भारत में नकली शराब का सेवन, जिसे आमतौर पर "हूच" के रूप में जाना जाता है, एक बड़ी समस्या बनी हुई है. बिहार के सीवान और सारण जिलों में नकली शराब पीने के बाद कम से कम 35 लोगों की मौत हो गई है. 2016 से राज्य में शराब बैन होने के बावजूद, नकली शराब का सेवन और इससे होने वाली मौतें बड़ी समस्या बनी हुई है.
इस विशेष त्रासदी में, 28 लोगों की मौत सीवान जिले में हुई, जबकि सात मौतें सारण में हुईं. बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में कई लोग गंभीर स्थिति में हैं. हालांकि, मौतों के सटीक कारण की अभी जांच चल रही है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी बाकी है.
क्या है नकली शराब?
नकली शराब, या हूच, उस शराब को कहते हैं जो कानूनी स्वीकृति के बिना बनाई या बेची जाती है. भारत की शराब इंडस्ट्री के लिए कई नियम हैं, जिससे राज्य को बड़ी मात्रा में रीवेन्यू मिलता है. इसे लाइसेंस वाली शराब भी कहा जाता है. लेकिन महंगी होने की वजह से लोग नकली शराब की ओर रुख करते हैं.
वैध या असली शराब महंगी होने की वजह से सभी लोग इसे नहीं खरीद पाते हैं. कम इनकम वाले लोगों के लिए ये बहुत महंगी होती है. कानूनी रूप से असली शराब की एक बोतल नकली की तुलना में पांच से दस गुना ज्यादा महंगी हो सकती है. अब इसी नकली शराब का एक पूरा नेटवर्क बन गया है, जहां से लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं. ये लोग शराब को प्लास्टिक के पाउच जैसी चीजों की पैकेजिंग में बचते हैं.
कैसे बनती है ये नकली शराब?
नकली शराब आमतौर पर चीनी, गुड़, फल, या अनाज जैसे स्टार्ची पदार्थों को सड़ाकर बनती है, इसे शराब के नशे को पैदा करने वाले पदार्थ एथेनॉल जैसा बना दिया जाता है. लागत कम करने और इसमें नशे को बढ़ाने के लिए कुछ हानिकारक चीजें जैसे मेथनॉल डाला जाता है. मेथनॉल एथेनॉल का एक सस्ता ऑप्शन है जो ज्यादा जहरीला होता है.
कच्ची शराब से बीमारी और मौत क्यों होती है?
कच्ची या गलत तरीके से बनाई गई शराब में कई ऐसे पदार्थ होते हैं, जो जहरीले हो सकते हैं. मेथनॉल का थोड़ी मात्रा में सेवन किए जाने पर अंधापन या मौत हो सकती है.
शुरू में मेथनॉल पीने से उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना, और पेट दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं. इन सभी लक्षणों को अक्सर शराब का गलत नशा समझ लिया जाता है. इसमें इंसान को मिर्गी भी हो सकती है.
मेथनॉल के लक्षण नकली शराब पीने के कई घंटों बाद तक नहीं दिखाई देते हैं. जिसकी वजह से लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं. लेकिन यह एकदम से रियेक्ट करती है.
नकली शराब में मेथनॉल का उपयोग क्यों किया जाता है?
मेथनॉल का उपयोग करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण इसका सस्ता होना है. मेथनॉल एथेनॉल की तुलना में काफी सस्ता होता है, जिसकी कीमत भारत में लगभग ₹27 प्रति लीटर है, जबकि एथेनॉल की कीमत ₹65.61 प्रति लीटर होती है. नकली शराब बनाने के लिए ये काफी फायदे का सौदा होता है.
जब मेथनॉल का सेवन किया जाता है, तो यह लिवर में एक एंजाइम जिसे अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज कहते हैं, द्वारा मेटाबोलाइज़ होता है, जो इसे फॉर्मलडिहाइड में बदल देता है, ये काफी जहरीला पदार्थ है. फॉर्मलडिहाइड को फिर फॉर्मिक एसिड में तोड़ दिया जाता है, जो शरीर में इकट्ठा होकर मेटाबॉलिज्म एसिड का कारण बनता है. फॉर्मिक एसिड विशेष रूप से ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करता है, जिससे आंखों की रोशनी जाती है और ये दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है. इससे कई बार मौत भी हो सकती है.
भारत में नकली शराब सेवन का पैमाना
भारत अवैध शराब से होने वाले खतरों का अनजान नहीं है, और सालों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कई बड़े पैमाने पर त्रासदियां दर्ज की गई हैं. बिहार में, बैन होने के बावजूद, नकली शराब का सेवन शराब की खपत का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है. नकली शराब से होने वाली मौतों में अक्सर कमजोर समुदायों के लोग शामिल होते हैं. जिनमें दैनिक मजदूर, खेतों में काम करने वाले लोग और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समूह शामिल हैं.
हालांकि, बिहार सरकार ने नकली शराब की समस्या को सुलझाने के लिए अलग-अलग कदम उठाए हैं. 2016 में पूरे राज्य में शराब पर बैन लगा दिया गया था. इसके तहत उत्पादन, बिक्री, और खपत सभी पर बैन लगाया गया था. साथ ही विज्ञापन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से जन जागरूकता को बढ़ाया जा रहा है. साथ ही लोगों को नकली शराब से बचने की सलाह दी जा रही है.