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सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! हफ्ते में 5 दिन करना होगा काम

अधिकारी-कर्मचारियों का तनाव कम करने के लिए सरकार तरह-तरह के नियम लेकर आती है. इस बार छत्तीसगढ़ में मंत्रालय और संचालनालय समेत सभी सरकारी दफ्तरों में 5 डेज वीक कर दिया गया है. इस नियम के अनुसार काम के आधे घंटे बढ़ जाएंगे. वहीं हर दिन 7 घंटे की कार्य अवधि होगी. जिसमें से आधे घंटे लंच का समय होगा.

हफ्ते में 5 दिन करना होगा काम  हफ्ते में 5 दिन करना होगा काम
हाइलाइट्स
  • हर दिन 7 घंटे की कार्य अवधि होगी

  • पेट्रोल पर आता है काफी ज्यादा खर्च

  • ऑफिस के खर्चों की कमी, दूसरे विभागों को बढ़ावा

छत्तीसगढ़ में मंत्रालय और संचालनालय समेत सभी सरकारी दफ्तरों में 5 डेज वीक कर दिया गया है. सभी सरकारी दफ्तरों में अब केवल हफ्ते के पांच दिन काम करना होगा. इसकी अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को जारी कर दी है. इसका मतलब है कि अब हर शनिवार और रविवार को छुट्टी रहेगी, और इसकी शुरुआत इसी शनिवार से होगी. अब तक दूसरे और तीसरे शनिवार को छुट्टी रहने के नियम थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. हालांकि दफ्तरों में काम के आधे घंटे बढ़ा दिए गए हैं.

सीएम ने 26 जनवरी को किया था 5 डेज वीक का ऐलान
प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल ने 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर 5 डेज वीक का ऐलान किया था. इसके अगले ही दिन यानी 27 जनवरी को सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सचिव को प्रस्ताव भेज दिया था. जिसके बाद आज सीएम के अनुमोदन के बाद आज अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अनुसार अब सभी सरकारी दफ्तरों में सुबह 10 से 5.30 बजे तक काम होगा. 

हर दिन 7 घंटे की कार्य अवधि होगी
इस नियम के अनुसार काम के आधे घंटे बढ़ जाएंगे. वहीं हर दिन 7 घंटे की कार्य अवधि होगी. जिसमें से आधे घंटे लंच का समय होगा. इस तरह अब महीने में केवल 22 दिन वर्किंग डेज होंगे. जिसमें 154 घंटे काम होगा. पहले ये 156 घंटे था. कर्मचारी संगठनों की तरफ से काफी दिनों से 5 डेज वीक की मांग की जा रही थी. इन मांगों के आधार पर ही राज्य सरकार इसकी अनुमति दी है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे कार्य क्षमता में वृद्धि हो सकती है. 

इन राज्यों में भी लागू है नियम
हफ्ते में पांच दिन काम करने का ये नियम छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी लागू है. इसके अलावा तमिलनाडु, गोवा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी इस सिस्टम पर काम हो रहा है.  महाराष्ट्र में भी फडणवीस सरकार ने फरवरी 2020 में करीब दो साल पहले यह व्यवस्था लागू कर दी थी. 

पेट्रोल पर आता है काफी ज्यादा खर्च
राजधानी रायपुर से नवा रायपुर तक मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालय में अधिकारियों को लाने ले जाने के लिए करीब 200 गाड़ियां हर रोज चलती है. इसी तरह पुल में दोनों कार्यालयों के लिए 200-200 गाड़ियां चलती हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो 600 गाड़िया रोज तीस किलोमीटर जाने और तीस किलोमीटर आने में कुल 60 किलोमीटर का सफर तय करती हैं. इनका औसत दस किमी प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल मान लें तो इन गाड़ियों में हर रोज करीब 3 लाख 60 हजार रुपए का ईंधन लगता है. अब इसके अलावा नवा रायपुर के दूसरे दफ्तरों तक आने-जाने वाली और भी गाड़ियां और बसें अलग से हैं.

ऑफिस के खर्चों की कमी, दूसरे विभागों को बढ़ावा
हफ्ते के 22 दिन दफ्तर खुलने से ऑफिस एस्टेब्लिशमेंट खर्च जैसे बिजली, पानी, पेट्रोल-डीजल की खपत में कमी आएगी. यहां तक अधिकारी-कर्मचारियों के साथ परिवार का तनाव भी कम होगा. साथ ही इससे पर्यटन बढ़ने की भी काफी उम्मीद है. कई महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी और कर्मचारी सामान्य  दिनों में भी 7-8 घंटे से ज्यादा काम करते हैं. यही नहीं विधानसभा सत्र के दौरान भी काम के घंटे बढ़ जाते हैं.