scorecardresearch

लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए तीन घंटे के भीतर अहमदाबाद से दिल्ली लाए गए फेफड़े, दो ग्रीन कॉरिडोर की ली गई मदद

अहमदाबाद में एक ब्रेन-डेड मरीज के फेफड़ों को प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) के लिए अहमदाबाद से दिल्ली तीन घंटे के अंदर लाया गया. इसके लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए थे. लाए गए फेफड़ों को सर्जरी द्वारा एक 54 वर्षीय व्यक्ति के लगाया गया. अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, जिस व्यक्ति के फेफड़े लगाए गए हैं वो मेरठ का रहने वाला है और कई वर्षों से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित था.

Lungs transported from Ahmedabad to Delhi in 3 hrs via air Lungs transported from Ahmedabad to Delhi in 3 hrs via air
हाइलाइट्स
  • 16 मिनट में तय किया 20 किलोमीटर का सफर

  • 9 घंटे से अधिक समय तक चला ऑपरेशन 

अहमदाबाद में एक ब्रेन-डेड मरीज के फेफड़ों को प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) के लिए अहमदाबाद से दिल्ली तीन घंटे के अंदर लाया गया. इसके लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए थे. लाए गए फेफड़ों को सर्जरी द्वारा एक 54 वर्षीय व्यक्ति के लगाया गया. अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, जिस व्यक्ति के फेफड़े लगाए गए हैं वो मेरठ का रहने वाला है और कई वर्षों से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित था. ऑपरेशन साउथ दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल में कराया गया. 

दो ग्रीन कॉरिडोर की ली गई मदद
अस्पताल के अधिकारियों ने एक बयान में कहा,"अहमदाबाद में सिविल अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. अंगों को एक फ्लाइट के माध्यम से लाया गया. जबकि दूसरे ग्रीन कॉरिडोर को नई दिल्ली के आईजीआई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के बीच बनाया गया था." हवाई अड्डे पर इंतजार कर रही एक एम्बुलेंस ने तेजी से डोनर के फेफड़ों को मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पहुंचाया. अधिकारियों ने कहा, "फेफड़ों को तीन घंटे में कुल 950 किमी की दूरी तय करते हुए बिना किसी बाधा के ले जाया गया."

दिल्ली पुलिस ने निभाया अहम किरदार 
सफलता के लिए एक प्रारंभिक प्रत्यारोपण की गंभीरता को देखते हुए, अधिकारियों द्वारा सुरक्षित मार्ग की सुविधा प्रदान की गई. मैक्स हेल्थकेयर अधिकारियों ने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया था कि निकाले गए फेफड़ों को महत्वपूर्ण आठ घंटे चेस्ट टू चेस्ट की अवधि के भीतर प्रत्यारोपित किया जाए. नेशनल ऑर्गन और टिशू ट्रांसप्लांट द्वारा तुरंत इस पर कार्रवाई की गई. नेशनल ऑर्गन और टिशू ट्रांसप्लांट (NOTTO),गुजरात पुलिस और दिल्ली पुलिस ने सुनिश्चित किया कि फेफड़े समय पर अस्पताल पहुंचे.

16 मिनट में तय किया 20 किलोमीटर का सफर
ग्रीन कॉरिडोर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की टीम ने फेफड़ों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए बनाया था. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अहमदाबाद से जब फेफड़ों को फ्लाइट के जरिए सुबह 10.30 बजे दिल्ली लाया गया. इसके बाद आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल-3 से मैक्स अस्पताल तक करीब 20 किमी की दूरी को 16 मिनट में तय किया गया.

ब्रेन डेड है डोनर
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त  एके सिंह ने कहा, "वीवीआईपी मार्ग और यातायात नियमों के संबंध में यातायात कर्मचारियों की व्यस्तता के बावजूद, आईजीआई से मैक्स अस्पताल, साकेत तक ग्रीन कॉरिडोर प्रदान किया गया था और फेफड़ों को सफलतापूर्वक पहुंचाया गया." दान किए गए फेफड़े अहमदाबाद के एक 44 वर्षीय व्यक्ति के थे, जिन्हें ब्रेन हैमरेज के बाद ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया था.

9 घंटे से अधिक समय तक चला ऑपरेशन 
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट, एडल्ट सीटीवीएस के एसोसिएट डायरेक्टर राहुल चंदोला ने कहा, "निकाले गए फेफड़ों को घड़ी की सुई की सटीकता के साथ दिल्ली लाया गया. मरीज को सीओपीडी है और उसे तत्काल फेफड़े के प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी." डॉ राहुल चंदोला के नेतृत्व में 15 डॉक्टरों की एक टीम ने बायलेटरल फेफड़ों (दोनों फेफड़े) के प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए 9 घंटे से अधिक समय तक ऑपरेशन किया.