देश में पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ रखी है. इस माहौल में उत्तराखंड से एक गुड न्यूज आई है. राज्य में खराब तेल से बायोडीजल तैयार किया जा रहा है. जिससे लोगों को डीज़ल ओर पेट्रोल की बढ़ती मंहगाई से राहत मिल सकती है. इसकी शुरूआत उत्तराखंड में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने की है. और इसका पहला प्लांट ऊधम सिंह नगर के काशीपुर में लगने जा रहा है.
आपको बता दें कि विश्व पटल पर ईंधन के रूप में पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग और घटती उपलब्धता चिंता का विषय बनी हुई है. भारत भी इससे अछूता नही है. हमारे देश मे अपनी जरूरत का मात्र 20 फीसदी पेट्रो ईंधन ही पैदा होता है. शेष लगभग 8 लाख करोड़ का ईंधन आयात किया जाता है. पर अब इस समस्या को जल्द ही हल किया जाएगा. हाल ही में, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ अंजन रे ने संस्थान को राज्य सरकार से आवंटित 10 एकड़ भूमि पर बायो डीज़ल प्लांट लगाने की घोषणा कर दी है.
यह घोषणा उन्होंने दिवगंत पूर्व सांसद सत्येंद्र चंद्र गुड़िया की 12वीं पुण्य तिथि पर काशीपुर स्थित सत्येंद्र चंद्र गुड़िया इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड लॉ कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में सूबे के मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में की.
क्या है बायोडीजल
बायोडिजल जैविक स्रोतों से प्राप्त, डीजल के समान ईंधन है जिसे परम्परागत डीजल इंजनों में बिना कोई परिवर्तन किए इस्तेमाल कर सकते हैं. भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ अंजन रे ने बताया कि सामान्य तापमान पर खाद्य तेलों के अपशिष्ट, तबेले और मछली उत्पादन केंद्रों के अपशिष्ट से ग्राम स्तर पर आसानी से किफायती बायो डीज़ल का उत्पादन किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इसे बनाना बहुत आसान है.
भारत प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख करोड़ का ईंधन आयात करता है. पर ग्रामीण स्तर पर लोगों को प्रशिक्षित करके बायोडीजल का उत्पादन करते हुए तेलों के आयात को कम कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि देश में लगभग 6 लाख गांव है. अगर प्रत्येक गांव में 1 बैरल तेल का उत्पादन करने में सफल होते हैं तो मथुरा रिफाइनरी के बराबर उत्पादन कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में लगी है यूनिट
वहीं, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जयति त्रिवेदी ने बताया की संस्थान ग्राम स्तर पर बायो डीज़ल का उत्पादन कराने की दिशा में अग्रसर है. उन्होंने बताया कि बायोडीजल का उत्पादन एक सामान्य प्रक्रिया है. ग्रामीण लोग खाद्य तेलों के अपशिष्ट को इकट्ठा करके इसका आसानी से उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमने पहली यूनिट छत्तीसगढ़ में 150 लीटर बायो डीज़ल उत्पादन क्षमता की लगाई है और सितंबर माह तक संसद भवन में लगा देंगे.
वे अपशिष्ट खाद्य तेलों को होटल ढाबों से लगभग ₹25 प्रति लीटर के हिसाब से खरीदते हैं और हमारा 1 लीटर बायोडीजल बनाने में लगभग ₹50 का खर्च आता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से विश्व पटल पर ईंधन की कीमत बढ़ रही है ऐसे में हम देश के अपने स्रोतों से बायोडीजल का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ सकते हैं.
कैबिनेट मिनिस्टर सतपाल महाराज ने इस काम के लिए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को धन्यवाद कहा और कहा कि खराब खाद्य तेलों के उपयोग से संस्थान द्वारा बनाई जाने वाली बायोडीजल की प्रक्रिया अद्भुत है. चार धाम में भी यह लगाया जा रहा है जिससे निश्चित रूप में हमारा प्रदेश बायोडीजल के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा.
(रमेश चंद्रा की रिपोर्ट)