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BJP Foundation Day: Atal Bihari Vajpayee और Lal Krishna Advani ने कैसे बनाई थी बीजेपी, पहले अधिवेशन की क्या थी भव्य तैयारी, जानिए

Bharatiya Janata Party का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने जनसंघ को ही नए कलेवर में पेश किया था. लेकिन नई पार्टी ने नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में उत्साह भर दिया. 7 महीने बाद जब मुंबई में पार्टी का पहला अधिवेशन हुआ तो कार्यकर्ताओं की गर्मजोशी दिखाई दी. इस अधिवेशन के लिए भव्य तैयारी की गई थी, लेकिन कार्यकर्ताओं के उत्साह के आगे वो भी फीकी पड़ गई.

भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था

भारतीय जनता पार्टी 42 साल की हो गई है. 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी का गठन हुआ था. शुरुआत से लेकर अब तक बीजेपी ने लंबा सफर तय किया है. बीजेपी को पहले आम चुनाव में सिर्फ 2 सीटें मिली थी. लेकिन 2019 आम चुनाव में पार्टी 303 सीटों तक पहुंच गई. लेकिन बीजेपी का गठन इतना आसान नहीं था और ना ही उस पार्टी को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाना आसान था. चलिए आपको बीजेपी के गठन और उसके पहले अधिवेशन के बारे में बताते हैं.

बीजेपी बनने के पीछे की कहानी-
बीजेपी बनाने वाले नेताओं का इससे पहले भारतीय जनसंघ से था. लेकिन साल 1980 में ऐसा कुछ हुआ कि इन नेताओं को नई पार्टी बनानी पड़ी. दरअसल साल आपातकाल के बाद कई दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई. इसमें जनसंघ भी शामिल था. साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी की केंद्र में सरकार भी बनी. लेकिन इसके बाद ही अंदरूनी खींचतान बढ़ने लगी. जनवरी 1980 में मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत हुई. कांग्रेस ने 520 सीटों में से 362 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि जनसंघ की सीटें 93 से घटकर 16 हो गई थी.
विनय सीतापति अपनी किताब 'जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले' में लिखते हैं कि जनता पार्टी की सहयोगी पार्टियों ने हार के लिए जनसंघ को दोषी ठहराया. जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता का विरोध भी शुरू हो गया था. दोहरी सदस्यता पर फैसला लेने के लिए 4 अप्रैल 1980 को जनता पार्टी ने बैठक बुलाने का फैसला किया. इसके साथ ही वाजपेयी और आडवाणी ने 5 और 6 अप्रैल को जनसंघ की एक रैली का ऐलान कर दिया.
4 अप्रैल को जनता पार्टी की बैठक में 14 वोटों के मुकाबले 17 वोटों के बहुमत से तय हुआ कि पार्टी का कोई भी सदस्य आरएसएस का सदस्य नहीं हो सकता. इसके बाद जनसंघ ने जनता पार्टी छोड़ने का फैसला किया.

बीजेपी बनने के एक दिन पहले क्या हुआ-
बीजेपी बनने के एक दिन पहले यानी 5 अप्रैल 1980 को फिरोजशाह कोटला में जनसंघ की बैठक हुई. विनय सीतापति लिखते हैं कि इस बैठक में 1500 लोगों के आने की उम्मीद थी. लेकिन इसमें 3683 पार्टी प्रतिनिधि शामिल हुए. मंच पर महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण और दीन दयाल उपाध्याय की तस्वीर लगाई गई थी. जिन्हें फूल-मालाओं से सजाया गया था. मंच पर ऐसे लोग मौजूद थे जो आरएसएस के नहीं थे. इसमें वकील शांतिभूषण और राम जेठमलानी के साथ मुस्लिम नेता सिकंदर बख्त भी शामिल थे. लाल कृष्ण आडवाणी ने नई पार्टी बनाने की घोषणा की.

6 अप्रैल को क्या हुआ-
6 अप्रैल को बीजेपी का गठन हुआ. इस दिन अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण में कहा कि जनता पार्टी की नीतियों और उसके कार्यक्रमों में कोई खामी नहीं थी. असल में लोगों ने राजनेताओं के व्यवहार के खिलाफ वोट दिया था. किताब के मुताबिक पार्टी का एजेंडा और प्रतीक का ऐलान बाद में होने वाला था. लेकिन 6 अप्रैल का दिन खत्म होने से पहले पार्टी के नाम का ऐलान कर दिया गया. पार्टी ने जनसंघ का नाम हटा दिया और नई पार्टी का नाम भारतीय जनता पार्टी रखा गया.
आडवाणी और वाजपेयी के इस फैसले को आरएसएस का समर्थन मिला. 13 अप्रैल 1980 को ऑर्गेनाइजर के संपादकीय में दावा किया गया कि कई लोग नई पार्टी को पुराने जनसंघ का नाम देना चाहेंगे, लेकिन नई पार्टी के लिए नया नाम ही उचित था... इसमें कई नए तत्व हैं, जिससे उसका जनाधार बढ़ेगा.

बीजेपी के पहले अधिवेशन की भव्य तैयारी-
गठन 7 महीने दिसंबर 1980 में बीजेपी का पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ. इसके लिए भव्य तैयारी की गई थी. बांद्रा रिक्लेमेशन में एक अस्थाई नगर बसाया गया था. किताब के मुताबिक पानी के प्रबंध के लिए 3 किलोमीटर लंबी पाइप, 1000 नल और 1500 ट्यूबलाइट की व्यवस्था थी. इसकी देखरेख की जिम्मेदारी 7000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं पर थी. इस भव्य कार्यक्रम में 54632 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. इसमें से 73 फीसदी सिर्फ 5 राज्यों महाराष्ट्र, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान से थे. विनय सीतापति लिखते हैं कि जब 28 दिसंबर को अधिवेशन शुरू हुआ तो 40 हजार लोगों के रहने-खाने की व्यवस्था की गई थी. लेकिन दोपहर तक ही 44 हजार लोग पहुंच गए थे. भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि लालकृष्ण आडवाणी को अनुरोध करना पड़ा कि जो लोग सक्षम हैं वो बाहर खा लें.

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