
कैप्टन श्रद्धा भारतीय सेना के एलीट चीता हेलीकॉप्टर फ्लीट में शामिल होने वाली पहली महिला पायलट हैं. यह बहुत ही महत्वपूर्ण पल है क्योंकि यह नियुक्ति भारतीय सेना के भीतर लैंगिक समावेशिता की मिसाल पेश करती है. साल 2020 में कमीशन मिलने के बाद, कैप्टन श्रद्धा ने 2023 में उड़ान शुरू की और 165 घंटे सोलो फ्लाइंग की. इससे उन्हें फुल ऑपरेशनल स्टेट्स मिल गया है.
हाल ही में, उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल केएस भल्ला के साथ चीता विमान का को-पायलट किया. इस दौरान विमान में सेना कमांडर भी थे. यह उपलब्धि कैप्टन श्रद्धा की सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि युद्ध और ऑपरेशनल रोल्स में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भारतीय सेना के प्रयासों को भी उजागर करती है.
ऑपरेशनल एक्सीलेंस की हासिल
कैप्टन श्रद्धा का पूरी तरह से ऑपरेशनल पायलट बनने का सफ़र उनके असाधारण कौशल, समर्पण और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है. उन्होंने 165 घंटे सोलो फ्लाइंग करके यह साबित किया है कि देश की बेटियां किसी से पीछे नहीं हैं. वह किसी भी तरह के मिशन में अपने देश के लिए काम कर सकती हैं. कैप्टन श्रद्धा ने यह उपलब्धि ध्रुव कमांड के तहत काम करते हुए हासिल की है. ध्रुव कमांड लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने की पहल का नेतृत्व कर रहा है. कैप्टन श्रद्धा की उपलब्धि महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली प्रतीक है.
कई अभियानों में इस्तेमाल हुआ है चीता हेलिकॉप्टर
भारतीय सेना का चीता हेलिकॉप्टर (HAL Cheetah) एक लाइट व मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर है, जिसे मुख्य रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस हेलिकॉप्टर का निर्माण हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय सेना और वायुसेना दोनों के लिए किया है. यह हेलिकॉप्टर दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले इलाकों जैसे सियाचिन ग्लेशियर में भी काम करने में सक्षम है. यह 20,000 फीट तक ऑपरेट कर सकता है. यह हेलिकॉप्टर फ्रेंच कंपनी Aerospatiale SA 315B Lama का लाइसेंस-निर्मित संस्करण है.
भारतीय सेना के चीता हेलिकॉप्टर ने कई महत्वपूर्ण अभियानों और मिशनों में भाग लिया है, खासकर ऊंचाई वाले और मुश्किल में. भारतीय सेना के कुछ प्रमुख अभियान जैसे सियाचिन ऑपरेशन (Operation Meghdoot - 1984 से अब तक), कारगिल युद्ध (1999), उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाएं जैसे 2013 उत्तराखंड बाढ़ के दौरान बचाव कार्यों, और नॉर्थईस्ट और जम्मू-कश्मीर में काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन्स में हुआ है. कुछ चीता हेलिकॉप्टरों का उपयोग भारतीय सेना ने अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में UN मिशनों में भी किया है.