फिल्में तो बहुत सारी आती हैं लेकिन अगर वो ऑस्कर (Oscar) लेकर आ जाए तो बात ही अलग है. खासतौर पर भारतीय सिनेमा को अभी इसपर और मेहनत करनी है. फिल्में तो बहुत नॉमिनेट हुई लेकिन ऑस्कर नहीं जीत पाई. इनमें से मदर इंडिया सलाम बॉम्बे, गली बॉय कुछ ऐसी ही फिल्में हैं. हालांकि इंडियन सिनेमा इसमें अपना खाता जरूर खोल चुका है और भानु अथैया और उसके बाद Slumdog Millionaire ने ऑस्कर भी जीता.
इस बार भारत की तरफ से गुजराती फिल्म 'Chhello Show' को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है. फिल्म को बेस्ट इंटरनेशनल फीचर कैटेगरी में जगह मिली है. साल 2021 में ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर किया गया था. इसके बाद फिल्म को अलग-अलग कई अवार्ड फंक्शन में दिखाया गया. फिल्म में भाविन राबरी, भावेश श्रीमाली, ऋचा मीणा. दिपेन रावल और परेश मेहता मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म की कहानी 9 साल के बच्चे समय की है जो सिनेमा के लिए कुछ भी कर सकता है. फिल्म में समय (भाविन राबरी) के पिता का किरदार निभाया है दीपेश रावल ने. दीपेश से बात की इंडिया टुडे की टीम ने. आइए जानते हैं उनके बारे में...
पेशे से फार्मासिस्ट हैं दिपेन
दीपेश अहमदाबाद के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा है." शूटिंग के दिनों में ही कलाकारों और क्रू को पता था कि यह फिल्म जरूर कुछ अच्छा करेगी और यह दूसरों से बहुत अलग होने वाली है. रावल ने अपना करियर लगभग 25 साल पहले शुरू किया था. वह एक फार्मासिस्ट हैं लेकिन हमेशा अभिनय में अपना करियर बनाना चाहते थे. वर्तमान में वह गुजराती टीवी सीरियल और थिएटर के लिए काम कर रहे हैं.
पिता-पुत्र के रिश्ते की कहानी
इंडिया टुडे से बात करते हुए दिपेन रावल ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि पहली बार ऑस्कर के लिए किसी गुजराती फिल्म की ऑफिशियल एंट्री हुई है. गुजराती फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह बहुत गर्व की बात है." फिल्म के बारे में बोलते हुए रावल ने कहा, "इस फिल्म को बनाते समय हमें पता था कि यह कुछ अलग है. फिल्म में मैं समय (भाविन राबरी) के पिता की भूमिका में हूं. फिल्म में मैं पहले तो समय को अपने पसंदीदा काम करने से रोकता हूं. लेकिन बाद में मुझे एहसास होता है कि मेरा बेटा सही था. यह पिता और पुत्र के बेहतरीन रिश्ते की कहानी है." उन्होंने आगे कहा, "फिल्म उस बारे में है जब मैं अपने बेटे को एक फिल्म देखने के लिए ले जाता हूं और उसके बाद उसका पूरा जीवन बदल जाता है. वह प्रोजेक्टर से उस रोशनी को पकड़ना चाहता है."
सेट पर आ गए थे शेर
अपने शूटिंग अनुभव पर बात करते हुए रावल ने कहा, "शूटिंग के दौरान हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पूरी फिल्म की शूटिंग गुजरात के अमरेली, धारी में हुई थी. एक समय था जब हमारे सेट पर शेर आ गए थे. हमने भारी बारिश में भी शूटिंग की, लेकिन बहुत आनंद भी आया. यह अपने आप में एक आत्मकथा की तरह है." दीपेन रावल ऑस्कर पुरस्कार जीतने के लिए बहुत आशावादी हैं. उन्होंने कहा, "यह ऑस्कर के लिए पहली गुजराती फिल्म है. मुझे बहुत उम्मीद है कि इस बार हमारी गुजराती फिल्म ऑस्कर पुरस्कार जीतेगी और हमारे देश को गौरवान्वित करेगी."
(इनपुट सौरभ वक्तानिया)