Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरा सरकार का फैसला, दोषियों की रिहाई रद्द, जानें मामले में कब-कब क्या हुआ
Bilkis Bano Case Timeline: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की रिहाई का आदेश रद्द कर दिया है. सभी दोषियों को 15 अगस्त 2022 को गोधरा की जेल से रिहा किया गया था. साल 2002 में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया था, उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थी.
Supreme Court and Bilkis Bano - नई दिल्ली,
- 08 जनवरी 2024,
- (Updated 08 जनवरी 2024, 3:05 PM IST)
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के बिलकिस बानो केस में सभी 11 दोषियों की सजा माफी के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को माफी देने का अधिकार नहीं था. इस मामले की पूरी सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है. इसलिए माफी देने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास था. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो हफ्ते के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया है. बेंच में इस मामले की 11 दिन तक सुनवाई चली थी. उसके बाद 12 अक्टूबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा में समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाए थे. चलिए आपको बताते हैं कि इस केस में कब क्या हुआ.
बिलकिस बानो केस में कब क्या हुआ-
गुजरात में 3 मार्च 2002 को दामोह के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था. वारदात के वक्त बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थी. उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
- 4 मार्च 2002 को बिलकिस बानो को लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन ले जाया गया और एफआईआर दर्ज कराई गई. लेकिन इसमें ये नहीं बताया गया कि उसके साथ रेप हुआ था. आरोपी का नाम भी नहीं बताया गया था.
- 5 मार्च 2002 को बिलकिस को गोधरा राहत शिविर ले जाया गया, जहां तत्कालीन पंचमहल कलेक्टर जयंती रवि के निर्देश पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने उनका बयान दर्ज किया. बिलकिस के परिवार के 7 सदस्यों के शव केशरपुर के जंगल में मिले.
- अप्रैल 2003 में बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजा खटखटाया और सीबीआई जांच की मांग की.
- 6 दिसंबर 2003 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया. एक जनवरी 2004 को सीबीआई डीएसपी केएन सिन्हा ने गुजरात पुलिस से जांच की कमान संभाली.
- 2 फरवरी 2004 को सीबीआई जांच के लिए शव निकाले गए. 109 हड्डियां मिलीं. खोपड़ियां नहीं मिली.
- 19 अप्रैल 2004 को सीबीआई ने सीजेएम अहमदाबाद के सामने 20 आरोपियों के खलाफ आरोप पत्र दायर किया. जिसमें 6 पुलिस अधिकारी और 2 डॉक्टर शामिल थे, जिन्होंने 5 मार्च 2002 को 7 शवों को पोस्टमार्टम किया था.
- अगस्त 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुजरात से मुंबई ट्रांसफर कर दी और केंद्र सरकार को एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने का निर्देश दिया.
- 21 जनवरी 2008 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. स्पेशल कोर्ट ने 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
- दोषियों के साथ सीबीआई की तरफ से भी अपील दायर की गई. सीबीआई ने जसवंतभाई चतुरभाई नाई, गोविंदभाई नाई और शैलेश चिमनलाल भट्ट की सजा को बढ़ाकर मौत की सजा करने की मांग की. इसके अलावा सीबीआई ने 8 दूसरे आरोपियों को बरी करने के खिलाफ भी अपील दायर की.
- साल 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलों पर सुनवाई शुरू की.
- मई 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 11 लोगों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा. कोर्ट ने सजा बढ़ाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने 2 डॉक्टर और 5 पुलिसवालों को बरी कर दिया.
- जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की सजा के खिलाफ दो डॉक्टर और 4 पुलिसवालों की अपील को खारिज कर दिया. एक पुलिसवाले ने सजा के खिलाफ अपील नहीं की थी.
- 23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपए देने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को बिलकिस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया था. बिलकिस बानो ने अप्रैल 2019 में 17 साल में पहली बार दाहोद में अपना वोट डाला था.
- इन दोषियों ने 18 साल से ज्यादा सजा काट ली थी, जिसके बाद दोषियों में से एक राधेश्याम शाही ने धारा 432 और 433 के तहत सजा को माफ करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि उनकी माफी के बारे में फैसला करने वाली उपयुक्त सरकार महाराष्ट्र है, न कि गुजरात.
- दोषी राधेश्याम शाही ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की और कहा कि वो एक अप्रैल 2022 तक बिना किसी छूट के 15 साल 4 महीने जेल में रहा.
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को 9 जुलाई 1992 की माफी नीति के अनुसार समय से पहले रिहाई के आवेदन पर विचर करने का निर्देश दिया और कहा कि दो महीने के भीतर फैसला किया जा सकता है.
- 15 अगस्त 2022 को गोधरा की उप-जेल से 11 दोषियों को रिहा किया गया. जिसमें राधेश्याम शाह भी शामिल था.
- सितंबर 2022 को बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की समय पहले रिहाई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
- दिसंबर 2022 में बिलकिस बानो की याचिका पहली बार सूचीबद्ध हुई. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी ने मामले की सुनाई से खुद को अलग कर लिया.
- मार्च 2023 में मामले को जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया. इस याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार समेत 11 दोषियों को नोटिस जारी किया गया.
- 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया.
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