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CJI: चंद्रचूड़ फैमिली का अनोखा रिकॉर्ड! पिता और बेटा रहे सबसे ज्यादा 9 साल तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, YV और DY Chandrachud के बारे में जानिए

DY Chandrachud and YV Chandrachud: डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रह चुके हैं. पिता और बेटा दोनों ने मिलाकर सबसे ज्यादा 9 साल तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे हैं. वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को सीजेआई बने थे.

Supreme Court CJI Supreme Court CJI
हाइलाइट्स
  • डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को हो रहे रिटायर 

  • न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे 51वें सीजेआई 

CJI DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं. डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था.

डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (YV Chandrachud) भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रह चुके हैं. इस तरह से चंद्रचूड़ फैमिली के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है. पिता और बेटा दोनों ने मिलाकर सबसे ज्यादा 9 साल तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे हैं. इस दौरान दोनों ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए. उन्हें कुछ फैसलों में सराहना मिली तो कुछ में आलोचना भी झेलनी पड़ी.

वाईवी चंद्रचूड़ रहे इतने सालों तक सीजेआई
वाईवी चंद्रचूड़ का जन्म 12 जुलाई 1920 को पूना में हुआ था. वह 28 अगस्त 1972 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. इसके बाद वाईवी चंद्रचूड़ 1978 से लेकर 1985 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहे. वाईवी चंद्रचूड़ 7 साल और 139 दिन तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर कार्यरत रहे. 

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वह देश में सबसे लंबे समय तक इस पोजिशन पर काम करने वाले चीफ जस्टिस थे. वह 22 फरवरी 1978 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए थे और 11 जुलाई 1985 को सेवानिवृत्त हुए थे. वह भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे.वाईवी चंद्रचूड़ ने सेवानिवृत्ति के बाद कई शैक्षणिक संस्थानों के बोर्ड में काम किया. कानूनी पाठ्यक्रम के विकास में योगदान दिया. उन्होंने कानूनी मामलों में सलाहकार भूमिकाएं निभाई.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बारे में जानिए 
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Dhananjay Yashwant Chandrachud) है. उनका जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई (Mumbai) में हुआ था. पिता के बारे में तो हम बता ही चुके हैं. उनकी मां का नाम प्रभा था. वह एक शास्त्रीय संगीतकार थीं.

डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद उन्होंने साल 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद डीवाई चंद्रचूड़ ने साल 1986 में यूएस के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और डॉक्टरेट इन जूरिडिकल साइंसेज की उपाधि हासिल की. 

मिली पदोन्नति
डीवाई चंद्रचूड़ ने पढ़ाई पूरी करने के बाद महाराष्ट्र बार काउंसिल में अपना नाम दर्ज कराया. बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. डीवाई चंद्रचूड़ को साल 1998 में भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया. उन्हें 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया.

इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के निदेशक के रूप में कार्य किया. जस्टिस चंद्रचूड़ 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे. इसके बाद उन्हें 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. जस्टिस चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. 

कई यूनिवर्सिटी में रहे विजटिंग प्रोफेसर
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मुंबई यूनिवर्सिटी, अमेरिका के ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं. वह हार्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और दक्षिण अफ्रीका के विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी में कई बार व्याख्यान दे चुके हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले किए. उन्होंने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने में आड़े आने वाले एक फैसले को निरस्त किया. 

अपने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में उन्होंने यूपी मदरसा एक्ट को सही ठहराने और किसी का मकान गिराने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करने जैसे बड़े फैसले दिए. वह साल 2019 में अयोध्या मामले का फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के भी सदस्य थे. सीजेआई चंद्रचूड़ ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चुनावी चंदे की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था. उन्होंने अनुच्छेद 370 मामले में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को सही ठहराया था. महिला सैन्य अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था. समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से मना किया था. 

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे अगले मुख्य न्यायाधीश 
डीवाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. 51वें सीजेआई बनने वाले संजीव खन्ना अभी सुप्रीम कोर्ट में जज हैं. वह 11 नवंबर 2024 को वे सीजेआई (CJI) पद की शपथ लेंगे. आपको मालूम हो कि जस्टिस खन्ना बतौर सीजेआई के पद पर लगभग 6 महीने से कुछ समय अधिक तक रहेंगे. वह 13 मई 2025 को पदमुक्त हो जाएंगे.

अन्य देशों की तुलना में कार्यकाल होता है छोटा
भारतीय न्यायाधीशों का कार्यकाल अन्य देशों की तुलना में छोटा होता है.भारतीय संविधान, 1950 के अनुच्छेद 124 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है.

मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल उनकी पदोन्नति की तिथि से शुरू होकर उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि तक होता है. उधर, यूनाइटेड किंगडम में न्यायाधीश 75 वर्ष की आयु में और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और नॉर्वे में 70 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं. आपको मालूम हो कि संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, न्यूजीलैंड और आइसलैंड में न्यायाधीशों का कार्यकाल उनके जीवनकाल तक के लिए होता है.