छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है. बीजेपी ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की है और भूपेल बघेल को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सूबे में कांग्रेस को सिर्फ 35 सीटों पर जीत मिली है. भूपेश बघेल सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हार का सामना करना पड़ा है. उनको पहली बार चुनाव मैदान में उतरे बीजेपी के उम्मीदवार ईश्वर साहू ने हराया है. रविंद्र चौबे 7 बार विधायक रह चुके हैं. चलिए आपको पहली बार विधायक बने ईश्वर साहू के बारे में बताते हैं.
पहली बार मैदान में, 7 बार के MLA को हराया-
बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा सीट से बीजेपी ने ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया था. जबकि कांग्रेस ने कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को मैदान में उतारा था. रविंद्र चौबे 7 बार विधायक रहे हैं, जबकि ईश्वर साहू पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन सूबे के इतने बड़े लीडर को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. ईश्वर साहू ने 5196 वोटों से रविंद्र चौबे को हरा दिया. ईश्वर साहू को 1,01,789 वोट मिले, जबकि रविंद्र चौबे को 96,593 वोट मिले.
दंगे में मारा गया बेटा, बीजेपी ने दिया टिकट-
ईश्वर साहू सूबे की राजधानी रायपुर से 110 किलोमीटर दूर बिरनपुर के रहने वाले हैं. वो मजदूरी करते हैं. ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू की मौत सांप्रदायिक हिंसा में हुई थी. इसके बाद बीजेपी ने चुनाव में ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी नेता अमित शाह ने ईश्वर साहू के लिए प्रचार करने किया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि ईश्वर साहू सिर्फ उम्मीदवार नहीं, बल्कि इंसाफ की लड़ाई के प्रतीक है. जनता ने ईश्वर साहू का साथ दिया और अब ईश्वर विधानसभा पहुंच गए हैं.
परिवार ने ठुकराया था आर्थिक मदद-
साजा विधानसभा क्षेत्र में अप्रैल 2023 में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक स्कूल में मारपीट की घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई थी. जिसमें ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू भी थे. सूबे की कांग्रेस सरकार की तरफ से परिवार को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपए आर्थिक मदद का ऐलान किया गया था. हालांकि परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया था.
मजदूरी करते हैं ईश्वर साहू-
नामांकन हलफनामे के मुताबिक ईश्वर साहू ने बिरनपुर प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई की है. वो 5वीं पास हैं. उनके बैंक अकाउंट में 16 लाख रुपए हैं. ये पैसे उनको बेटे की मौत के बाद चंदे के तौर पर मिली थी. हलफनामे में ईश्वर साहू ने खुद को मजदूर बताया है.
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