एजेंडा आज तक के मंच से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनेगी. यूपी में कोई पार्टी हमारे लिए चैलेंज नहीं है. इस सवाल पर कि क्या भाजपा अखिलेश यादव को चैलेंज की तरह ले रही है, नड्डा ने कहा कि अखिलेश से ज्यादा उनकी मानसिकता हमारे लिए चैलेंज है.
बाकी पार्टियां अब जागी, हमने लंबा सफर तय कर लिया
इस सवाल पर कि यूपी चुनाव को लेकर भापजा की क्या तैयारी है, नड्डा ने कहा कि जब से योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब से ही आगे के बारे में सोचकर चल रहे थे. बाकी पार्टियां तो अब जागी हैं. भाजपा ने अब तक लंबा सफर तय कर लिया है. कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं और जनता को भाजपा पर पूरा भरोसा है. योगी सरकार ने सड़क, हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन में अच्छा काम किया है. हर क्षेत्र में बेहतर काम हुए हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है.
जो कभी मंदिर नहीं जाते थे वे चंदन लगाकर भाषण दे रहे हैं
यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी कितनी बड़ी चुनौती हैं, इस सवाल पर नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. प्रियंका गांधी को यह समझना होगा कि लीडर और रीडर में अंतर होता है. वे अभी आई हैं. नेता और कार्यकर्ता उन्हें जो थमा देंगे, उसे वह पढ़ देंगी. नड्डा ने कहा कि कुछ नेताओं को देखकर आश्चर्य होता है. जिन नेताओं ने कभी मंदिर के दर्शन नहीं किए वे चंदन लगाकर भाषण दे रहे हैं. देर आए दुरुस्त आए.
कुछ लोगों ने खड़ा किया था आंदोलन
कृषि कानून को लेकर इस सवाल पर कि क्या मोदीजी किसानों के आगे झुक गए, नड्डा ने कहा कि ये कुछ विशेष लोगों के द्वारा खड़ा किया गया आंदोलन था. कृषि कानून आने के बाद 6 राज्यों में चुनाव हुए जिसमें तीन में भाजपा को जीत मिली. बंगाल में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा. तमिलनाडु और केरल में हम हारे जहां कभी हमारी सरकार नहीं रही. 100 उपचुनाव हुए जिसमें 60 सीटों पर भाजपा को जीत मिली. कई राज्यों में हुए लोकल बॉडी चुनाव में भाजपा को जीत मिली.
नड्डा ने कहा कि किसानों के लिए जितना मोदी सरकार ने सोचा है उतना अब तक किसी ने नहीं सोचा है. आंदोलन को लेकर नड्डा ने कहा कि हमें तो यह नहीं समझ आ रहा था कि किसानों को क्या समझाएं. वे तो बात तक करने को तैयार नहीं थे. सिर्फ अड़े थे कि कानून वापस करो. जब लगा कि किसान कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं तब कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लिया गया. अगर उद्देश्य सिर्फ आंदोलन करने का था, तो इसका कोई इलाज नहीं है.
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