
नेपाल को चीन इस साल 15 अरब रुपए की अनुदान सहायता राशि से मदद करने का वादा किया है. नेपाल पहले से कर्ज की बोझ तले दबा हुआ है बावजूद इसके उसने इस कर्ज के लिए हां कर दिया है. चीन के इस दोस्ताना व्यवहार को दोनों देशों के बीच बढ़ते मजबूती संबंध के रूप में देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस राशि को विभिन्न परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा. चूंकि नेपाल भी भारत का पड़ोसी देश है ऐसे में चीन से उसकी बढ़ती नजदीकियों पर भारत की निगाह बनी हुई है. भारत हमेशा से नेपाल को सहयोग करता है ऐसे में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत पर क्या असर पड़ेगा आइए समझते हैं.
पीएम मोदी पांच बार आधिकारिक यात्रा पर जा चुके हैं नेपाल
नेपाल के अलग अलग क्षेत्रों में भारत पहले से निवेश करता रहा है. दोनों देशों में धार्मिक, सांस्कृतिक और खान-पान को लेकर काफी समानताएं भी हैं. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से संबंध काफी मजबूत रहे हैं. इसी रिश्ते को और मजबूत करने पीएम मोदी अपने कार्यकाल में 5 बार नेपाल का दौरा कर चुके हैं. इस साल मई में भी पीएम मोदी नेपाल यात्रा पर थे. मोदी की यात्रा को भारत नेपाल के बीच बढ़ते मधुर संबंध के रूप में देखा गया. लेकिन हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने चीन की यात्रा की और इस दौरान चीन ने नेपाल को मदद करने की घोषणा की. जिसे एक बार फिर से दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों के रूप में देखा जा रहा है.
नेपाल में सबसे बड़े निवेशकों में है भारत
नेपाल में भारत अलग अलग क्षेत्रों में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है. नेपाल की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना अरुण- III को भारत की मदद से बनाया जा रहा है. इस परियोजना में कुल निवेश करीब 115 अरब रुपए से भी ज्यादा का हो सकता है. भारत के पांच बैंकों ने नेपाल को 8,598 करोड़ नेपाली रुपए कर्ज के रूप में देने का वादा किया है. अगले पांच सालों में भारत नेपाल में लगभग 11,000 करोड़ नेपाली रुपए का निवेश करेगा.
चीन से नेपाल की बढ़ती नजदीकियों के मायने
जानकारों का मानना है कि भारत ने जिन परियोजनाओं में इन्वेस्ट किया है उसके पूरा होने में या तो देरी होती है या काम अटक जाता है. जिसका सीधा फायदा चीन को मिलता है. चीन हर तरह से नेपाल पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. नेपाल ने भी चीन के ‘एक चीन सिद्धांत’ को समर्थन किया है. इसके अनुसार नेपाल अपने किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल चीन के विरोध में किसी को नहीं करने देगा. और यह पहली बार नहीं है जब दोनों देशों के बीच नजदीकियां बढ़ी है. पिछले कुछ सालों में दोनों देश अलग-अलग नीतियों को लेकर करीब आए हैं. 2016 में नेपाल के पीएम ओली ने आरोप लगाया था कि भारत उसके आंतरिक मामले में हस्तक्षेप कर रहा है. चीन नेपाल में इन्वेस्टमेंट के जरिए अपना दबदबा को मजबूत करना चाहता है. चाहे वो काठमांडू तक रेल नेटवर्क बिछाने की बात हो या चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना पर नेपाल की मुहर की बात हो. ऐसे में भारत हर संभव कोशिश करेगा कि वह नेपाल में अपने कदम को और मजबूत करे.
ये भी पढ़ें: