

हर 12 साल में भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर महाकुंभ का आयोजन होता है. इनमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन शामिल हैं. इस बार महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाला है.
इस बीच सोशल मीडिया पर दावा किया गया है कि महाकुंभ की तैयारियों के बीच प्रयागराज में सम्राट हर्षवर्धन की मूर्ति की जगह छत्रपति शिवाजी की मूर्ति लगा दी गई है. आइए जानते हैं क्या है इस वायरल दावे का सच.
क्या है सोशल मीडिया पर वायरल दावा?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने में बस कुछ ही दिन रह गए हैं. जिले में कुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं और योगी सरकार महाकुंभ को भव्य बनाने के लिए कई कदम उठा रही है. इस बीच कई सोशल मीडिया यूजर ये दावा कर रहे हैं कि प्रयागराज प्रशासन ने महादानी कहे जाने वाले सम्राट हर्षवर्धन की एक प्रतिमा को महाकुंभ के प्रवेश द्वार से हटा कर वहां छत्रपति शिवाजी की मूर्ति लगा दी है. लोग इस दावे के साथ एक वीडियो भी शेयर कर रहे हैं जिसमें किसी सड़क के पार घोड़े पर सवार छत्रपती शिवाजी की मूर्ति नजर आ रही है.
वायरल वीडियो में एक वॉयसओवर के जरिए कहा जा रहा है कि महाकुंभ की तैयारियों के बीच प्रयागराज में छत्रपती शिवाजी की प्रतिमा लगाई गई है. वीडियो के अगले हिस्से में सड़कों पर भव्य लाइटिंग से हुई सजावट भी देखी जा सकती है.
वहीं कुछ यूजर्स सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा की तस्वीर के साथ लिख रहे हैं, “प्रयागराज कुंभ मेले से सम्राट हर्षवर्धन वैस की मूर्ति हटा के सरकार ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति स्थापित की है. सरकार सम्राट हर्षवर्धन की मूर्ति के रहते भी तो छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लगा सकती थी. सम्राट की मूर्ति हटाने की क्या आवश्यकता थी?"
कौन थे सम्राट हर्षवर्धन?
प्राचीन भारत के सम्राट हर्षवर्धन को उनके दानवीर होने की वजह से याद किया जाता है. कहा जाता है कि वह हर कुंभ मेले में प्रयागराज जाते थे और तब तक दान देते रहते थे जब तक उनके पास सब कुछ खत्म न हो जाए. यूजर कह रहे हैं कि हर्षवर्धन की मूर्ति हटाकर शिवाजी की मूर्ति लगाना उनका अपमान है.
पड़ताल में क्या निकला सच?
जब इस दावे की पड़ताल की शुरू की गई तो सबसे पहले ऐसी न्यूज रिपोर्ट तलाशी गईं जिनमें इस बात की पुष्टी की गई हो. लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिससे यह साबित हो सके. अगर वाकई हर्षवर्धन की मूर्ति को हटा दिया होता तो फिर ये बड़ा सियासी मुद्दा बनता. लेकिन कहीं कुछ भी नहीं मिला. ऐसे में हमने वायरल वीडियो को सवालों की कसौटी पर परखा.
पहला सवाल यह कि वायरल वीडियो के पीछे की असली कहानी क्या है? दूसरा सवाल यह कि कहीं जानबूझकर वीडियो के जरिए भ्रम तो नहीं फैलाया जा रहा है?
हमने पहले वायरल वीडियो की जांच की. 23 सेकंड के इस वीडियो के शुरुआती 10 सेकंड में सड़क के पार शिवाजी की मूर्ति को देखा जा सकता है. इस फ्रेम को रिवर्स सर्च करने पर हमें यही वीडियो एक इंस्टाग्राम चैनल पर अपलोड हुआ मिला. 20 दिसंबर 2024 को अपलोड हुए इस वीडियो को छत्रपति संभाजी नगर का बताया गया है. छत्रपति संभाजी नगर, महाराष्ट्र का एक शहर है जिसका नाम पहले औरंगाबाद था.
इंस्टाग्राम वीडियो के साथ दी गई जानकारी के आधार पर सर्च करने पर हमें यूट्यूब पर इससे मिलते जुलते वीडियो मिले. यहां शिवाजी की मूर्ति को छत्रपति संभाजी नगर के क्रांति चौक का बताया गया है. इस जानकारी के आधार पर खोजा तो हमें यह जगह गूगल मैप्स पर मिल गई. वायरल वीडियो और स्ट्रीट व्यू को मिलाने से यह साफ हो जाता है कि शिवाजी की मूर्ति वाला वीडियो प्रयागराज का नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर का है.
अब हमने वीडियो में 10 सेकंड के बाद नजर आ रही लाइट की सजावट को खोजना शुरू किया. हमें इससे मिलते-जुलते वीडियो कई जगहों पर अपलोड किए हुए मिले. यहां इन्हें प्रयागराज के बाल्सन चौराहे पर लगे इल्यूमिनेशन टावर का बताया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार यह टावर प्रयागराज के बाल्सन चौराहे और सिविल लाइंस इलाके में लगाए गए हैं.
क्या है प्रतिमा हटाने का सच
इसके बाद हमने उन दावों की पड़ताल की जिनके अनुसार प्रयागराज में महाकुंभ के प्रवेश द्वार से सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा को हटाकर शिवाजी की प्रतिमा लगाई गई है. कीवर्ड सर्च करने पर हमें अक्टूबर 2024 की कई न्यूज रिपोर्ट मिलीं.
खबरों के अनुसार, 17 अक्टूबर को आलोपीबाग तिराहे पर बरसों से लगी हर्षवर्धन की मूर्ति को मेला प्रशासन के कहने पर पीडब्ल्यूडी ने हटा दिया था. इसे वहां से शिफ्ट करके करीब एक किलोमीटर दूर सीएमपी चौराहे पर शिफ्ट कर दिया गया था. सीएमपी चौराहे पर लगी मूर्ति को गूगल मैप्स के स्ट्रीट व्यू में भी देखा जा सकता है.
हालांकि किसी भी खबर में हर्षवर्धन की मूर्ति वाली जगह पर शिवाजी की मूर्ति लगाए जाने का जिक्र नहीं किया गया है. इसपर और जानकारी के लिए हमने गुडन्यूज़ टुडे के प्रयागराज संवाददाता पंकज से संपर्क किया. इस दौरान यह जानकारी सामने आई कि हर्षवर्धन की मूर्ति वाली जगह पर शिवाजी की मूर्ति लगने की बात बेबुनियाद है.
सड़क के चौड़ीकरण के समय फ्लाईओवर के पास लगी मूर्ति को शिफ्ट किया गया था. साफ है प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियों के बीच हर्षवर्धन की मूर्ति की जगह शिवाजी की प्रतिमा नहीं लगाई गई है. महाराष्ट्र के वीडियो को प्रयागराज का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है.