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Bharat Ratna: Karpoori Thakur, LK Advani के बाद Charan Singh, Narasimha Rao और Swaminathan को भारत रत्न देने के क्या हैं सियासी मायने

सरकार ने नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के साथ एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. नरसिम्हा राव को देश में आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है. जबकि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को उनके कामों के लिए किसान आज भी याद करते हैं. वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने देश को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा काम किया था. इससे पहले सरकार ने कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी को देश का सबसे बड़ा सम्मान देने की घोषणा की थी. इस चुनावी साल में 5 लोगों को भारत रत्न देकर सरकार ने 5M समीकरण साधने की कोशिश की है.

Bharat Ratna to Charan Singh, Narasimha Rao and Swaminathan Bharat Ratna to Charan Singh, Narasimha Rao and Swaminathan

Bharat Ratna: केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao), चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर इसकी जानकारी दी. इससे पहले मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम और दिग्गज नेता रहे कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) और बीजेपी के दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को भारत रत्न देने की घोषणा की थी. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इन दिग्गजों को भारत रत्न देने के क्या सियासी संकेत हो सकते हैं. चलिए बताते हैं.

नरसिम्हा राव से दक्षिण को साधने की कोशिश-
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से आते थे. वो आंध्र प्रदेश के करीमनगर (अब तेलंगाना) के रहने वाले थे. नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने से बीजेपी के मिशन साउथ को और मजबूत मिलेगी. इस कदम से बीजेपी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में फायदा उठाने की कोशिश करेगी. सालों से कांग्रेस पर नरसिम्हा राव को नजरअंदाज करने का आरोप लगता रहा है. अब बीजेपी दावा कर सकती है कि जिस बडे़ लीडर को कांग्रेस ने सम्मान नहीं दिया, उन्हें बीजेपी ने सम्मानित किया है.

चरण सिंह के बहाने जाटों पर निशाना-
केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. चरण सिंह को किसानों का लीडर माना जाता था. आज भी किसान चरण सिंह को याद करते हैं. चरण सिंह यूपी के हापुड़ के एक जाट परिवार में पैदा हुए थे. उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था. चरण सिंह सादगी पसंद इंसान थे. चौधरी चरण सिंह आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के दादा थे. चरण सिंह के बेटे और जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह केंद्र में मंत्री रहे हैं.

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आज भी पश्चिमी यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब का जाट समुदाय चरण सिंह से भावनात्मक लगाव महसूस करता है. पूर्व पीएम को भारत रत्न देने से बीजेपी को जाटलैंड में सियासी फायदा हो सकता है. बीजेपी को जाट वोटर्स को साधने में मदद मिलेगी. बीजेपी सरकार के इस कदम से जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने की संभावनाएं और भी बढ़ गई हैं. बीजेपी सरकार के इस फैसले के बाद आरएलडी का एनडीए में आना तय माना जा रहा है. 

स्वामीनाथन से किसानों को साधने की कवायद-
महान वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. स्वामीनाथन ने गेहूं की बेहतरीन किस्म की पहचान की, जिसकी वजह से देश में गेहूं के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा उन्होंने भूमि बंटवारा, सिंचाई-भूमि सुधार, वितरण सिस्टम और खाद्य सुरक्षा की दिशा में सराहनीय काम किए. देश में किसानों की आर्थिक हालत सुधारने और पैदावार बढ़ाने के लिए साल 2004 में वैज्ञानिक स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें कई तरह की सिफारिशें की गई थीं. सरकार ने कई सिफारिशों को लागू किया है. लेकिन अभी कई सिफारिशों को लागू करने को लेकर किसान संगठन मांग करते रहे हैं. इसको लेकर किसान संगठन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुके हैं. केंद्र सरकार के स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने से किसानों का गुस्सा कम हो सकता है. सरकार किसानों में एक उम्मीद जगा सकती है कि वो उनके लिए काम कर रही है.

सरकार ने इससे पहले बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और दिग्गज लीडर लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इन नेताओं को भारत रत्न देकर बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले क्या संदेश देना चाहती है. चलिए बताते हैं.

कर्पूरी ठाकुर के बहाने क्या है रणनीति-
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे. उनको जननायक कहा जाता था. कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ी जाति नाई से ताल्लुक रखते थे. बिहार में अति पिछड़ा वर्ग का करीब 36 फीसदी वोटबैंक है. बीजेपी कर्पूरी ठाकुर के बहाने इस सबसे बड़े वोटबैंक को अपने पाले में करना चाहती है. अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी एनडीए के खेमे में आ गई है. ऐसे में एनडीए का पलड़ा और भी मजबूत हो गया है.

कोर हिंदू वोटर को साधने की कोशिश-
केंद्र सरकार ने बीजेपी लीडर लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया है. आडवाणी की छवि एक कट्टर हिंदू लीडर की रही है. आज भी कोर हिंदुत्व वोटर आडवाणी को अपना नेता मानते हैं. केंद्र सरकार ने आडवाणी को भारत रत्न देकर इस वोटबैंक को साधने की कोशिश की है. इसके साथ ही हिंदू वोटर्स में ये भी संदेश देने की कोशिश की है कि राम मंदिर आंदोलन में सबसे अहम किरदार को बीजेपी नेतृत्व ने भुलाया नहीं है. बल्कि उनका सम्मान करता है.

भारत रत्न के बहाने बीजेपी का 5 M संदेश-
केंद्र सरकार ने इस साल 5 लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इसमें कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, पीवी नरसिम्हा राव, एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह शामिल है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इन दिग्गजों को भारत रत्न देने का सियासी मायने निकाला जा रहा है. सरकार ने इस कदम के जरिए 5M Mandir, Market, Mandal, Mandi, और Millets की सियासत साधने की कोशिश की है.

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर सरकार ने Mandal (मण्डल) की राजनीति साधने की कोशिश की है. देश में अगड़ा बनाम पिछड़ा की सियासत करने उतरे विपक्षी दलों को सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के जरिए टक्कर देने की कोशिश की है. जबकि लालकृष्ण आडवाणी के जरिए Mandir (मंदिर) की सियासत को और भी मजबूत किया है और कोर हिंदू वोटर के भटकाव को रोकने की कोशिश की है. 

पीवी नरसिम्हा राव को आर्थिक सुधारों को जनक कहा जाता है. इसलिए उनको भारत रत्न देकर बीजेपी ने Market (मार्केट) को साधने की कोशिश की है. किसानों के लिए जीवनभर काम करने वाले एमएस स्वामीनाथन के जरिए मोदी सरकार ने Millets (मिलेट्स) की सियासत में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की है. चौधरी चरण सिंह को किसानों और कृषि से जुड़ा लीडर माना जाता था. उनके जरिए सरकार ने Mandi (मंडी) की सियासत से विपक्षी दलों को बाहर करने की रणनीति पर काम किया है.

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