
भोपाल की गैस त्रासदी के दफ्न केमिकल कचरे को अब नष्ट किया जाएगा. जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड की निगरानी में मध्य प्रदेश के पीथमपुर की एक कंपनी में ये सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाएगा. इसके लिए यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में मौजूद 337 मैट्रिक टन जहरीले केमिकल वेस्ट से भरे ट्रक धार के पीथमपुर के लिए रवाना किया गया है. इस कचरे को 12 लीक प्रूफ कंटेनर में बंद किया गया है.
भोपाल से चलकर ये जहरीला कचरा मध्यप्रदेश के सीहोर, देवास और इंदौर होता हुआ धार के पीथमपुर पहुंचेगा.
50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ले जाया जा रहा
सुरक्षित तरीके से कचरा ले जाने के लिए यह विशेष कंटेनर 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ले जाया जा रहा है. कंटेनर्स के साथ पुलिस, एंबुलेंस, डॉक्टर, फायर ब्रिगेड और क्विक रेस्पॉन्स टीम समेत कुल 25 गाड़ियों का काफिला चल रहा है. ये बिना रुके पीथमपुर पहुंचेंगे. हर एक कंटेनर में औसतन 30 टन कचरा रखा गया है. इस काम में तकरीबन 100 से ज्यादा मजदूर लगे हैं.
इस काम के लिए मजदूरों की शिफ्ट 8 घंटे की नहीं बल्कि 30 मिनट की थी. जिस दौरान इस 337 टन जहरीले केमिकल को कंटेनर में शिफ्ट किया जा रहा था, उस दौरान 200 मीटर के इलाके को सील कर दिया गया था. अंदर जाने के तमाम रास्तों को बंद कर दिया गया था और सिक्योरिटी के लिए 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी को तैनात किया गया था.
कौन से जहरीले केमिकल शामिल हैं?
इन केमिकल में सीवन नाम का वो कीटनाशक, जिसका उत्पादन भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में होता था और हादसे के बाद बचा हुआ कीटनाशक जो बहुत ही जहरीला है. इसके अलावा, जिस एमआईसी गैस के लीक होने से हजारों लोगों की मौत हुई थी वो नेप्थॉल से बनाई जाती थी और आज भी यह नेप्थॉल फैक्ट्री परिसर में है, इसे भी हटाया गया है. इसके अलावा कई अन्य तरह के केमिकल जो यहां इस्तेमाल होते थे वो रिएक्टर जिसमें कीटनाशक बनते थे और परिसर की मिट्टी जिसके जहरीले होने का शक है, उन सब को यहां से हटाकर पीथमपुर में नष्ट किया जाएगा. कचरे में 162 मीट्रिक टन मिट्टी, 92 मीट्रिक टन सीवन और नेप्थॉल के अवशेष, 54 मीट्रिक टन सेमी प्रोसैस्ड पेस्टिसाइड और 29 मीट्रिक टन रिएक्टर के अवशेष हैं.
संगठनों का क्या मानना है?
गैस पीड़ित संगठनों का मानना है कि जितना कचरा हटाया जा रहा है वह कचरे का एक प्रतिशत भी नहीं है. ये यहां की फैक्ट्री परिसर के 36 एकड़ इलाके में दबा हुआ है, जिसके चलते आसपास की 42 बस्तियों के भूजल में हैवी मेटल ऑर्गेनिक क्लोरीन पाया गया था जो कैंसर और किडनी की बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. इनकी मांग है कि इस मलबे को अमेरिका में ही नष्ट किया जाना चाहिए था.
इस केमिकल वेस्ट को नष्ट करने के लिए 2015 में 10 टन कचरे को जलाकर ट्रायल किया गया था और करीब 10 साल बाद इस काम में तेजी आई है क्योंकि सरकार को 3 तारीख को सरकार को कचरे का निष्पादन का शपथ पत्र कोर्ट में पेश करना है. 6 जनवरी को इस मामले में सरकार की पेशी भी है...
(रविश पाल सिंह की रिपोर्ट)