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One Rank One Pension: क्या है सीलबंद कवर न्यायशास्त्र, क्यों सरकार पर भड़के चीफ जस्टिस, OROP पर दिया ये बड़ा आदेश

Supreme Court ने पारिवारिक पेंशनरों को 30 अप्रैल 2023 तक, सशस्त्र बलों के वीरता पुरस्कार हासिल कर चुके विजेताओं को 30 जून 2023 तक और 70 साल से अधिक के योग्य पेंशनरों को 30 अगस्त 2023 तक भुगतान करने का आदेश दिया है.

Supreme Court Supreme Court
हाइलाइट्स
  • मुख्य न्यायाधीश ने लिफाफे को न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया

  • सील बंद लिफाफे में जानकारी दिए जाने पर एटॉर्नी जनरल को दी हिदायत 

वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत पूर्व सैन्य कर्मियों के बकाया भुगतान पर सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की नाराजगी का सामना करना पड़ा. उन्होंने जानकारी सील बंद लिफाफे में दिए जाने पर एटॉर्नी जनरल को कड़े शब्दों में हिदायत दी. उन्होंने इस तरह के लिफाफों को न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया.  

कोर्ट में पारदर्शिता होनी चाहिए
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, हमें सर्वोच्च न्यायालय में इस सीलबंद कवर प्रथा को समाप्त करने की आवश्यकता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट में पारदर्शिता होनी चाहिए. वैसे भी यह एक आदेश को लागू करने से जुड़ा मामला है. इसमें क्या गुप्त है? सीलबंद लिफाफे की जानकारी की एक कॉपी दूसरी पार्टी को भी देना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि सीलबंद लिफाफे की प्रक्रिया एक तरीके से स्थापित न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ है. इसका सहारा तभी लेना चाहिए जब किसी स्रोत का जीवन खतरे में हो या ऐसी कोई परिस्थिति हो.

बकाया भुगतान पर यह दिया आदेश
कोर्ट ने केंद्र सरकार को वन रैंक वन पेंशन योजना के तहत बकाया भुगतान का नया फॉर्मूला भी दे दिया. इसके अनुसार योग्य पारिवारिक पेंशनरों को 30 अप्रैल 2023 तक, सशस्त्र बलों के वीरता पुरस्कार हासिल कर चुके विजेताओं को 30 जून 2023 तक और 70 साल से अधिक के योग्य पेंशनरों को 30 अगस्त 2023 तक भुगतान करने का आदेश दिया है. इसके अलावा बाकी पेंशनरों को समान किस्तों में 28 फरवरी 2024 से पहले भुगतान करने को कहा है.

रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता
पीठ फिलहाल ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रही है.इसके पहले 13 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से 20 जनवरी के उस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने को कहा था, जिसमें चार किस्तों में वन रैंक वन पेंशन के भुगतान करने की बात कही गई थी. कोर्ट ने कहा था, रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता है. 

सिर्फ न्यायाधीश ही खोल सकते हैं सीलबंद लिफाफे को 
पिछले कुछ दिनों से सीलबंद लिफाफे को लेकर अलग-अलग न्यायालयों में बहस चल रही है. सीलबंद लिफाफे को कानून की भाषा में सीलबंद कवर न्यायशास्त्र भी कहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत अदालतें सरकारी एजेंसियों से सील बंद लिफाफे में जानकारी मांगती हैं. चूंकि यह जानकारी गोपनीय प्रकृति की होती है, ऐसे में सिर्फ न्यायाधीश ही सीलबंद लिफाफे को खोल सकते हैं. 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 में सीलबंद कवर न्यायाशास्त्र का जिक्र है. सीलबंद कवर को लेकर लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है. 20 अक्टूबर 2022 को एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा था कि सीलबंद कवर प्रक्रिया एक खतरनाक मिसाल स्थापित करती है.  इसके साथ ही यह जजमेंट की प्रक्रिया को अस्पष्ट और अपारदर्शी भी बनाती है.