत होनी है. मोदी-बिडेन बैठक से पहले, भारत ने 31 टॉप हथियारयुक्त MQ-9B Reaper या Predator-B ड्रोन के अधिग्रहण के लिए अमेरिकी सरकार को औपचारिक अनुरोध जारी किया है. भारत का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के भीतर अंतिम अनुबंध पर हस्ताक्षर करना है.
रक्षा मंत्रालय ने अभी कुछ ही दिनों पहले रिमोटली पॉयलेटेड एयरक्रॉफ्ट सिस्टम वाले 31 'हंटर-किलर' की खरीद के लिए विस्तृत एलओआर (Letter of Request),उनके हथियार पैकेज, मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम और अन्य उपकरणों के साथ कुछ दिन पहले अमेरिका को भेजा था. सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि बदले में, बिडेन प्रशासन अब अपने विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) कार्यक्रम के तहत अमेरिकी कांग्रेस को लागत और अपेक्षित अधिसूचना के साथ एलओए (प्रस्ताव और स्वीकृति पत्र) के साथ एक या दो महीने के भीतर जवाब देगा.
भारत लाकर किया जाएगा असेंबल
बता दें कि भारत सरकार ने 31 किलर ड्रोन की खरीद प्रस्ताव दिया है. इसमें से 15 सी गार्डियन नौसेना को और 16 स्काई गार्डिय सेना और भारतीय वायुसेना के लिए की अंतिम कीमत पर दोनों पक्षों द्वारा मुहर लगाई जाएगी. 15 जून को रक्षा मंत्रालय की प्रारंभिक मंजूरी में सौदे के लिए लगभग 3.1 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत नोट की गई थी. एक सूत्र ने कहा कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से मंजूरी के बाद मौजूदा वित्तीय वर्ष के भीतर ही इस ड्रोन के लिए वास्तविक अनुबंध पर हस्क्षाकर करने पर जोर दिया जा रहा है. भारतीय सशस्त्र बल अगले 6 से 7 वर्षों में सभी ड्रोनों को अपने बेड़े में शामिल करने का काम पूरा करने का इच्छुक है. इन ड्रोन्स को जनरल एटॉमिक्स (जीए) द्वारा भारत में असेंबल किया जाएगा.
ये ड्रोन्स चीन के पास मौजूद सशस्त्र ड्रोनों की तुलना में कहीं अधिक सक्षम होंगे. चीन पाकिस्तान को काई होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोन की आपूर्ति भी कर रहा है. एमक्यू-9बी हिंद महासागर में भारत की लंबी दूरी की निगरानी और सटीक हमले की क्षमताओं में ताकत जोड़ देगा. यह हिन्द महासागर क्षेत्र के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमाओं की भी निगरानी करेगा.
क्या हैं खूबियां
भारत जो दो ड्रोन खरीद रहा है, उनमें सी गार्डियन समुद्री निगरानी के लिए खास है जबकि स्काई गार्डियन ड्रोन का इस्तेमाल जमीनी सीमा की रखवाली के लिए किया जाएगा. सी गार्डियन वैरिएंट भारत के तीनों सशस्त्र बलों के बेड़े में शामिल किया जाएगा. समुद्र की निगरानी हो या पनडुब्बी रोधी जंग, ये ड्रोन कई रोल में फिट है. MQ-9B घातक ड्रोन 40 से 50 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. ड्रोन की क्षमता 30 से 40 घंटे लगातार उड़ान भरने की है. यह अपने साथ 5,670 किलो तक का वजन ला सकता है. इसकी ईंधन क्षमता 2,721 किलो है. इन विमानों का इस्तेमाल एयरबोर्न अर्ली वार्निंग, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में किया जा सकता है.