इससे अच्छा क्या हो सकता है अगर किसी के सपनों को हम पंख दे सके. कुछ ऐसा ही कोलकाता के एक म्यूज़ियम ने कर दिखाया है. कोलकाता में 200 साल पुराना भारतीय संग्रहालय दृष्टिबाधित नागरिकों के लिए कलाकृतियों को 3डी इंप्रेशन में बदल देता है. यह पहल 3 दिसंबर, 2021 को विश्व विकलांगता दिवस पर शुरू की गई है. सामान्य तौर पर, संग्रहालय पर्यटकों को कलाकृतियों को छूने नहीं देते हैं, लेकिन भारतीय संग्रहालय दृष्टिबाधित आगंतुकों को मॉडल प्रतिरूपों को छूने की अनुमति देता है. यह अन्य संग्रहालयों की 'डू नॉट टच' कॉन्सेप्ट से बिलकुल अलग है.
चित्रों के बनाए 3-डी मॉडल
इंडिया टुडे से बात करते हुए, पेंटिंग गैलरी के क्यूरेटर, अर्नब बसु ने कहा कि 30 साल पहले की एक मेमोरी की वजह से उन्हें दृष्टिबाधित लोगों के लिए ऐसे मॉडल तैयार किए. इस परियोजना को 'मेलोडी ऑफ टच' कहा जाता है. "30 साल पहले, मैंने एक छोटे बच्चे को देखा था जो एक फूल को छू रहा था. मैंने सोचा कि यह कैसा रहेगा यदि हम चित्रों के 3-डी मॉडल बनाएं ताकि दृष्टिबाधित आगंतुक आकर उन्हें छू सकें और उन्हें महसूस कर सकें. अब तक हमने एक पायलट प्रोजेक्ट के प्रारूप में 2 पेंटिंग और 1 कलाकृतियों की प्रतिकृतियां बनाई है." अर्नब बसु ने इंडिया टुडे को बताया.
समावेशिता को बढ़ावा देने की पहल
संग्रहालय ने चित्रों और एक मूर्तिकला को छू सकने वाली कलाकृति में बदल दिया है जिसे आगंतुक देख सकते हैं. संग्रहालय के अधिकारियों के अनुसार, वे इस तरह के और अधिक कलाकृतियों को परिवर्तित करने की योजना बना रहे हैं. कोलकाता में 200 साल पुराने संग्रहालय के शिक्षा अधिकारी डॉ सयान भट्टाचार्जी ने कहा, "हम कुछ समय से इस तरह की सामाजिक परियोजनाएं कर रहे हैं. हमने अब तक 3 कलाकृतियों के साथ शुरुआत की है और हम इसे अपने संग्रहालय में हर गैलरी में विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं. यह समावेशिता को बढ़ावा देने का हमारा तरीका है."