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BPSC Exam Row: क्या होता है नॉर्मलाइजेशन सिस्टम? सड़कों पर उतरने को क्यों मजबूर हुए BPSC अभ्यर्थी, क्या हैं मांगे, जानिए पूरी कहानी

बिहार में पिछले करीब दो हफ्ते से बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी मांग BPSC से दोबारा परीक्षा आयोजित कराने की है.

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हाइलाइट्स
  • क्या होती है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया

  • सड़कों पर उतरने को क्यों मजबूर हुए BPSC अभ्यर्थी

बिहार में पिछले करीब दो हफ्ते से बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी मांग BPSC से दोबारा परीक्षा आयोजित कराने की है. सोमवार को इसी प्रदर्शन के दौरान पटना में अभ्यर्थियों के साथ पटना पुलिस ने बर्बर व्यहार करते हुए उनके ऊपर लाठीचार्ज किया और कड़ाके की सर्दी में उनके ऊपर वाटर कैनन की बौछार की. अब यह आंदोलन आरपार की लड़ाई में बदल चुका है, जहां छात्र अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और बीपीएससी भी उनकी बातों को मानने के लिए तैयार नहीं है. छात्रों ने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है. वे दोबारा परीक्षा और दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. चलिए विस्तार से समझते हैं क्या है यह पूरा मामला?

क्या है मामला?
बपीएससी ने जब परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया तो उससे छात्रों के बीच ये अफवाह फैली कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू की जाएगी. इसको लेकर छात्रों ने पटना में बीपीएससी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और फिर दो दिन बाद आयोग की सफाई आई कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन कभी था ही नहीं. 

विवाद की वजह क्या
आयोग ने जब आधिकारिक रुप से नॉर्मलाइजेशन की खबरें भ्रामक घोषित करते हुए परीक्षा को एक सत्र में आयोजित करने का ऐलान किया तो छात्रों का प्रदर्शन खत्म हो गया. 13 दिसंबर को हजारों की संख्या में छात्र एग्जाम देने के लिए परीक्षा केंद्र पहुंचे. लेकिन बापू एग्जाम सेंटर पर प्रश्न पत्र बंटने में देर होने को लेकर हंगामा हो गया. इसके बाद छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा में अनियमितता हुई है. सेंटर पर पेपर लीक का आरोप लगाते हुए छात्रों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. हंगामे की सूचना मिलते ही पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह मौके पर पहुंचे लेकिन इसी दौरान एग्जाम सेंटर पर बवाल मचा रहे अभ्यार्थियों में एक अभ्यर्थी को डीएम ने थप्पड़ मार दिया, जिससे छात्र भड़क गए. बवाल के बाद बिहार लोक सेवा आयोग ने पटना के बापू सेंटर पर परीक्षा को रद्द कर दिया और 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन की नई तारीख 4 जनवरी को घोषित कर दी.

क्या होती है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में अंकों का औसत निकाला जाता है और जिस शिफ्ट में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं उसके हिसाब से कम अंकों वाली शिफ्टों में अंक जोड़कर बराबरी पर लाया जाता है. इसका मकसद सभी परीक्षार्थियों को समान अवसर देना होता है, भले ही उनकी परीक्षा का स्तर अलग-अलग हो. इसी प्रक्रिया को नॉर्मलाइजेशन कहा जाता है.

एक उदाहरण से समझिए- एक पाली का औसत स्कोर 95 रहा. वहीं दूसरी शिफ्ट का 85 रहा. तो नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के तहत दोनों का औसत निकाल कर इसे 90 बना दिया जाएगा. इससे अच्छा स्कोर करने वाले अभ्यर्थियों को नुकसान होगा. यह प्रक्रिया सभी बड़े एक्जाम आईआईटी जेईई में लागू की जाती है. इसके लिए एक फॉर्मूला होता है.

राजनीतिक दल क्यों कूद रहे हैं विवाद में...
2025 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और जिस तरह से बीपीएससी का मुद्दा गरमाया है. उससे छात्रों का मुद्दा चुनावों में भी उठने की पूरी संभावना है. तेजस्वी यादव से लेकर पप्पू यादव और प्रशांत किशोर तक सभी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं और उन्होंने भी अभ्यर्थियों का समर्थन किया है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को लगता है कि ये एक ऐसा मुद्दा है जो चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है क्योंकि ये मामला छात्रों से जुड़ा है.

BPSC परीक्षार्थियों पर लाठीचार्ज के बाद बिहार में क्या हैं हालात?
छात्रों के आंदोलन में कल प्रशांत किशोर की भी एंट्री हुई है लेकिन लाठीचार्ज के दौरान पीके की गैरमौजूदगी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रशांत किशोर ने सोमवार को 48 घंटे का अल्टीमेटम सरकार को दिया है. उन्होंने कहा है कि परीक्षा रद्द हो नहीं तो वे 2 जनवरी से फिर से धरना पर बैठेंगे. BPSC विवाद पर बिहार सरकार के मंत्री सुनील कुमार ने कहा है कि राज्यपाल ने भी अध्यक्ष से बातचीत की है अब राजपाल के स्तर पर क्या फैसला होता है इसको देखा जाएगा. जहां तक दोबारा एग्जाम लेने का प्रश्न है तो बीपीएससी उसपर उचित निर्णय लेगा.