केंद्र सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए एक नई योजना PM-PRANAM (Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana) को मंजूरी दी है. मोदी सरकार ने 3.68 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मौजूदा यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक तीन वर्षों तक जारी रखने का भी निर्णय लिया है.
केंद्रीय बजट में घोषित, PM-PRANAM का मतलब Programme for Restoration, Awareness, Generation, Nourishment and Amelioration of Mother Earth से है. जिसका अर्थ है- धरती माता की बहाली, जागरूकता, सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम. पीएम-प्रणाम का उद्देश्य मिट्टी को बचाना और उर्वरकों के सतत संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना है.
बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय को मंजूरी दी, जिससे कुल पैकेज 3.70 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. सीसीईए ने मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए पहली बार देश में सल्फर-लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का भी निर्णय लिया.
कैसे काम करेगी स्कीम
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि वैकल्पिक उर्वरक अपनाने वाले राज्यों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके बचाई जाने वाली सब्सिडी से प्रोत्साहित किया जाएगा. मान लीजिए कि कोई राज्य 10 लाख टन रासायनिक उर्वरक का उपयोग कर रहा है, और यदि वह अपनी खपत 3 लाख टन कम कर देता है, तो सब्सिडी की बचत 3,000 करोड़ रुपये होगी. मंडाविया ने कहा, इसलिए, वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र राज्य को इसका 50% यानी 1,500 करोड़ रुपये भी देगा. इसका उद्देश्य उन राज्य सरकारों को नकद प्रोत्साहन देना है जो रासायनिक मिट्टी के पोषक तत्वों की खपत में कटौती कर सकें.
PM-PRANAM योजना के तहत, राज्य जो उर्वरक सब्सिडी बचाएंगे, उसका 50% उसे अनुदान के रूप में वापस दिया जाएगा, जिसे राज्य किसी भी उपयोग में ला सकता है, विशेष रूप से वैकल्पिक खाद के उत्पादन में निवेश में. प्राकृतिक खेती की दिशा में इस पहल- PM-PRANAM की सफलता पूरी तरह से राज्यों पर निर्भर करेगी.
जैविक उर्वरकों के उत्पादन को बढ़ावा
कहा जा रहा है कि हरियाणा और गुजरात जैसे राज्य, जिन्होंने प्राकृतिक खेती में अग्रणी भूमिका निभाई है, इस योजना के पहले बड़े लाभार्थी हो सकते हैं. बुधवार को घोषित अपनी योजनाओं में, सरकार ने फसल रसायनों के विकल्पों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश का प्रावधान किया है.
कैबिनेट ने गोबरधन प्लांट्स से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (MDA) योजना के लिए ₹1,451.84 करोड़ को मंजूरी दी, जो कि फर्मेंटेड ऑर्गनिक मैन्योर या एफओएम, तरल एफओएम, फॉस्फेट युक्त जैविक खाद या पीओएम जैसे उर्वरकों का उत्पादन करने वाले हैं.
क्या होते हैं ऑर्गनिक फर्टिलाइजर या जैविक उर्वरक
जैविक उर्वरक वे होते हैं जो प्राकृतिक रूप से उत्पादित होते हैं और जिनमें बिना किसी रसायन के कार्बन तत्व होते हैं. उनके प्राइमरी रॉ मेटेरियल, पशु अपशिष्ट जैसे गोबर आदि, मीट वेस्ट, खाद, स्लरी और पौधे-आधारित उर्वरक और पौधे की खाद होते हैं.
समग्र उर्वरक खपत के अनुपात में जैविक उर्वरकों की पहुंच 2018-19 के लिए केवल 0.29% और 2019-20 के लिए 0.34% थी. 2021-22 के दौरान, भारत में जैविक खेती के तहत 4.73 मिलियन हेक्टेयर भूमि के साथ जैविक कृषि भूमि में बढ़ोतरी हुई है.