पिछले कई सालों से देश में डीएनए बैंक बनाने की तैयारी चल रही है. फिंगर प्रिंट की तर्ज पर ये बैंक तैयार किए जाने की बात हो रही है. हालांकि, अब डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल को वापस ले लिया गया है. यानि अब ये कानून नहीं बनेगा. केंद्र सरकार ने सोमवार को इसे लोकसभा से वापस ले लिया है. शुरुआत में इसकी तुलना आधार से की जा रही थी और कहा जा रहा था कि इस डीएनए तकनीक की मदद से अपराधियों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा. लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस डीएनए डेटा के मिसयूज किया जा सकता है. इसलिए इसे वापस ले लिया गया है.
2019 में हुई थी इसपर बात शुरू
दरअसल, भारत सरकार ने डीएनए टेक्नोलॉजी विनियमन विधेयक, 2019 को लोकसभा से वापस लेने का फैसला कर लिया है. 2019 में, इसे लोकसभा में पेश किया गया था. जिसके बाद इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया था. हालांकि, इस दौरान काफी चिंताएं व्यक्त की गई थीं कि इस विधेयक का दुरुपयोग धर्म, जाति या राजनीतिक विचारों के आधार पर समाज के विशिष्ट वर्गों को टारगेट करने के लिए किया जा सकता है. यही कारण है कि सोमवार को से वापस ले लिया गया.
अपराधियों को पकड़ने के लिए लाया जा रहा था ये कानून
डीएनए टेक्नोलॉजी बिल का उद्देश्य मुख्य रूप से आपराधिक जांच और पहचान स्थापित करने के लिए व्यक्तियों के डीएनए सैंपल प्राप्त करना, उन्हें स्टोर करना और उनकी टेस्टिंग के लिए एक नियामक ढांचा बनाना था. यानि एक तरह से डीएनए बैंक बनाया जाना था. मौजूदा समय में डीएनए टेस्टिंग का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे आपराधिक जांच, माता-पिता का सत्यापन और लापता व्यक्तियों का पता लगाना.
क्या थीं इससे जुड़ी चिंताएं
विधेयक पर बहस के दौरान उठाई गई मुख्य चिंताएं तीन पहलुओं पर केंद्रित थीं. सबसे पहले, डीएनए टेक्नोलॉजी की अचूक प्रकृति के बारे में सवाल उठाए गए थे. आलोचकों ने तर्क दिया कि इस तरह की घुसपैठ वाली जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है और व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन किया जा सकता है. डीएनए जानकारी न केवल किसी व्यक्ति की पहचान, बल्कि संवेदनशील शारीरिक और बायोलॉजिकल विशेषताओं को भी उजागर कर सकती है, जिसमें उनकी बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता और संभावित मेडिकल रिकॉर्ड भी शामिल है.
सरकार ने किया था इस कानून का बचाव
हालांकि, केंद्र सरकार शुरू से ही इस बिल का बचाव कर रही थी. विधेयक का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 60 देशों ने इसी तरह का कानून बनाया है. साथ ही आश्वासन दिया कि इस बिल में गोपनीयता और डेटा सुरक्षा का ध्यान रखा गया है. सरकार ने कहा कि डेटा बैंक में कम जानकारी होगी, जो केवल विशिष्ट पहचानकर्ता के रूप में काम करेगी, इसमें उनकी प्राइवेसी से जुड़ी कोई जानकारी नहीं होगी.