बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ा बदलाव हुआ है. बिना शोर-शराबे के सियासत ने करवट ले ली है. नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदल लिया है. इस बार उन्होंने एडीए का साथ छोड़ा है. बिहार में जेडीयू-बीजेपी का गठबंधन टूट गया है. नीतीश कुमार 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं. जबकि तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम बने हैं. सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि साल 2014 में जो आए थे, वो 2024 में नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ जाने से नुकसान हुआ. बीजेपी के व्यवहार से जेडीयू नेता आहत थे.
नीतीश के सामने क्या हैं चुनौतियां-
जेडीयू के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदल लिया है और 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी है. ये देखना होगा कि नीतीश कुमार पाला बलदने की इमेज से कैसे छुटकारा पाते हैं. नीतीश कुमार साल 2015 में एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी. लेकिन दो साल बाद ही उन्होंने फिर से एनडीए के साथ आ गए. और एक बार फिर जेडीयू महागठबंधन में शामिल हो गई है.
7 पार्टियों को मैनेज करने की चुनौती-
नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन थामा है. महागठबंधन में 7 पार्टियों के साथ सामांजस्य बनाना बड़ी चुनौती है. महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआईएमएल और सीपीआई शामिल हैं. नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी की पार्टी HAM का भी समर्थन मिला है.
2024 लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती-
नीतीश कुमार के सामने 2024 आम चुनाव बड़ी चुनौती है. सबसे बड़ी चुनौती विपक्षी दलों को एकजुट रखने की है. नीतीश कुमार के महागठबंधन में आने से सहयोगी पार्टियों को उम्मीद की एक किरण जरूर दिखी है. लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने के लिए नीतीश कुमार को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. बिहार में 7 पार्टियों को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती है. हालांकि जेडीयू के आने से बिहार में महागठबंधन मजबूत स्थिति में है. जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिल सकता है. नीतीश कुमार के आने से यूपीए को देशभर में एक मजबूत विपक्ष बनाने की उम्मीद जगी है. लेकिन देखना होगा कि इस चुनौती से नीतीश कुमार कितना स्वीकार करते हैं.
केंद्रीय एजेंसियों से निपटने की चुनौती-
नीतीश कुमार के सामने केंद्रीय एजेंसियों से निपटने की चुनौती भी है. महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के दामन पर कई दाग हैं. उनके कई बड़े नेता करप्शन में फंसे हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव पर केस चल रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार के सामने कई राज्यों में लगातार एक्टिव केंद्रीय एजेंसियों से निपटने की चुनौती भी है.
जंगलराज के मुद्दे से निपटने की चुनौती-
जेडीयू ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. अब बिहार में आरजेडी और जेडीयू की सरकार बन रही है. ऐसे में आरजेडी को लेकर जंगलराज का मुद्दा एक बार फिर सियासी गलियारों में जोर पकड़ेगा. नीतीश कुमार ने लालू राज को जंगलराज कहा था और साल 2005 से अब तक उनके सत्ता में रहने की एक बड़ी वजह कानून व्यवस्था का मुद्दे भी है. लेकिन देखना होगा कि नीतीश कुमार आरजेडी-जेडीयू सरकार में कानून व्यवस्था के मुद्दे से कैसे निपटते हैं? आरजेडी पर लगने वाले जंगलराज के आरोपों पर क्या जवाब देते हैं?
बिहार के विकास की चुनौती-
अब तक बिहार और केंद्र में एनडी की सरकार थी. डबल इंजन की सरकार होने से विकास के मुद्दे पर सहमति भी थी. लेकिन अब बिहार में बीजेपी के सरकार से बाहर होने से नीतीश कुमार के सामने राज्य के विकास की चुनौती भी होगी. देखना होगा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के तौर पर केंद्र सरकार से बिहार के विकास के लिए कुछ ला पाते हैं या नहीं.
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