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दो साल बाद लौटेगी रौनक, कोलकाता के लोग देख सकेंगे सर्कस

सर्कस का टेंट दो साल बाद कोलकाता लौट आया है. इस साल 'अजंता सर्कस' अपनी पुरानी शान के साथ वापस लौटा है. हालांकि महामारी के कारण इस बार विदेशी जिम्नास्टों को भाग लेने की अनुमति नहीं है. 

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हाइलाइट्स
  • दो साल बाद सर्कस कोलकाता लौट आया है.

  • इस बार विदेशी जिम्नास्टों को भाग लेने की अनुमति नहीं है. 

बचपन में सर्कस (Circus) तो शायद हर किसी ने देखा होगा. अपनी अतरंगी हरकतों से हंसाता जोकर, अपनी उंगलियों के इशारे पर शेर को नचाता रिंग मास्टर, मौत के कुंए में बाइक चलाता स्टंटमैन, शायद ही कोई ऐसा होगा जो बचपन की इन मीठी यादों को दोबारा नहीं जीना चाहता होगा. पर वक्त के साथ-साथ कई चीजें पीछे छूट जाती हैं, इन्हीं में से एक है सर्कस. अब शायद ही कहीं सर्कस के टेंट लगे हुए दिखते हैं. पर कोलकाता में ये कला अभी भी जिंदा है. जी हां, कुछ साल पहले तक सर्कस कोलकाता की पहचान बन गए थे. हर साल सर्दियों के मौसम में यहां सर्कस लगता था, जिसे देखने के लिए लोगों की अच्छी खासी भीड़ जुटती थी. लेकिन कोरोना की वजह से जब बाकी चीजों पर रोक लगी तो सर्कस को भी बंद कर दिया गया, लेकिन अब एक बार फिर से कोलकाता में सर्कस की वापसी हुई है. जिसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है.

दो साल पहले तक कोलकाता में विंटर वेकेशन का मतलब काफी मजा होता था. सर्दियों के मौसम में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मनोरंजन के लिए चिड़ियाघर, विक्टोरिया मेमोरियल, बिड़ला तारामंडल से लेकर सर्कस तक काफी कुछ यहां मौजूद रहता था. लेकिन कोरोना महामारी के आने के बाद से सभी बंद हैं. हालांकि, सर्कस का टेंट दो साल बाद कोलकाता लौट आया है. इस साल सीठी में 'अजंता सर्कस' अपनी पुरानी शान के साथ वापस लौटा है. 

दो साल बाद कोलकाता लौटा सर्कस
दो साल बाद कोलकाता लौटा सर्कस

कार्यक्रम चलते रहना चाहिए

सर्दी के मौसम में कोविड-19 के बीच सीठी के सर्कस मैदान में शो किए जा रहे हैं. उन प्रदर्शनों को मंच पर वापस लाना इतना आसान नहीं था. महामारी से बहुत पहले ही सर्कस ने अपनी लोकप्रियता खो दी थी.आज की युवा पीढ़ी में से बहुत कम लोगों को याद होगा कि उन्होंने सर्कस का प्रदर्शन देखा था. ऐसे विपरीत हालातों में ये मुश्किल था. हालांकि पहले जैसी भीड़ नहीं थी, फिर भी कई लोग सर्कस शो देखने आ रहे हैं. दिसंबर में शुरू हुआ ये यह सर्कस फरवरी के मध्य तक चलेगा. 

दोबारा सर्कस शुरू करने से जुड़ी चुनौतियों पर बात करते हुए अजंता सर्कस के प्रबंधक किशोर दास ने कहा, हम पिछले 30 सालों से सर्कस उद्योग से जुड़े हुए हैं, 2 साल सब बंद रहा. हमारे सब कलाकार घर चले गए. कुछ मजदूरी करने लगे. कुछ कलाकार खेतों में काम करने लगे. बहुत मुश्किल था यह सब." उन्होंने आगे बताया, "अब कलाकार हर दिन दो शो कर रहे हैं. हमारे मालिक कहते हैं कि कार्यक्रम चलते रहना चाहिए. पैसा ज्यादा नहीं मिल रहा. हमारे 70 कलाकार लौट आए हैं. 1 महीने तक ट्रेनिंग चली. अच्छा लग रहा है कि धीरे-धीरे लोग बढ़ रहे हैं."  किशोर दास ने बताया कि 50 प्रतिशत दर्शकों के साथ दिन में दो शो चल रहा है. हम चाहते हैं कि सर्कस का ट्रेडीशन बना रहे. 

विदेशी जिम्नास्टों को भाग लेने की इजाजत नहीं

भले ही सर्कस का वह दौर ना रहा. लेकिन करतब और कलाबाजी दिखाते बहुत से कलाकार आपको इस अंधेरे में मिल जाएंगे, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान बहुत संघर्ष किया. लेकिन सब कुछ भुला कर चेहरे पर मुस्कान लिए मंच पर वापस आना, यह बड़ी बात है. इतने समय बाद सर्कस देखने आने वाले ग्राहक भी काफी खुश हैं. सर्कस देखने आए लोगों का कहना है कि अजंता सर्कस बचपन से देखते आए हैं. 2 साल से सब कुछ बंद है. यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. हम सभी कोविड नियमों का पालन कर रहे हैं. सर्कस 19वीं सदी के अंत से बंगालियों के मनोरंजन का हिस्सा रहा है. ब्रिटिश अधिकारियों के मनोरंजन के लिए तत्कालीन कलकत्ता में एक के बाद एक कई यूरोपीय सर्कस शो आयोजित किए गए. हालांकि महामारी के कारण इस बार विदेशी जिम्नास्टों को भाग लेने की अनुमति नहीं है. 

(रितिक मंडल की रिपोर्ट)