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Chandrayaan-3 ने पास किया मुश्किल टेस्ट, विपरीत परिस्थितियों में भी हो सकता है लॉन्च

चंद्रयान 3 को लेकर इसरो के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है. उसने टेस्टिंग में एक ऐसा मील का पत्थर जड़ा है. जिसके बाद पूरी दुनिया की निगाहें एक बार फिर भारत की तरफ होने वाली हैं.

चंद्रयान-3 चंद्रयान-3
हाइलाइट्स
  • चंद्रयान ने साबित की अपनी क्षमता

  • तीन मॉड्यूल का संयोजन है चंद्रयान-3

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो एक और इतिहास रचने की तरफ बढ़ रहा है. अंतरिक्ष में हिंदुस्तान की ताकत की नई बुनियाद रखने की कोशिश की गई है और ये मुमकिन होने वाला है चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान की बदौलत. जिसके कुछ सफल परीक्षण किए गए हैं. इन टेस्ट्स की कामयाबी भारत के लिए नए गौरव के पल ले आई है.

चंद्रयान ने साबित की अपनी क्षमता
इसरो की मानें तो चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने जरूरी टेस्ट को कामयाबी के साथ पूरा किया है. इस टेस्ट में चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान ने कठोर कंपन और ध्वनिक वातावरण का सामना करने की अपनी क्षमता साबित की है. इस मिशन में ये एक और मील का पत्थर है. बकौल इसरो ये टेस्ट मार्च 2023 के पहले हफ्ते में बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में स्थित टेस्टिंग सुविधाओं में किए गए थे. परीक्षण को लेकर इसरो ने कहा कि किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए क्वालिफिकेशन और स्वीकृति प्रक्रिया का एक जरूरी हिस्सा हैं. 

तीन मॉड्यूल का संयोजन है चंद्रयान-3
टेस्टिंग की चुनौतियों के बारे में इसरो की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान तीन मॉड्यूल अर्थात इंपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर मॉड्यूल का एक संयोजन है. इंटीग्रेटेड अंतरिक्ष यान पर किए गए कंपन और ध्वनिक परीक्षणों ने लॉन्च पर्यावरण में संरचनात्मक अखंडता और उत्तरजीविता पर पर्याप्त विश्वास प्रदान किया है. 

जून 2023 में लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-3 मिशन 
इससे पहले बीते साल अक्टूबर में इसरो के अध्यक्ष ने बयान में बताया था कि जून 2023 में चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किए जाने की संभावना है. कहा था कि लॉन्च पैड के लिए डिजाइन तैयार है. सुरक्षा के लिए एक बार अगर जमीन हमारे नियंत्रण में आ जाती है, तो हम इस पर निर्माण शुरू कर देंगे. गौरतलब है कि चंद्रयान -2, चंद्रमा के लिए भारत का दूसरा मिशन है, जिसे 22 जुलाई, 2019 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था.