scorecardresearch

Climate Change: भारत समेत दुनियाभर में दिखा क्लाइमेट चेंज का असर, 3 महीने में महसूस की गई अधिक गर्मी, स्टडी में खुलासा

क्लाइमेट सेंट्रल नाम की एक संस्था ने दुनिया भर में इसके असर को लेकर पिछले तीन महीनों में एक स्टडी की है. इस इंडेक्स की मदद से दुनिया भर के अलग-अलग इलाकों में दिखने वाले तापमान पर जलवायु परिवर्तन के असर का पता लगाने की कोशिश की गई है.

Climate Change Impact Climate Change Impact

पिछले साल दिसंबर से लेकर इस साल फरवरी तक दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज का असर और ज़्यादा गंभीर तौर पर दिखाई देने लगा है. क्लाइमेट सेंट्रल नाम की एक संस्था ने दुनिया भर में इसके असर को लेकर पिछले तीन महीनों में एक स्टडी की है. स्टडी के लिए क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (CSI) का इस्तेमाल किया गया है. इस इंडेक्स की मदद से दुनिया भर के अलग-अलग इलाकों में दिखने वाले तापमान पर जलवायु परिवर्तन यानी क्लाइमेट चेंज के असर का पता लगाने की कोशिश की गई है.

दुनियाभर में महसूस की गई अधिक गर्मी-
इस रिपोर्ट में यह पाया गया है कि क्लाइमेट चेंज के लिए ह्यूमन कॉज्ड कारक जिम्मेदार हैं यानी जिन्हें पैदा करने के लिए इंसान खुद जिम्मेदार है. इन कारकों में कोयले के जलने के साथ ही और भी ईंधनों जैसे तेल और हाइड्रोकार्बन भी जिम्मेदार हैं. दरअसल इन सबकी वज़ह से प्रदूषण बढ़ता है और गर्मी को बाहरी वायुमंडल में जाने ही नहीं देता. 

दिल्ली समेत भारत के कई इलाकों में सर्दियों के दौरान ऐसा देखा गया है. विश्लेषण किए गए आधे देशों (220 में से 110) में स्टडी में शामिल लोगों ने तीन महीनों के दौरान के कम से कम एक तिहाई हिस्से (30 दिन या इससे अधिक) के लिए जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक तापमानों का अनुभव किया. जबकि दुनियाभर के 287 शहरों में, औसतन मौसम के एक तिहाई हिस्से (30 दिन या उससे अधिक) के लिए जलवायु परिवर्तन के एक मजबूत प्रभाव के साथ तापमानों में बढ़ोत्तरी  का अनुभव किया.

सम्बंधित ख़बरें

खतरनाक साबित हो रहा बढ़ता तापमान-
क्लाइमेट सेंट्रल की इस रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन ने दुनिया भर के अरबों लोगों के लिए गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा दिया है. दुनिया भर में अत्यधिक गर्मी की घटनाओं की संभावना को अधिक कर दिया. इस स्टडी के अहम परिणामों में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी शामिल हैं.

वैश्विक स्तर पर कम से कम पांच में से एक व्यक्ति ने दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक हर दिन जलवायु परिवर्तन का एक मजबूत प्रभाव महसूस किया.

लगभग 394 मिलियन लोगों  याना लगभग 40 करोड़ ने पिछले तीन महीनों के दौरान 30 या अधिक दिनों की जोखिमपूर्ण गर्मी का अनुभव किया. इनमें से अधिकतर लोग (74%) अफ्रीका में रहते हैं.

क्या होता है जोखिम वाला गर्म दिन-
जोखिमपूर्ण गर्मी के दिन वे होते हैं, जब तापमान स्थानीय क्षेत्र में 1991-2020 के 90 फीसदी तापमान से अधिक होता है. जब तापमान इस स्थानीय सीमा से ऊपर होता है, तो गर्मी-संबंधित स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं.