इस साल चौरी-चौरा कांड की 100वीं बरसी है. आपने अपनी इतिहास की किताबों में चौरा चौरी कांड के बारे में जरूर पढ़ा होगा. इतिहास के पन्नों में 4 फरवरी 1922 के दिन का बड़ा महत्व है. चौरी-चौरा कांड में 23 अंग्रेजी सैनिक मारे गए थे. लाल मुहम्मद, बिकरम अहीर, नहीर अली जैसे आजादी के दीवानों ने इस घटना को अंजाम दिया था. इस घटना ने ब्रिटिश हुकुमत की नींद उड़ा दी थी. कई जानकार इसे 1857 की क्रांति के बाद आजादी की लड़ाई में सबसे निर्णायक मोड़ मानते हैं.
कहां है चौरी-चौरा?
चौरी चौरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिले में स्थित एक कस्बा है. यह वास्तव में दो अलग-अलग गांवों चौरी और चौरा से मिलकर बना है. ब्रिटिश भारतीय रेलवे के एक ट्रैफिक मैनेजर ने इन गांवों का नामकरण एक साथ किया था. जनवरी 1885 में यहां एक रेलवे स्टेशन की स्थापना हुई थी. शुरु में सिर्फ रेलवे प्लेटफॉर्म और मालगोदाम का नाम ही चौरी-चौरा था, लेकिन बढ़ते बाजार ने दोनों गांवों को हमेशा के लिए एक कर दिया.
क्या है चौरी-चौरा घटना?
महात्मा गांधी की अगुवाई में 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसी को आगे बढ़ाते हुए स्वयंसेवकों ने 4 फरवरी को चौरी-चौरा गांव में एक बैठक की और पास के बाजार में जुलूस निकालने का फैसला किया. पुलिस ने उनके जुलूस को रोकने का प्रयास किया और गोलियां बरसाने लगे, जिसकी वजह से भीड़ और भी ज्यादा उग्र हो गई. इस घटना में कुछ निहत्थे लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. पुलिस के इस बर्ताव से लोगों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन को जला दिया. इस घटना में 23 पुलिसकर्मियों की मौत हुई. इस हिंसक कृत्य से आहत हुए गांधीजी ने 12 फरवरी 1922 को बारदोली में कांग्रेस की बैठक में असहयोग आंदोलन को वापस लिया. क्रांतिकारियों के इस आक्रोश से ब्रिटिश सरकार की नींव हिल गई थी.
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
ब्रिटिश सरकार ने अभियुक्तों पर मुकदमा चलाया. सत्र अदालत ने 225 अभियुक्तों में से 172 लोगों को मौत की सजा सुनाई. हालांकि बाद में इसमें से दोषी ठहराए गए लोगों में से केवल 19 को फांसी दी गई थी.
चौरी-चौरा का प्रभाव
चौरी-चौरा कांड से पूरे देश में उठे तूफान ने कई युवा राष्ट्रवादियों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत अहिंसा के जरिए कभी अंग्रेजों से आजादी हासिल नहीं कर पाएगा. इन क्रांतिकारियों में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, जतिन दास, भगत सिंह, मास्टर सूर्य सेन, भगवती चरण वोहरा जैसे कई लोग शामिल थे, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.