मूसलाधार बारिश की वजह से सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु हाल बेहाल हो चुका है. सोमवार रात भी बेंगलुरु में भारी बारिश हुई जिसकी वजह से सड़कें समंदर बन गईं और कई घरों में पानी घुस गया. वहीं जगह-जगह जलजमाव की वजह से भारी ट्रफिक जाम हुआ. हालांकि हालात से निपटने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है. लेकिन मौसम विभाग ने 9 सितंबर तक कर्नाटक में भारी बारिश जारी रहने की संभावना जताई है.
बेंगलुरु के लिए नई नहीं है ये समस्या
हालांकि, बेंगलुरु के लिए ये समस्या नई नहीं है. इससे पहले 30 अगस्त को हुई भारी बारिश में आउटर रिंग रोड पर इतना भारी जाम लगा था कि लोग 5 घंटे तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे थे. इसी सिलसिले में आउटर रिंग रोड कंपनी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर चिंता जताई थी. जिसमें कहा गया था कि सिर्फ एक दिन में 5 घंटे की देरी से कंपनियों को करीब 225 करोड़ का नुकसान हुआ था. इस बारिश ने सिलिकॉन सिटी के पूरे सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है.
बेंगलुरु के इस हाल को देखकर इतना तो कहा जा सकता है कि इसके पीछे कई कारण है. जैसे सिलिकॉन सिटी का ड्रेनेज सिस्टम, बुनियादी ढांचे की कमी आदि. चलिए विस्तार इनके बारे में जानते हैं….
1. भारी बारिश
सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु में इस बार रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है. शहर में अगस्त में जितनी बारिश हुई है, वह चार साल में सबसे ज्यादा है. आईएमडी के मुताबिक, इस साल अगस्त में, बेंगलुरु में 370 मिमी बारिश हुई है. ऐसी बारिश पिछले बार अगस्त 1998 में हुई थी. उस साल 387.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड बारिश हुई थी.
बारिश हर साल बढ़ रही है. मौसम विभाग के अनुसार, बेंगलुरु में 2021 में 1,500 मिमी वार्षिक बारिश दर्ज की गई थी. जबकि 2020 में ये 1,200 मिमी थी और 2019 में 900 मिमी.
2. बुनियादी ढांचे की कमी
इसका एक कारण बुनियादी ढांचे की कमी भी माना जा रहा है. भारी बारिश के कारण बेंगलुरु की आउटर रिंग रोड पर भारी जलभराव हो गया है, जो शहर को अपने टेक पार्क से जोड़ता है. इसका प्रमुख कारण बुनियादी ढांचे की कमी है. न्यूज वेबसाइट फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, एक कार्यकर्ता नागेश अरास ने न्यूज मिनट को बताया कि 2005 में, 110 गांवों को बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) में मिला दिया गया था, लेकिन नगर निगम ने गांवों को शहर के सीवेज सिस्टम से जोड़ने की जहमत नहीं उठाई. बारिश के पानी के साथ सीवेज का पानी मिल जाता है और आउटर रिंग रोड पर फैल जाता है."
इसके अलावा, सड़क बहते पानी के लिए एक बांध की तरह काम करती है. पुलियों की कमी के कारण, बारिश का पानी और सीवेज का पानी का साथ में बहता है, जिससे जलभराव हो जाता है.
3. खराब ड्रेनेज सिस्टम
बेंगलुरु में बाढ़ का एक और कारण खराब ड्रेनेज सिस्टम है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अचानक और भारी बारिश से निपटने के लिए शहर ड्रेनेज सिस्टम बेहद खराब है. नालियां अक्सर कचरे से भरी रहती हैं, जो सीवेज के प्रवाह को रोक देती हैं और जब अचानक से ढेर सारा पानी बहता है तो सड़कें ब्लॉक हो जाती हैं. क्योंकि पानी को निकलने की जगह नहीं मिलती.
कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वृषभावती में 1990 के दशक की शुरुआत में 226 किमी के नाले थे, 2017 तक 110 किमी से थोड़े ज्यादा नाले थे. कोरमंगला घाटी की कहानी भी ऐसी ही थी, यहां की नालियां भी आधे से कम थीं. इस रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 को कवर किया गया था.
4. नालों का रखरखराव
नालों के साथ एक और समस्या उनके रखरखाव की है. सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बीबीएमपी ने साल 2019-20 से नाले के रखरखाव के लिए ठेका किसी और को दिया हुआ है. लेकिन यह शहर के कुल नालों का केवल 45 प्रतिशत ही कवर करती है, जो कि 842 किलोमीटर में से 377 किलोमीटर है.
5. नालों और झीलों का कनेक्शन
सीएजी रिपोर्ट में प्रकाशित गूगल अर्थ इमेज के मुताबिक, नालों के पुनर्निर्माण के कारण वे सिकुड़ गए हैं. साथ ही जांच से यह भी पता चला कि कुछ नाले झीलों से सीधे नहीं जुड़े हैं, इससे ओवरफ्लो और फ्लैश फ्लड होता है. इसके कारण कई झीलें सूख गईं या फिर उन्हें की अन्य चीज के लिए इस्तेमाल कर लिया गया. इतना ही नहीं अगस्त 2020 में सीएजी की इस रिपोर्ट के जवाब में, राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि सीवेज की समस्या के कारण कई नालों को झीलों से काट दिया गया है.