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12 वीं क्लास के छात्र ने 2 घंटे में ट्विटर से जुटाए डेढ़ लाख रुपए, पैसों से की जोमैटो ब्वॉय की मदद

डिलीवरी ब्वॉय शंकर मीणा की मदद करने वाले कस्टमर 18 साल के आदित्य ने कहा कि मैंने मंगलवार को जोमैटो से ऑर्डर मंगवाया था और मुझे जब इनकी फाइनैंशल कंडीशन के बारे में पता चला तो मैनें इनकी मदद करने की ठानी. मैंने शंकर की तमाम डीटेल ट्विटर पर डाली और हमने महज ढाई घंटे में डेढ़ लाख रुपए इकट्ठा कर लिए.

डिलीवरी ब्वॉय शंकर मीणा और आदित्य डिलीवरी ब्वॉय शंकर मीणा और आदित्य

कोरोना काल में कई यादगार कहानियां गढ़ी गई. आज हम आपको राजस्थान में गढ़ी गई ऐसी ही एक कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में कोरोना की वजह से दुर्गा शंकर मीणा ने अपनी नौकरी गंवा दी थी.  दुर्गा शंकर मीणा प्राइवेट स्कूल में एक टीचर की नौकरी करते थे. कोरोना में नौकरी गवांने के बाद शंकर मीणा ने जोमैटो (Zomato) फूड डिलीवरी ब्वॉय का काम अपनी साइकिल से करना शुरू किया, और अब  ट्विटर के जरिए उन्हें नई बाइक मिल गई है. 

नौकरी जाने के बाद शंकर मीणा जीवन यापन करने के लिए भीषण गर्मी में साइकिल पर जोमैटो का ऑर्डर घर -घर पहुंचाने का काम करते थे. आर्थिक संकट इतना की शंकर मीणा को कभी सड़क पर तो कभी रेस्टोरेंट पर रात गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक दिन डिलिवरी देने के काम के दौरान ही शंकर मीणा की मुलाकात आदित्य शर्मा नाम के कस्टमर से हुई. आदित्य शर्मा को जब शंकर मीणा के हालात के बारे में पता चला तो उन्होंने शंकर की मदद के लिए ट्विटर पर क्राउड फंडिंग करना शुरू कर दिया महज दो घंटे में 1 लाख 90 हजार इकट्ठे हो गए. जिससे टीचर डिलीवरी ब्वॉय को बाइक दिला दी गई. बाकी के पैसों से शंकर अपना कर्जा चुकाएंगे. 

डिलीवरी ब्वॉय दुर्गा शंकर मीणा अजमेर जिले के सावर कस्बे में रहते हैं. उनके पिता का निधन हो चुका है और मां भी घर  छोड़ कर चली गई है. शंकर मीणा अकेले ही अपने घर में रहते हैं. शंकर शुरूआत में 12 सौ  रुपये महीने की नौकरी  किया करते थे. लोकिन लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी की वजह से शंकर पर 40 हजार का कर्जा हो गया. 

डिलीवरी ब्वॉय शंकर मीणा की मदद करने वाले कस्टमर 18 साल के आदित्य ने कहा कि मैंने मंगलवार को जोमैटो से ऑर्डर मंगवाया था और मुझे जब इनकी फाइनैंशल कंडीशन के बारे में पता चला तो मैनें इनकी मदद करने की ठानी. मैंने शंकर की तमाम डीटेल ट्विटर पर डाली और हमने महज ढाई घंटे में डेढ़ लाख रुपए इकट्ठा कर लिए. 12 वीं क्लास में पढ़ने वाले आदित्य का सपना अपना स्टार्टअप शुरू करने का है. साथ ही आदित्य डिजिटल एनजीओ खोलना चाहते हैं .