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85 सालों तक इस सीट पर रहा बाप-बेटे का दबदबा, अनोखा है छपरौली विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

छपरौली सीट का राजनीतिक इतिहास और महत्व बहुत खास है. इस सीट पर अंग्रेजों के शासन से ही चौधरी चरण सिंह का वर्चस्व शुरू हुआ जो आज भी कायम है.

1937 में पहली बार चरण सिंह लड़े थे छपरौली से चुनाव (file photo) 1937 में पहली बार चरण सिंह लड़े थे छपरौली से चुनाव (file photo)
हाइलाइट्स
  • 85 सालों तक छपरौली सीट पर बाप-बेटे का दबदबा.

  • चौधरी चरण सिंह लगातार 30 साल इस सीट से विधायक रहे.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल अपनी पूरी ताक़त लगा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में देश की सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें हैं और सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री इसी सूबे से हुए हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल यहां प्रचार-प्रसार में कमर कसे हुए हैं. राज्य में कई ऐसे परिवार हैं, जिनका राजनीति में तगड़ा दबदबा रहा है. बड़े नेताओं का अपनी सीटों पर प्रभाव कोई नई बात भी नहीं है. लेकिन बागपत जिले की छपरौली सीट का जिस तरह का रिकॉर्ड रहा है, वो उत्तर प्रदेश तो क्या देश में अपनी तरह का अनोखा है

85 सालों तक छपरौली सीट पर बाप-बेटे का दबदबा

उत्तर प्रदेश का बागपत जिला दिल्ली और हरियाणा से लगा हुआ है. जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं लेकिन इनमें छपरौली सीट का राजनीतिक इतिहास और महत्व बहुत खास है. इस सीट पर अंग्रेजों के शासन से ही चौधरी चरण सिंह का वर्चस्व शुरू हुआ जो आज भी कायम है. 1937 से लेकर 2017 तक 80 साल में यहां हमेशा चौधरी चरण सिंह परिवार ने जिसको कैंडिडेट बनाया, वही जीता है. यहां ना कोई लहर काम करती है और ना ही किसी हवा में इस सीट का रुख बदलता है

1937 में पहली बार चरण सिंह लड़े थे छपरौली से चुनाव

किसान मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अंग्रेजी शासन में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. करीब 35 साल की उम्र में 1937 में उन्होंने छपरौली विधानसभा से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने. देश की आजादी के बाद भी वो यहां से लड़ते रहे और 1977 तक लगातार 30 साल इस सीट से विधायक रहे. चरण सिंह पहले कांग्रेस में रहे फिर उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय क्रांति दल बनाई. जनता दल के साथ भी चरण सिंह रहे. छपरौली के मतदाताओं को कभी इससे फर्क नहीं पड़ा कि चरण सिंह किस पार्टी में हैं. जिसको भी उनकी ओर से समर्थन या टिकट दिया गया, उसे छपरौली की जनता ने विधायक बनाकर भेज दिया.

अजित सिंह और सरोज भी बनीं थी छपरौली से विधायक

छपरौली से चौधरी चरण सिंह की बेटी सरोज साल 1985 में और बेटे अजित सिंह साल 1991 में विधायक रहे. चौधरी चरण सिंह की मौत के बाद अजित सिंह को उनकी सियासी विरायत मिली तो उनके साथ भी छपरौली के लोग उसी तरह खड़े रहे. अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD)  बनाई तो छपरौली ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD)  का साथ दिया. 2002 से 2017 तक यहां लगातार RLD का कैंडिडेट जीता है.

अब जयंत के कंधों पर जिम्मेदारी

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्त लहर देखने को मिली थी. प्रदेश भर में 300 से ज्यादा सीटें बीजेपी ने जीती थी. तब भी RLD  ने छपरौली सीट पर अपना कब्जा जमाए रखा था. मई 2021 में अजित सिंह का निधन हो जाने के बाद अब RLD की जिम्मेदारी उनके बेटे जयंत चौधरी के कंधों पर आ टिकी है. ऐसे में चरण सिंह और अजित सिंह के साथ 80 सालों के राजनीतिक सफर के बाद अब छपरौली की जनता जयंत चौधरी के साथ कैसे खड़ी होती है, ये इस 2022 के चुनाव में देखना दिलचस्प होगा. 

छपरौली विधानसभा सीट के आंकड़े

जाट 1 लाख 30 हजार, मुस्लिम 60 हजार, कश्यप 25 हजार, दलित 20 हजार, गुर्जर 15 हजार. बागपत विधानसभा में 3 विधानसभा है. बागपत, बड़ौत और छपरौली हॉट सीट मानी जाती है क्योंकि इस सीट पर सालों से आरएलडी का कब्जा रहा है. आरएलडी ने अपने पूर्व विधायक डॉ अजय को दोबारा से अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने आरएलडी से जीतने के बाद सहेंद्र  सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. 

85 सालों से छपरौली सीट पर आरएलडी का कब्जा

जनपद में 3 विधानसभा सीट है. बागपत,बड़ौत, छपरौली इन तीनों विधानसभाओं में छपरौली हॉट सीट है क्योंकि 85 सालों से छपरौली सीट पर आरएलडी का कब्जा रहा है. इस बार जयंत सिंह ने 2002 में छपरौली से विधायक रहे डॉ अजय पर ही अपना भरोसा जताया है. वहीं बीजेपी ने सहेंद्र सिंह को टिकट दिया है. सहेंद्र सिंह ने आरएलडी से जीत दर्ज कर दी थी और बीजेपी जॉइन कर ली थी. इस बार भी बीजेपी ने सहेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है. छपरौली विधानसभा में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. वहीं स्थानीय लोगों में ये नाराजगी भी है कि सहेंद्र सिंह ने आरएलडी से जीत दर्ज की थी और बीजेपी जॉइन कर ली थी, इसका नुकसान सहेंद्र सिंह को हो सकता है. 

किस पार्टी ने किसे दिया टिकट 

कांग्रेस ने छपरौली विधानसभा सीट से यूनुस चौधरी, बड़ौत विधानसभा से राहुल कश्यप और बागपत विधानसभा सीट से अनिल देव त्यागी को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने छपरौली विधानसभा से सहेंद्र सिंह रमाला, बागपत से योगेश धामा और बड़ौत से केपी.मलिक को उतारा है. सपा और आरएलडी ने छपरौली से डॉ अजय, बड़ौत से जयवीर तोमर, बागपत से अहमद हमीद को उतारा है. बीएसपी ने बागपत विधानसभा सीट से अरुण कसाना, बड़ौत से अंकित शर्मा को उतारा है. छपरौली से बीएसपी ने मो.शाहीन को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी ने बागपत से नवीन चौधरी, बड़ौत से सुधीर शर्मा और छपरौली विधानसभा से राजेंद्र खोकर को उतारा है.