मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य की गूंज प्रदेश के सभी किलों और गलियों में गूंजती है. शिवाजी महाराज न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित शख्सियतों में से एक हैं. हर साल मराठा शासक की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।
हर साल शिवाजी जयंती 19 फरवरी को मनाई जाती है और इस योद्धा को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़े उत्सव होते हैं. आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती है.
शिवाजी जयंती: इतिहास, महत्व, तथ्य
ज्योतिराव फुले, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता में से एक थे, जिन्होंने सबसे पहले शिवाजी जयंती मनाना शुरू किया था. रायगढ़ किले में उनकी समाधि की खोज के बाद पहली बार छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती 1870 में मनाई गई थी.
शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे जो स्वयं एक कट्टर हिंदू थे लेकिन समान रूप से अन्य धर्मों को स्वीकार करते थे. कहा जाता है, यह महान मराठा राजा शिवाजी थे जिन्होंने सबसे पहले नौसेना बल के महत्व को पहचाना और उन्हें भारतीय नौसेना के जनक के रूप में जाना जाता है. समुद्र तट और अपने किलों की रक्षा के लिए शिवाजी ने एक नौसैनिक बल की स्थापना की.
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
छत्रपति शिवाजी भी उन राजाओं में से एक थे जिन्होंने महिलाओं का हमेशा समर्थन किया और उन्हें सम्मानित किया. किसी भी महिला का अपमान या उत्पीड़न करने वाले को दंडित किया जाता था.
सेना में अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाने वाले शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति बनाई और कई युद्ध जीते. इसलिए, उन्हें 'माउंटेन रैट' उपनाम भी दिया गया था. सिद्धूगढ़, जयगढ़ किले महान मराठा राजा की शक्ति, कौशल और विरासत की गवाही के रूप में खड़े हैं.
छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार
छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार लोगों को आशा देते थे और किसी के भी मन में जोश भर देते हैं.