गणतंत्र दिवस के अवसर पर 4 हेलिकॉप्टर फ्लाईपास्ट करेंगे. इसमें चीनूक, अपाचे, MI-17 और MI-35 शामिल है. इसमें चीनूक और अपाचे अमेरिका से खरीदा गया है और दोनों की क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये अकेले ही दुश्मनों पर भारी पड़ सकते हैं. चीनूक का मुख्य इस्तेमाल भारी वजन ढोने जबकि अपाचे का काम अटैक करने का है. अपाचे दुश्मनों के परखचे उड़ा सकता है.
MI-17 और MI-35 का निर्माण रूस की कंपनी करती है. दोनों हेलिकॉप्टर की अपनी खासियत है. MI-17 किसी भी मौसम में और कहीं भी उड़ सकता है. MI-35 नक्सल क्षेत्रों में हवाई ऑपरेशन के लिए बहुत ही कारगर है. इस रिपोर्ट में पढ़िये कि आखिर कैसे ये चारों हेलिकॉप्टर दुश्मन के किले को भेदकर उसे चारों खाने चित्त कर सकते हैं.
चीनूक-10 टन वजन लेकर उड़ान भरने में सक्षम
भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल चीनूक सबसे ताकतवर हेलिकॉप्टर में से एक है. इसमें दो ब्लेड होते हैं और यह दूसरे हेलिकॉप्टर से काफी अलग है. अमेरिका की बोइंग कंपनी इसे बनाती है. इसे पहली बार 1961 में पेश किया गया था. हेवी लिफ्ट मशीन के उपकरण को ढोने के लिए इसका उपयोग किया गया था. इसमें दो इंजन होते हैं और ये हेलिकॉप्टर 196 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. इसमें दो इंजन लगाए गए हैं. यह बर्फ में भी उतर सकता है.
इस हेलिकॉप्टर की क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह एक बार में 10 टन का वजन कहीं भी ले जा सकता है. गोला बारूद के साथ सैनिकों को लेकर कहीं भी जा सकता है. ये 20 हजार फीट से भी ऊपर और 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. इसे दो पायलट उड़ा सकते हैं. आज की तारीख में इसकी इंजन की क्षमता 5 हजार शाफ्ट हॉर्सपावर है जो 1960 की दशक से 150% अधिक है.
चीनूक से युद्ध के समय के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा में भी राहत सामग्री पहुंचाई जा सकती है. इसे रडार से पकड़ पाना मुश्किल है. 26 देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है. विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में चीनूक का इस्तेमाल होता है. भारतीय वायुसेना को बेजोड़ सामरिक महत्व की हेवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करता है.
अपाचे-दुश्मन पर बाज की तरह हमला करता है
ये दुनिया के सबसे बेहतरीन हेलिकॉप्टर में से एक है. इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये हेलिकॉप्टर अकेले सर्जिकल स्ट्राइक करके आ सकता है. चीनूक की तरह इस हेलिकॉप्टर में भी दो इंजन हैं. ये 284 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. किसी भी मौसम में, किसी भी वक्त और कहीं भी इसे ले जाया जा सकता है.
टारगेट रुका है या चल रहा है, ये हेलिकॉप्टर उस पर हमला करने में सक्षम है. टारगेट खोजने और उसे ट्रैक कर खत्म करने की क्षमता है. लेजर इंफ्रारेड और अन्य लेजर सिस्टम से लैस है. इसकी लॉन्ग रेंज वीपन एक्यूरेसी(Long range weapon accuracy) है. इसे उड़ाने के लिए दो पायलट का होना जरूरी है. इस हेलिकॉप्टर की फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर है.
अपाचे दुश्मन पर बाज की तरह हमला कर निकल सकता है. हेलिकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों में 30 एमएम की 1200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं. ये आसानी से रडार को चकमा दे सकता है. बेहतर लैंडिंग गियर, क्रूज गति, चढ़ाई दर इसकी विशेषताएं हैं. इसे अमेरिकी कंपनी बोइंग ने भारतीय सेना की जरूरत के हिसाब से तैयार किया है. इसका निशाना अचूक है और यह दुश्मन के किले को भेदकर उस पर सटीक हमला कर सकता है.
MI-17-सर्च और रेस्क्यू में होता है इस्तेमाल
रूस की कंपनी इसे भारत को सप्लाई करती है. इसका इस्तेमाल कार्गो हेलिकॉप्टर के रूप में किया जाता है. ये दुनिया का सबसे एडवांस हेलिकॉप्टर माना जाता है. सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें भारी स्लिंग होता है जिसके बाहर भारी टैंक लटका सकते हैं.
MI-17 किसी भी मौसम में आसानी से उड़ सकता है. रेगिस्तान में भी इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है. 250 किलोमीटर प्रति घंटा इसकी अधिकतम स्पीड है. ये एक बार में 580 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. इसमें अगर ऑक्सिलरी फ्यूल टैंक लगा दी जाए तो डबल दूरी तय कर सकता है. ये हेलिकॉप्टर 6 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है. सेना की तीनों विंग इसका इस्तेमाल करती है.
MI-35-नक्सल मोर्च पर बहुत ही कारगर हेलिकॉप्टर
रूस की कंपनी MI-35 का निर्माण करती है. ये MI-24 का एक्सपोर्ट वेरिएंट है. इसे मुख्य रूप से हमले और सैन्य परिवहन मिशन के लिए डिजाइन किया गया है. ये रूस की वायु सेना की सूची में आधुनिक लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में से एक है. इसे उच्च तापमान और उच्च ऊंचाई वातावरण वाले विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में युद्ध अभियानों में तैनात किया जा सकता है.
नक्सल क्षेत्रों में हवाई ऑपरेशन के लिए ये हेलिकॉप्टर बहुत ही कारगर है. इस हेलिकॉप्टर से तेजी से रेस्क्यू किया जा सकता है. वेनेजुएला, ब्राजील, अजरबैजान, नाइजीरिया, कजाकिस्तान और माली के सशस्त्र बल भी इसे संचालित करते हैं.